- हूमायुंपुर के धोबीघाट पर नगर निगम गिरा रहा कूड़ा
- पब्लिक कर रही विरोध, फिर भी नहीं मान रहे कर्मचारी
द्दह्रक्त्रन्य॥क्कक्त्र : नगर निगम की लापरवाही ने हद पार दी है। नगर निगम के अफसरों की लापरवाही हुमायूंपुर के धोबीघाट पर साफ नजर आती है। 1996 में नगर निगम ने जिस धोबीघाट को बनाने के लिए लाखों रुपए खर्च किया, उदासीनता की वजह से आज वही घाट बदहाल हो चला है। नगर निगम के सफाईकर्मी ही उसे कूड़ादान बनाने पर तुले हुए हैं। बदहाली का फायदा उठाकर लोगों ने धोबीघाट पर कब्जा करना शुरू कर दिया है।
करीब 10 हजार घरों के कपड़ों की होती है धुलाई
हुमायूंपुर उत्तरी के मलिन बस्ती के पीछे बने अंबेडकर धोबीघाट का निर्माण 1996 में तत्कालीन मेयर राजेंद्र शर्मा ने करवाया था। उस समय इस घाट पर कपड़े धोने के 54 चबूतरे बनाए गए थे। इस घाट पर गोरखनाथ से लेकर एचएन सिंह बशारतपुर एरिया के बीच के लगभग 10 हजार घरों के कपड़े धोए जाते थे। 2010 तक यह घाट अच्छी स्थिति रही, उसके बाद इस घाट की ओर नगर निगम ने ध्यान देना छोड़ दिया। धीरे-धीरे घाट टूटने लगा और उस स्थानीय लोगों को कब्जा होने लगा। वर्तमान में स्थिति यह है कि सिर्फ 11 चबूतरे ही बचे हैं। 43 पर स्थानीय लोगों का कब्जा हो गया है। घाट के एक तरफ तो मलिन बस्ती वाले सुअर पालने लगे हैं। आस-पास के सफाईकर्मियों ने तो इस घाट के बचे हिस्से को कूड़ादान बना दिया है।
एक माह से खराब है पंप
धोबीघाट में पानी भरने के लिए लगा पंप भी एक माह से खराब पड़ा हुआ है। जिसे बनाने के लिए स्थानीय लोग दर्जनों बार कंप्लेन कर चुके हैं, लेकिन हर बार उन्हें बस आश्वासन मिलता है कि जल्द ही बना दिया जाएगा। लेकिन आज तक बनाना तो दूर, जलकल का कोई कर्मचारी देखने तक नहीं गया। स्थिति यह है बरसात के समय तो धोबीघाट पर पर्याप्त पानी मिल जाता है, लेकिन बरसात के दो माह बाद पानी कम होने लगता है तब पानी भरने के लिए पंप की जरूरत पड़ती है, लेकिन पंप खराब होने के कारण धोबीघाट सूखने लगा है।
नगर निगम की लापरवाही से इस धोबीघाट पर लोग कब्जा कर रहे हैं। जीएमसी अगर सही से देखभाल करता तो लोगों को रोजगार मिलने के साथ धोबीघाट की सुरक्षा भी होती।
संजय शिलांकुर, रेजीडेंट
कंप्लेंट करने के बाद भी कोई सुनने वाला नहीं है। धोबीघाट अगर समाप्त हो गया तो बहुत नुकसान होगा। नगर निगम की इस संपत्ति पर लोगों का कब्जा हो रहा है।
गणेश भारती, रेजीडेंट