- डीडीयूजीयू के प्राइमरी हेल्थ सेंटर पर स्टूडेंट्स को नहीं मिलती है दवाएं
-फैसिलिटी मिलने के बाद भी लगानी पड़ती है मेडिकल स्टोर की दौड़
GORAKHPUR: डीडीयूजीयू के प्राइमरी हेल्थ सेंटर को खुद इलाज की जरूरत है। यहां न तो दवाएं हैं और ना ही पर्याप्त डॉक्टर। आलम यह है कि हजारों स्टूडेंट्स की सेहत सिर्फ एक डॉक्टर के भरोसे है। मुश्किलें यही खत्म नहीं होती। अगर डॉक्टर ने मरीज को देख भी लिया तो भी स्टूडेंट्स को दवा लेने के लिए बाहर मेडिकल स्टोर की दौड़ लगानी पड़ रही है। यही वजह है कि स्टूडेंट्स यूनिवर्सिटी प्राइमरी हेल्थ सेंटर में जाने के बाद बजाए, दूसरे डॉक्टर्स का सहारा ले रहे हैं। जबकि यूनिवर्सिटी इनसे इलाज के नाम पर लाखों रुपए फीस वसूल करती है।
हर दिन आते हैं 60-70 स्टूडेंट्स
गोरखपुर यूनिवर्सिटी में तकरीबन 20 हजार स्टूडेंट्स पढ़ते हैं। इनसे हर साल एडमिशन के दौरान स्वास्थ्य फीस के नाम पर लाखों रुपए वसूले जाते हैं लेकिन स्टूडेंट्स की तबीयत बिगड़ने पर उन्हें प्राइमरी हेल्थ सेंटर से दवाएं नहीं मिलती। सोर्सेज की मानें तो डेली करीब 60-70 स्टूडेंट्स इलाज के लिए यहां आते हैं। मजबूरी में वह इलाज कराकर वापस लौट आते हैं। उनके मतलब की दवाएं न मिलने से वह किसी अन्य डॉक्टर या फिर मेडिकल शॉप पर जाने को मजबूर होते हैं।
आठ लाख रुपए का है बजट
यूनिवर्सिटी के प्राइमरी हेल्थ सेंटर पर दवाओं की खरीदारी के लिए 8 लाख रुपए का बजट निर्धारित है। यूनिवर्सिटी से जुड़े सोर्सेज की मानें तो इस साल महज एक लाख 20 हजार रुपए की दवाएं ही खरीदी गई है, जबकि बाकी बजट अभी बचा हुआ है। अब सवाल यह उठता है कि आखिरकार दवाओं की खरीदारी अब तक क्यों नहीं की गई? जबकि इसके लिए परचेज कमेटी भी बनाई गई है और काफी बजट भी बचा हुआ है।
डॉक्टर्स और एंप्लाइज की दरकार
यूनिवर्सिटी पीएचसी पर एक एलोपैथिक डॉक्टर है। एक पार्ट टाइम और एक फुल टाइम डॉक्टर की जगह पिछले कई सालों से भरी नहीं गई। वहीं यहां कर्मचारियों की भी दरकार है। मौजूदा वक्त में महज चार कर्मचारी हैं, जबकि अभी तीन की और जरूरत है। खास बात यह कि तीन कंपाउंडर, एक ओटी टेक्नीशियन, एक प्यून और दो वार्ड ब्वॉय तैनात हैं, लेकिन दवाएं न होने से कोई स्टूडेंट्स नहीं आता और यह सिर्फ टाइम पास करते रहते हैं।
मुझे कई दिनों से स्किन प्रॉब्लम है। लेकिन यहां इसकी कोई दवा मौजूद नहीं है। कई बार चक्कर लगाया, लेकिन नहीं मिली। केवल नाम का प्राइमरी हेल्थ सेंटर है।
- आशुतोष, एमए फर्स्ट इयर
पिछले कई दिनों से डीसेंट्री की प्राब्लम थी, लेकिन यहां दवाएं नहीं मिली। जिसके कारण मुझे दूसरे डॉक्टर से दिखाना पड़ा। कम से कम प्राइमरी हेल्थ सेंटर पर दवाएं तो होनी ही चाहिए।
संतोष, बीए सेकेंड इयर
दवाओं की परचेज के लिए कुल 8 लाख रुपए का बजट निर्धारित है। इसमें से 1 लाख 20 हजार रुपए की दवाओं की खरीदारी की गई है। बाकी दवाओं की खरीदारी की जाएगी।
डॉ। लक्ष्मी सुमन, मेडिकल ऑफिसर, प्राइमरी हेल्थ सेंटर, डीडीयूजीयू