- मेडिकल कॉलेज के विभिन्न विभागों का किया इंस्पेक्शन

- बंद पड़ी एमआरआई और कोबाल्ट मशीन पर जिम्मेदारों को लगाई फटकार

- एक हफ्ते के अंदर सुविधाएं बहाल करने के दिए निर्देश

GORAKHPUR:

मुख्यमंत्री के निर्देश पर सोमवार को महानिदेशक चिकित्सा शिक्षा डॉ। बीएन त्रिपाठी बीआरडी मेडिकल कॉलेज पहुंचे। इस मौके पर उन्होंने अफसरों के साथ विभिन्न विभागों का इंस्पेक्शन किया। शुरुआती इंस्पेक्शन में जगह-जगह गंदगी और छत पर मकड़ी का जाल देखकर नाराजगी जताते हुए उन्होंने अफसरों को फटकार लगाई। इसके साथ एमआरआई और कोबाल्ट मशीन को शुरू कराने के लिए जिम्मेदार संस्था से बात कर एक हफ्ते के अंदर जांच सुविधा बहाल करने के आदेश दिए।

विभिन्न विभागों का लिया जायजा

डीजीएमई ने कैंसर, एनआईवी और ट्रॉमा सेंटर का इंस्पेक्शन किया। कई जगह गंदगी और ट्रामा सेंटर के प्रवेश पर फर्श टूटा देखकर जिम्मेदारों से इसे दुरुस्त कराने का निर्देश दिया। उन्होंने एडमिट पेशेंट्स के पास जाकर उनका हाल भी जाना। ट्रामा सेंटर के अंदर बिजली के तार और एसी के हाल पर नजर पड़ी तो उन्होंने कहा कि आंख के सामने सबकुछ दिखाई देता है लेकिन इस काम को करने वाला कोई नहीं है। यहां उन्होंने मरीजों से दवाओं की उपलब्धता के बारे में जानकारी ली तथा सेंटर पैथालॉजी और आईसीयू का इंस्पेक्शन किया। इसके बाद वे कैंटीन और सौ बेड वाले इंसेफेलाइटिस वार्ड में पहुंचे। जहां इंसेफेलाइटिस के साथ अन्य बीमारी से ग्रस्त बच्चों के परिजनों से मिलकर उन्हें बेहतर इलाज का भरोसा दिलाया। सीनियर डॉक्टर्स को सलाह देते हुए उन्होंने कहा कि वे हर रोज पेशेंट्स को देखें और बीएचटी पर अपना नाम और कौन सी दवाएं दी जा रही हैं इसका जिक्र करें।

बंकर के फेर में फंसी कोबाल्ट मशीन

बीआरडी के रेडियो थेरेपी विभाग में लगी कोबाल्ट मशीन के संचालन का मामला अटक गया है। परेशानी मशीन के लिए बने बंकर को लेकर है। भाभा एटोमिक रिसर्च इंस्टीट्यूट (बार्क) ने बंकर की दीवारों की मोटाई को मानक से कम बताया है। इससे रेडिएशन का दुष्प्रभाव कर्मचारियों व मरीजों पर पड़ सकता है। जिसके बाद पांच करोड़ की लागत से लगी मशीन का संचालन रुक गया है। बार्क की आपत्तियों को निस्तारित करने के लिए अब बंकर में विशेष सुरक्षा परत लगाई जाएगी। सोमवार को विभागाध्यक्ष डॉ। एमक्यू बेग ने डीजीएमई को यह जानकारी दी।

एनआईवी में होगी स्वाइन फ्लू की जांच

स्वाइन फ्लू से जूझ रहे पूर्वाचल के लोगों के लिए अच्छी खबर है। बीआरडी मेडिकल कॉलेज में ही अब इस बीमारी की जांच होगी। ये जांच एनआईवी सेंटर ही करेगा। डीजीएमई के हस्तक्षेप के बाद एनआईवी ये जांच करने को राजी हो गया। सूबे में इस समय स्वाइन फ्लू का प्रकोप फैला हुआ है। सिर्फ राजधानी में इससे दो दर्जन से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है। बीमारी से निपटने में बीआरडी को सबसे बड़ी मुश्किल जांच को लेकर हो रही थी। पिछले दो साल से यहां से जांच के नमूने पीजीआई लखनऊ भेजे जा रहे थे। सोमवार को डीजीएमई के दौरे से कॉलेज प्रशासन की समस्या सुलझ गई। उनके सामने मेडिसिन के विभागाध्यक्ष डॉ। महीम मित्तल ने इस समस्या को रखा। डीजीएमई ने तत्काल एनआईवी के सहायक वैज्ञानिक डॉ। दीपक पांडेय से बात की। जिसके बाद एनआईवी ने स्वाइन फ्लू की जांच के लिए हामी भर दी।

एक हफ्ते में शुरू हो एमआरआई सेंटर

बीआरडी पहुंचे डीजीएमई ने एमआरआई सेंटर का भी दौरा किया। करीब आठ करोड़ की लागत से लगे एमआरआई को बंद देखकर उनका पारा चढ़ गया। उन्होंने तत्काल टेक्नीशियनों के पद बढ़ाने की मौखिक स्वीकृति दे दी। जिम्मेदार संस्था को जमकर फटकार लगाने के साथ अगले एक हफ्ते में संचालन शुरू करने का निर्देश दिया।

ट्रॉमा सेंटर कर्मचारियों को राहत

करीब 16 महीने से वेतन की मांग कर रहे ट्रॉमा सेंटर के संविदा कर्मचारियों को राहत मिली है। डीजीएमई ने सभी कर्मचारियों को नव सृजित पद के सापेक्ष संविदा पर नियुक्त करते हुए वेतन भुगतान करने का आदेश दिया। हालांकि ट्रॉमा सेंटर में संविदा पर तैनात डॉक्टरों की संविदा भी खत्म कर दी गई।

बीआरडी को मिलेंगे सात करोड़

कैंपस की टूटी सड़कों व जर्जर भवनों के दिन बहुरने की उम्मीद जगी है। शासन ने मेडिकल कॉलेजों के जीर्णोद्धार के लिए 25 करोड़ रुपए दिए हैं। जिसमें से सात करोड़ गोरखपुर मेडिकल कॉलेज को मिले हैं। सोमवार को ये जानकारी डीजीएमई ने दी। उन्होंने बताया कि प्रदेश सरकार ने चिकित्सा-शिक्षा का फंड दो गुना कर दिया है। बढ़ी हुई रकम से मेडिकल कॉलेज का हाल सुधारा जाएगा।