- गायब सपा नेता की हत्या करके गेहूं के खेत में दफना दी थी प्रॉपर्टी डीलर संजय यादव डेड बॉडी

- बेलीपार एरिया के चेरिया गांव के पास हुई बरामदगी

GORAKHPUR: करीब सात माह से लापता सपा नेता प्रॉपर्टी डीलर संजय यादव की डेड बॉडी सोमवार को मिली। बेलीपार एरिया के चेरिया निवासी दानबहादुर यादव के खेत से पुलिस ने शव बरामद किया। प्रॉपर्टी के लिए बातचीत के बहाने बुलाकर बदमाशों ने संजय की गोली मारकर हत्या कर दी थी। वारदात की तह तक पहुंचने के लिए पुलिस ने दान बहादुर और आधा दर्जन सहयोगियों को अरेस्ट किया है। पूछताछ में सामने आया है कि चर्चित लाल बहादुर यादव मर्डर में मुखबिरी करने का बदला लेने के लिए सपा नेता की हत्या की गई। हालांकि प्रापर्टी और बालू खनन के विवाद को लेकर भी पुलिस जांच कर रही है। पूर्व में राजनीतिक दबाव के चलते पुलिस आरोपियों पर शिकंजा नहीं कस पा रही थी।

गोरखनाथ मंदिर के सामने आत्मदाह की धमकी

कजाकपुर निवासी सपा नेता संजय यादव अपनी आजीविका चलाने के लिए प्रापर्टी का काम करते थे। 24 अक्टूबर 2016 को वह घर से निकले। एक भूमि की सौदेबाजी के लिए वह कचहरी जाने के बजाय नौसढ़ की ओर चले गए। देर रात वह घर नहीं पहुंचे। उनका मोबाइल नंबर भी बंद हो गया। 25 अक्टूबर को संजय की फोर व्हीलर कुशीनगर जिले के हाटा कोतवाली एरिया में मिली। संजय के भाई दीपक यादव ने संजय के अपहरण का मुकदमा खोराबार थाना में दर्ज कराया। तभी से परिजन संजय की तलाश के लिए पुलिस अधिकारियों के चक्कर लगाते रहे। 21 मार्च को संजय की पत्‍‌नी ने पुलिस अधिकारियों को पत्र दिया। चेतावनी दी कि 27 मार्च को गोरखनाथ मंदिर के सामने वह बच्चों संग आत्मदाह कर लेगी। हरकत में आए पुलिस अधिकारियों ने संजय के घर जाकर परिवार वालों को मनाया। क्राइम ब्रांच की टीम संजय की तलाश में जुट गई। माफिया लाल बहादुर यादव के भाई दान बहादुर और विजय यादव पर शक की अंगुली उठी। पुलिस ने दोनों को पकड़ा तो मर्डर की कहानी सामने आ गई।

जेसीबी से खोदकर निकाली डेड बॉडी

दान बहादुर और विजय ने पुलिस को बताया कि उसके बड़े भाई लाल बहादुर की यूनिवर्सिटी गेट के सामने गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। इस मामले में विनोद उपाध्याय और उसके साथियों का नाम आया था। विनोद से संजय यादव का पुराना जुड़ाव था। इस वजह से लाल बहादुर मर्डर में उस पर मुखबिरी करने का शक पुख्ता था। आरोपियों को यकीन था कि संजय यादव की मुखबिरी पर ही लाल बहादुर मारे गए। हालांकि प्रापर्टी के कारोबार से संजय की नजदीकी दान बहादुर और अन्य के साथ थी.कभी कभार प्रापर्टी को लेकर को उनके बीच मनमुटाव भी होते रहे थे। इसलिए मौका देखकर दोनों भाइयों ने उसके मर्डर की साजिश रच दी। बिहार के तीन और अपने अन्य साथियों के साथ मिलकर उसकी लाइसेंसी बंदूक से गोली मारकर हत्या कर दी। रात होने पर जेसीबी से डेड बॉडी को गेहूं के खेत में दफना दिया।

राजनीतिक दबाव में नहीं हो रहा था खुलासा

मामले की शुरूआती जांच में ही संजय के बारे में पुलिस को सुराग मिल गए थे। लेकिन एक नेता के दबाव में पुलिस कार्रवाई से हिचक रही थी। जबकि संजय के परिजनों ने पुलिस को बता दिया था कि 24 अक्टूबर को संजय की कार बेलीपार एरिया के महाबीर छपरा में ढाबे पर खड़ी देखी गई थी। बावजूद इसके पुलिस मामले की तह तक नहीं पहुंच सकी। दान बहादुर की निशानदेही पर पुलिस ने सोमवार को खेत की खुदाई कराई। पिपराइच के नायब तहसीलदार, खोराबार और क्राइम ब्रांच की मौजूदगी में डेड बॉडी बाहर निकाली की गई। संजय का परिचय पत्र, गाड़ी की चाबी, जूते और उनकी घड़ी भी बरामद हुई।

पहले भी हुई थी पूछताछ

संजय के परिजनों की सूचना पर पुलिस ने लाल बहादुर से जुड़े लोगों से पूछताछ की थी। खोराबार पुलिस कुछ लोगों को पकड़कर ले जाती थी। लेकिन एक नेता के दबाव में उनको चंद मिनटों में छोड़ दिया जाता था। हालांकि पुलिस को मर्डर का सुराग पहले ही लग चुका था। लेकिन सटीक जानकारी के अभाव में जांच टीम भटकती रही।

संजय यादव के अपहरण की गुत्थी लगभग सुलझ गई है। कुछ लोगों को हिरासत में लेकर पूछताछ की जा रही है। अभियुक्तों की गिरफ्तारी के लिए टीम दबिश दे रही है।

अभय कुमार मिश्र, सीओ कैंट