गोरखपुर (ब्यूरो)।एमओयू के बाद दोनों यूनिवर्सिटी एजुकेशन के साथ ही रिसर्च को बढ़ावा देने में भी एक-दूसरे की मदद करेंगे। इसे लेकर पहल गोरखपुर यूनिवर्सिटी की ओर से की गई है। दोनों यूनिवर्सिटीज के बीच इसे लेकर सहमति बन चुकी है।
रिसर्च के सब्जेक्ट्स पर बात
यूनिवर्सिटी के इंटरनेशनल सेल के डायरेक्टर डॉ। रामवंत गुप्ता और इंस्टीट्यूट ऑफ एग्रीकल्चर एंड नेचुरल साइंसेज के डायरेक्टर डॉ। शरद कुमार मिश्र ने बुधवार को शेरे बांग्ला एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी के आंतरिक गुणवत्ता आश्वासन प्रकोष्ठ के डॉ। तुहिन सुवनो राय से इसे लेकर बातचीत की। बातचीत में एग्रीकल्चर क्षेत्र में हो रहे रिसर्च के सब्जेक्ट्स पर दोनों पक्षों के बीच विचार-विमर्श किया गया। दोनों यूनिवर्सिटीज के प्रतिनिधि इस निष्कर्ष पर पहुंचे कि भारत और बांग्लादेश दोनों देशों की एग्रीकल्चर रिसर्च में व्यापक रुचि है और और सभी स्तरों पर उत्कृष्ट शिक्षण के प्रति प्रतिबद्धता है।
वर्कफोर्स को करना है मजबूत
शेरे बंगला एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी के डॉ। मिर्•ाा हसनुज्जमां ने कहा कि इस साझेदारी का प्राथमिक उद्देश्य उद्योग की आवश्यकताओं और युवाओं के पास मौजूद कौशल के बीच अंतर को पाटना और एग्रीकल्चर क्षेत्र में कार्यबल को मजबूत करना है। प्रो। शरद कुमार मिश्र ने यूनिवर्सिटी में एग्रीकल्चर को लेकर चल रही शोध गतिविधियों की जानकारी दी और हर स्तर सहयोग की बात कही। प्रो। दिनेश यादव ने शोध के क्षेत्र में सहयोग को लेकर अपना पक्ष रखा। बायोटेक्नोलाजी विभाग के विभागाध्यक्ष प्रोफेसर राजर्षि गौर ने कहा कि एग्रीकल्चर के दायरे में फसलों की खेती, जानवरों को पालने आदि शामिल हैं।
गोरखपुर यूनिवर्सिटी और बांग्लादेश के यूनिवर्सिटी के बीच एजुकेशन और रिसर्च को लेकर एमओयू की पृष्ठभूमि बन गई है। बहुत जल्द एमओयू की प्रक्रिया पूरी की जाएगी। इस एमओयू से एग्रीकल्चर की फील्ड में रिसर्च को नया आयाम मिलेगा।
प्रो। पूनम टंडन, वीसी, डीडीयूजीयू