- इस बार यूनिवर्सिटी रख रही है फूंक-फूंक के कदम
- 8 डिजिट का होगा बारकोड, जबकि हर पेज की क्वालिटी पर भी यूनिवर्सिटी सख्त
- लास्ट इयर बारकोड मिट जाने की वजह से रिजल्ट में फंस गया था पेंच, काफी मशक्कत के बाद डिक्लेयर हो सके थे रिजल्ट
GORAKHPUR : गोरखपुर यूनिवर्सिटी में इस बार रिजल्ट को लेकर कोई पंगा न हो, इसके लिए डीडीयू एडमिनिस्ट्रेशन ने अभी से तैयारियां शुरू कर दी हैं। सेशन ख्0क्ख्-क्फ् में रिजल्ट को लेकर हुई प्रॉब्लम को ध्यान में रखते हुए यूनिवर्सिटी फूंक-फूंक कर कदम आगे बढ़ा रहा है। उन्होंने इसके लिए अभी से तैयारियां शुरू कर दी हैं। इस बार भी कॉपियों में बारकोडिंग की जाएगी, साथ ही कुछ सेफ्टी मेजर्स और बढ़ाए जा रहे हैं, जिससे स्टूडेंट्स को किसी तरह की प्रॉब्लम न फेस करनी पड़े। कॉपियों और बारकोड की रीडिंग में कोई प्रॉब्लम न आने पाए इसके लिए यूनिवर्सिटी ने बारकोड डालने और कॉपी सप्लाई करने वाली फर्म को जरूरी हिदायत भी दे दी है।
8 डिजिट का होगा बारकोड
यूनिवर्सिटी एडमिनिस्ट्रेशन इस बार किसी भी तरह के समझौते के मूड में नहीं है। यूनिवर्सिटी और उससे एफिलिएटेड कॉलेजेज में करीब फ्भ् लाख कॉपियों की खपत होनी है। इसके लिए यूनिवर्सिटी एडमिनिस्ट्रेशन ने 7 के बजाए इस बार 8 डिजिट का बारकोड तय किया है। इससे कॉपियों की स्कैनिंग और भी आसानी से हो सकेगी। वहीं कॉपियों का सारा रिकॉर्ड भी डिजिटली अपडेट रखा जाएगा, जिससे कि कॉपियों को दोबारा निकालने या ढूंढने में भी कोई प्रॉब्लम न फेस करनी पड़े।
'बारकोड' के झोल में फंस गए थे रिजल्ट
डीडीयू गोरखपुर यूनिवर्सिटी में सेशन ख्0क्ख्-क्फ् की कॉपियों में बारकोडिंग की व्यवस्था की गई थी। डीडीयू को उम्मीद थी कि इससे एक तरफ जहां डाटा स्टोरेज में काफी आसानी हो जाएगी, वहीं दूसरी ओर कॉपियों को सर्च करने में भी कोई दिक्कत नहीं पेश आएगी। उन्होंने कॉपियों में बारकोडिंग तो करवा ली, लेकिन कॉपियों की क्वालिटी और उन्हें प्रॉपरली नहीं रखे जाने की वजह से बारकोडिंग में प्रॉब्लम हो गई। इससे जब भी बारकोड खराब हो गए और स्कैन मशीन से बारकोड रीड नहीं हो सके। जिसकी वजह से रिजल्ट इनकंपलीट शो करने लगा। इसकी वजह से यूनिवर्सिटी के रिजल्ट काफी लेट हो गए।
कॉपियों पर होगा खास ध्यान
यूनिवर्सिटी एडमिनिस्ट्रेशन जहां बारकोड को लेकर काफी सीरियस है, वहीं वह कॉपियों की सप्लाई को लेकर भी किसी तरह से रिलैक्स होने के मूड में नहीं है। एग्जामिनेशन कंट्रोलर अखिलेश पाल की मानें तो कॉपियों की क्वालिटी पर भी किसी तरह से समझौता नहीं किया जाएगा, वहीं यह भी कोशिश की जा रही है कि किस तरह से बारकोड को और भी सिक्योर किया जा सके, जिससे कि बंडल में रहने के बाद भी वह न मिटें, जिससे कॉपियों की स्कैनिंग टाइमली और रिजल्ट भी वक्त पर निकल सकें।
इस बार मिला है कुछ फायदा
बारकोडिंग में प्रॉब्लम के बाद भी यूनिवर्सिटी बैकफुट पर नहीं गया। गलतियों से सबक लेते हुए उन्होंने कुछ जरूरी सेफ्टी मेजर्स अपनाए, जिसका उन्हें फायदा भी मिला। इस बार जिन स्टूडेंट्स को अपनी कॉपियां देखनी है, उसकी प्रॉसेस यूनिवर्सिटी ने स्टार्ट कर दी है। वहीं कुछ स्टूडेंट्स को कॉपियां दिखाने का सिलसिला भी शुरू हो सका है। यूनिवर्सिटी एडमिनिस्ट्रेशन की मानें तो अब तक बारकोडिंग को लेकर कोई प्रॉब्लम नहीं सामने आई है। उम्मीद है कि आगे भी कोई प्रॉब्लम नहीं होगी।
स्टूडेंट्स हमारी प्रियारिटी है। उन्हें किसी भी तरह की प्रॉब्लम न आए, इसका ध्यान रखा जा रहा है। बारकोडिंग इस बार भी की गई है, इसमें कई और सेफ्टीमेजर्स अपनाए जा रहे हैं जो कॉन्फिडेंशियल है। इसका स्टूडेंट्स को जरूर फायदा मिलेगा।
- प्रो। अशोक कुमार, वीसी, डीडीयूजीयू