- ट्यूज्डे को फिर सामने आया गेस पेपर

- पर्चा लीक नेक्सस को एक्सपोज करने में नाकाम यूनिवर्सिटी प्रशासन

GORAKHPUR : दीन दयाल उपाध्याय गोरखपुर यूनिवर्सिटी की ग्रेजुएशन की परीक्षाओं के पेपर फिर लीक हुए। ट्यूज्डे मार्निग आई नेक्स्ट के पास हाथ से लिखा एक गेस पेपर आया। यह पेपर दोपहर दो बजे से होने वाला बीए पार्ट टू पालिटिकल साइंस फ‌र्स्ट पेपर का था। एक सोर्स ने इसकी जानकारी आई नेक्स्ट को दी। वीसी का दावा था कि अगर पर्चा हमें पहले मिल जाए तो हम पूरे स्कैंडल का एक्सपोज कर सकते हैं और परीक्षा भी रद कर सकते हैं। ट्यूज्डे को आई नेक्स्ट ने करीब दोपहर क्ख् बजे गेस पेपर वीसी की टेबल तक पहुंचा दिया। उस समय भी उन्होंने ये दावा किया कि अगर ये गेस पेपर एक्जैक्ट निकला तो पॉलिटिकल साइंस का फ‌र्स्ट पेपर कैंसिल कर दिया जाएगा। शाम के भ् बजे जब बच्चे एग्जाम देकर बाहर निकले और आई नेक्स्ट ने पेपर का मिलान किया तो अधिकांश क्वेश्चन गेस पेपर से मेल खा रहे थे। उसके बावजूद वीसी ने पेपर कैंसिल नहीं कराया। ऐसे में यूनिवर्सिटी प्रशासन भी संदेह के घेरे में खड़ा होता है।

ओरिजनल पर्चे से पूरी तरह मेल खा रहे थे ये प्रश्न

प्रश्न संख्या एक

क्। प्लेटो का शिक्षा सिद्धांत

ख्। अरस्तू का संविधान का वर्गीकरण

फ्। राज्य के आधार इच्छा है शक्ति नहीं।

ब्। प्राचीन भारतीय राजनीतिक चिंतन की विशेषताएं

खंड अ

क्। अरस्तु के राज्य सिद्धांत की विवेचना कीजिए।

ख्। हाब्स के सामाजिक संविदा के सिद्धांत की विवेचना कीजिए।

खंड ब

क्। मांटेस्क्यू का शक्ति पृथक्करण का सिद्धांत।

ख्। ग्रीन के स्वतंत्रता संबंधी विचार।

फ्। कौटिल्य के परराष्ट्र संबंधी विचार।

ब्। गांधी के रामराज्य का सिद्धांत।

वीसी साहब पूछ रहे सूत्रधार

अखबार की एक सामाजिक जिम्मेदारी होती है कि कोई मामला सामने आने पर उसे एक्सपोज करे। सूत्र विश्वसनीयता के साथ जब कोई सूचना प्रेषित करता है तो तथ्यात्मक जांच के बाद उसको सामने लाने की जिम्मेदारी मीडिया की होती है। आई नेक्स्ट ने डीडीयूजीयू के पेपर आउट होने पर अपनी इसी जिम्मेदारी को निभाया। क्9 अप्रैल के अंक में आई नेक्स्ट ने 'डीडीयूजीयू का पर्चा आउट' शीर्षक से खबर प्रकाशित कर पेपर लीक का भंडाफोड़ किया। किस तरह से ग्रेजुएशन के पेपर होकर मार्केट में आ रहे हैं इसके बारे में बताया। ऐसे में यूनिवर्सिटी प्रशासन अपने आस्तीन के सांपों को ढूढ़ने के बजाय आई नेक्स्ट से ही सूत्र पूछ रहा है। परीक्षा नियंत्रक पत्र भेजकर बार-बार सूत्र और उसका मोबाइल नंबर मांग रहे हैं और उसके बाद उच्चस्तरीय कार्रवाई करने की बात कह रहे हैं। ऐसे में सवाल खड़ा होता है कि लगातार पर्चे आउट होने की भनक यूनिवर्सिटी को क्यों नहीं लग रही? हमने पूरा मामला पब्लिक के सामने रख दिया है। अब निर्णय आपका है। क्या परीक्षा नियंत्रक को अखबार के सूत्र पूछने चाहिए या फिर यूनिवर्सिटी प्रशासन को अपनी आस्तीन के सांपों को ढूढ़ना चाहिए।

आप हमें सूत्र का नाम और मोबाइल नंबर बताएं तब हम इस मामले की उच्चस्तरीय जांच कराएंगे।

प्रो। अशोक कुमार, वीसी, डीडीयूजीयू