- शोहरत, पैसा कमाने को जुड़ते जा रहे बदमाश
- रडार पर राणा सिंह, पांच अन्य की पुलिस ने शुरू की तलाश
GORAKHPUR: जेल की ऊंची चहारदीवारी चंदन सिंह के नेटवर्क को नहीं रोक पा रही। जेल में बैठे वह टेरर का सिक्का चला रहा है। उसकी मजदूरी में भारी मुनाफे का लालच युवकों को क्राइम की दुनिया में जाने को मजबूर कर रहा है। चंदन के नाम पर शोहरत, पैसा आता देखकर छह माह के भीतर गैंग में कई चेहरे शामिल हुए। इनकी लंबी फेहरिस्त के बीच से पुलिस अपने कामयाबी के रास्ते खोजने में लगी है। उधर देर शाम डीआईजी जेल आरपी सिंह ने जेल पहुंचकर जांच पड़ताल की। जेल में मोबाइल यूज करने को लेकर एसएसपी गोरखपुर ने प्रमुख सचिव गृह को पत्र लिखा था।
पुलिस के राडार पर राणा सिंह, अन्य चेहरों की तलाश
चंदन सिंह के दो शार्प शूटर्स संडे को जेल भेजे गए। अभय सिंह उर्फ गोलू सिंह तथा अखिलेश सिंह उर्फ भोला सिंह को चिलुआताल एरिया से अरेस्ट किया गया। दोनों ने तमाम वारदातों में शामिल होने की बात कबूल की। दोनों ने खुलासा किया कि चंदन के भाई नंदन सिंह सहित कई अन्य लोग वारदात कर रहे हैं। बदमाशों ने बताया कि सबसे खास साथी राणा सिंह है। पुलिस ने उसको टारगेट पर ले लिया है। एसटीएफ गोरखपुर यूनिट भी राणा सिंह की तलाश कर रही है। वह बिहार से लेकर पश्चिमी जिलों में रन कर रहा है। इसके साथ पुलिस पांच नये चेहरों को तलाश रही है। इनमें कुछ युवक कुशहरा के रहने वाले हैं। चंदन के लिए काम करने पर उनको काफी मुनाफा मिल रहा है। लोग चंदन के नाम से खौफ खाकर आसानी से रुपए दे रहे हैं।
राजनीतिक रसूखवाले रहे सेफ, नये लोगों को बनाया टारगेट
पुलिस की जांच में सामने आया कि चंदन सिंह ने सिटी के बड़े डॉक्टर को फोन नहीं किया। रंगदारी के लिए उसने किसी नामचीन को तंग नहीं किया। उसके गुर्गे जिसका नाम ले रहे हैं वही डॉक्टर उसकी जुबान पर है। बताया जाता है कि कई फेमस डॉक्टर्स का सिटी की बड़ी राजनीतिक हस्तियों से जुड़ाव है। इस वजह से चंदन सिंह और राणा सिंह उनका नाम अपनी जुबान पर नहीं ला सके। ऐसे लोगों को टारगेट बनाया जिनका किसी से कोई संपर्क न हो। अपने बचाव के लिए बड़े बिजनेसमैन भी फेमस हस्तियों से जुड़ने लगे हैं। ताकि उनको बदमाशों से प्रोटेक्शन मिल सके।
दबंग बंदियों के लिए ऊपर से आता है फोन
डीआईजी जेल आरपी सिंह शाम करीब सवा छह बजे जेल पहुंचे। उन्होंने बैरक नंबर एक से लेकर नौ तक के बंदी रक्षकों का बयान लिया। एक माह के भीतर तैनाती वाले ख्0 बंदी रक्षकों से बातचीत की। बंदी रक्षकों ने डीआईजी को बताया कि दबंग बंदी प्रतिबंधित चीजें यूज करते हैं। मना करने पर उनके लिए ऊपर से फोन आ जाता है। नौकरी खाने की धमकी दी जाती है। ऐसे बंदियों को चिन्हित करके दूसरे जेलों में शिफ्ट करने की कार्रवाई होगी। डीआईजी ने बंदी रक्षकों को कटघरे में खड़ा करते हुए पूछा कि जब बंदी प्रतिबंधित सामान यूज करते थे तो उनको रोका क्यों नहीं। रोका नहीं तो अफसरों से शिकायत क्यों नहीं की। इस सवाल पर बंदी रक्षक चुप हो गए। करीब दो घंटे तक की जांच पड़ताल के बाद डीआईजी रवाना हो गए।
पुलिस पूरी तरह से राणा सिंह पर फोकस है। चंदन के नये साथियों की तलाश भी की जा रही है। पुलिस की अलग-अलग टीमें काम कर रही हैं। जल्द ही कुछ बदमाशों को दबोच लिया जाएगा।
रामकृष्ण भारद्वाज, एसएसपी