- महिला अस्पताल के न्यू बिल्डिंग का हाल
- पिछले वर्ष आए भूकंप में पूरी बिल्डिंग में आई थी दरार
- फिर भूकंप के आ जा रहे झटके, नहीं चेत रहा प्रशासन
GORAKHPUR: पिछले साल भूकंप के झटके ने महिला अस्पताल की न्यू बिल्डिंग को हिलाकर रख दिया। इसकी वजह से बिल्डिंग में दरार आ गई थी। पूरी बिल्डिंग पर खतरा है, लेकिन आज भी यहां मरीजों को इलाज चल रहा है। स्थिति यह है कि अगर दोबारा गोरखपुर में भूकंप आया तो यह बिल्डिंग खतरे का सबब बन सकती है। गौरतलब है कि चार दिन पहले ही दिल्ली और आस-पास के एरियाज में भूकंप के झटके महसूस किए गए।
एक बार हिल चुकी है बिल्डिंग
नेपाल देश से सटे आसपास के इलाकों में 2015 के अप्रैल माह में आए भूकंप के झटके ने सभी को हिलाकर रख दिया था। गोरखपुर में झटके की वजह से कई बहुमंजिला इमारतों को नुकसान पहुंचा था। वहीं महिला अस्पताल की न्यू बिल्डिंग के तीन मंजिली इमारत में भी इससे दरारें आ गई थीं। यह दरारें ग्राउंड फ्लोर से लेकर टॉप फ्लोर तक साफ दिखती हैं। सिर्फ इतना ही नहीं, बिल्डिंग की खिड़कियों में लगे शीशे भी टूट गए थे। इसकी वजह से यहां भर्ती मरीजों को तब दूसरे वार्ड में शिफ्ट कर दिया गया था।
यहीं है नवजात देखभाल कॉर्नर
न्यू बिल्डिंग में वर्तमान में प्राइवेट वार्ड व नवजात देखभाल कॉर्नर शुरू किया गया है। जहां करीब दो नवजात शिशु और तीन मरीजों का इलाज चल रहा है। जाहिर सी बात है कि जिस तरह से बिल्डिंग में दरारें हैं, इन लोगों की दिन-रात मौत के साए में ही कट रही है। साथ ही यहां तैनात हेल्थ एंप्लॉईज के ऊपर भी खतरा है।
संस्था कहती है नुकसान नहीं हुआ
करोड़ों की लागत से तीन साल पहले तैयार की गई बिल्डिंग में दरार आने की सूचना पर अफरा-तफरी का माहौल व्याप्त हो गया था। आनन-फानन में सीएनडीएस कार्यदायी संस्था ने पूरी बिल्डिंग का इस्पेक्शन किया था। इस बीच उन्होंने कहा था कि बिल्डिंग में भूकंप से किसी प्रकार का नुकसान नहीं हुआ है। दरार पड़े जगहों की मरम्मत कराई जा रही है।
30 नंबर वार्ड की टूट चुका बाथरूम
न्यू बिल्डिंग के ऊपरी वाली मंजिल में स्थित सभी कमरों में ताले लगे हुए हैं। वहीं 30 नंबर प्राइवेट वार्ड के दरवाजे पर एक लिस्ट चस्पा की गई है। इसपर दर्ज है कि इस वार्ड का शौचालय पूरी तरह से ध्वस्त है। जो काम नहीं कर रहा है।
नहीं चले रहे लिफ्ट
मरीजों को ऊपर ले जाने और लाने के लिए लाखों की लागत से लगे लिफ्ट वार्ड चालू होने के बाद से नहीं चलाए गए। सूत्रों की मानें तो ट्रायल के लिए जिस समय लिफ्ट चलाया गया था उस समय चार कर्मचारी ऊपरी मंजिल के बीच में जाकर फंस गए। इसके बाद से ही यह लिफ्ट बंद पड़ी है।