ravindra.pathak@inext.co.in

नाम: मनोज निषाद

उम्र: 25 साल

शिक्षा: आठवीं पास

शौक: मशीनों से खेलना

ये छोटी सी प्रोफाइल है उस नौजवान की जिसने अपनी लगन से पानी पर बाइक दौड़ा दी है। सीधे-सपाट शब्दों में कहें तो जुगाड़ टेक्नोलॉजी के सधे हुए इस्तेमाल से मनोज ने वाटर मोटर बाइक तैयार की है। खर्च महज 10 हजार रुपये। बाइक का सेकेंड हैंड 135 सीसी का टू स्ट्रोक इंजन और साथ में कुछ देसी जुगाड़ से बनी इसकी बाइक न सिर्फ ठीक-ठाक स्पीड में दौड़ती है बल्कि मूवमेंट में भी जोरदार है।

पेशे से कार मैकेनिक

गोरखपुर सिटी से करीब 15 किमी दूर जंगल धूसड़ एरिया के ककरहिया गांव के रहने वाले मनोज का मशीनों से लगाव पुराना है। बतौर कार मैकेनिक रोजी-रोटी चलाने वाले मनोज एक बार चेन्नई गए तो वहां उन्होंने वाटर स्पो‌र्ट्स में यूज होने वाली वाटर बाइक देखी। कीमत जान हैरान हुए क्योंकि सस्ती से सस्ती बाइक भी 15 लाख से कम की नहीं थी। बस उन्होंने ठान लिया कि कुछ ऐसी ही वाटर बाइक वो खुद बनाएंगे। पूंजी नहीं थी तो उनके फ्रेंड मनोज ओझा ने मदद की। फिर क्या, अपने छोटे भाई और मनोज ओझा की मदद से मनोज निषाद ने करीब 40 हजार रुपये खर्च कर बाइक के 100 सीसी वाले पुराने इंजन से 28 मार्च 2015 को अपनी पहली वाटर बाइक अपने गांव के ही एक तालाब में चलाकर सबको चौंका दिया। हालांकि इस बाइक से वो संतुष्ट नहीं थे। एक तो खर्च ज्यादा, दूसरे स्पीड बेहद कम।

नये साल का तोहफा

मनोज ने दोबारा मेहनत शुरू की और इस बार उन्होंने 135 सीसी का इंजन जुगाड़ा और पुराने ड्रम की मदद से नई वाटर बाइक तैयार की। खर्च किया सिर्फ 10 हजार। एक जनवरी 2016 को नये साल के तोहफे के तौर पर उनकी ये बाइक पानी पर ऐसी दौड़ी कि आस-पास के कई गांव के लोगों का मजमा लग गया। आई नेक्स्ट को मनोज ने हंसते हुए बताया कि पुरानी बाइक से उन्होंने छठ मेले के दिन लोगों को तालाब की सैर करा कर करीब 300 रुपये कमाए भी थे।

टूरिज्म व फ्लड रिलीफ में फायदेमंद

ये वाटर बाइक किस काम की? इस सवाल पर मनोज कहते हैं कि हमारे गोरखपुर में रामगढ़ ताल टूरिस्ट को बहुत पसंद आता है। उसमें यदि आठ-दस ऐसी वाटर बाइक चलें तो लोगों को और ज्यादा मजा आए। ये बिल्कुल सेफ है। ड्रम की वजह से कभी डूब नहीं सकती। मैं चाहता हूं कि लोकल एडमिनिस्ट्रेशन मुझसे ऐसी वाटर बाइक बनवाए, मैं खुशी-खुशी बिना किसी प्रॉफिट के ये काम करने को तैयार हूं। इस वाराणसी और इलाहाबाद में भी गंगा में सैर के लिए या फिर दूसरी नदियों में टूरिस्ट के लिए भी यूज किया जा सकता है। जहां 10 हजार में सेकेण्ड हैंड बाइक नहीं मिलती, वहां वाटर बाइक का इस्तेमाल कहीं ज्यादा मजेदार और किफायती होगा। इसे बाढ़ में भी मदद के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है।

'गांव का हूं सर, कहां जाऊंगा'

मनोज निषाद वाटर मोटर बाइक से पहले इंजन के पिस्टन में रिंग डालने का एक टूल बना चुके हैं। जबकि इसके बाद उन्होंने बिना रबर वाली कपलिंग भी बनाने में सफलता हासिल की। मगर अपने सभी अविष्कार को ये शासन-प्रशासन तक नहीं पहुंचा सके। कहते हैं कि 'मैं तो गांव का हूं सर, कहां जाऊंगा सबको बताने'। एक बार डीएम साहब से मिला मगर उन्होंने कोई इंटरेस्ट नहीं दिखाया। प्रधान जी ने भी कोई रास्ता नहीं बताया। इसलिए गांव में ही पड़ा हूं।