- वार्ड नं 39 और 41 में हालत है खराब

GORAKHPUR:

शहर के जिम्मेदार भले कितना ही दावा कर लें, लेकिन मोहल्लों की हालत अपनी हकीकत खुद बयां कर देती है। सिटी में किसी भी कॉलोनी में निकल जाइए, बजबजाती नालियां और गंदगी का अंबार नजर आ जाएगा। ट्यूज्डे को आई नेक्स्ट टीम ने वार्ड नं 39 और वार्ड नं 41 में हालात का जायजा लिया। दोनों वार्डो में तीन-तीन पार्षद होने के बावजूद, सफाई व्यवस्था बदहाल है।

वार्ड नं - 41 मिर्जापुर

निर्वाचित पार्षद : सौरभ विश्वकर्मा

मनोनीत पार्षद : विनोद अग्रहरि, इफ्तेहार अहमद बबलू

वार्ड एरिया- लगभग दो वर्ग किमी

जनसंख्या- लगभग 26 हजार

मोहल्ले- 10

तैनात सफाई कर्मचारी- 28 सरकारी

सफाई कर्मचारियों पर खर्च वेतन- 5.25 लाख रुपए पर मंथ

वैसे तो पूरा शहर ही कटोरेनुमा है, लेकिन मिर्जापुर वार्ड अन्य वार्डो से उंची जगह पर स्थिति है। इस तरह की प्राकृतिक बनावट ऐसी होने के बावजूद नगर निगम के कर्मचारियों की लापरवाही ने इस वार्ड को नरक बना दिया है। स्थिति यह है कि गलियों की नालियां सिल्ट के दबाव में जाग हो गई हैं। कई नालियां तो ऐसी हैं, जिनमें पानी की जगह केवल कूड़ा ही दिख रहा है। नालियों का पानी सड़क पर बह रहा है। नागरिक किस जिम्मेदार से अपनी प्रॉब्लम को लेकर जाएं, उसको लेकर कंफ्यूज हो गई है। क्योंकि इस वार्ड में एक नहीं बल्कि तीन-तीन पार्षद तैनात हैं और सभी जनहित में काम करने का दावा कर रहे हैं।

सबसे अधिक प्रॉब्लम सुबह और शाम को होती है। जब नालियों का पानी ओवर फ्लो होकर सड़क पर बहने लगता है। सुबह स्कूल जाने वाले बच्चे घर से निकलते हैं तो रास्ते पर लगे पानी के कारण कई बार गिर जाते हैं। जिससे उनकी ड्रेस खराब हो जाती है।

अंजू गुप्ता, हाउसवाइफ

किससे कंप्लेन करें इसको लेकर बहुत कंफ्यूज हो गए हैं। यहां तीन-तीन पार्षद हैं और जब किसी के पास जाते हैं तो वह दूसरे के पास भेज देते हैं। इस तरह प्रॉब्लम वैसी की वैसी रह जाती है।

मो। इस्माइल, रेजीडेंट

वार्ड नं- 39 रायगंज

पार्षद- मनोनीत पार्षद शिवाजी शुक्ल, सुनील यादव और निर्वाचित पार्षद नीलम यादव

वार्ड एरिया- लगभग डेढ़ वर्ग किमी

जनसंख्या- 20 हजार

मोहल्ले- 8

तैनात सफाई कर्मचारी- 11 सरकारी, 6 कैजुअल और 6 आउटसोर्सिग

सफाई कर्मचारियों पर खर्च वेतन- सरकारी कर्मचारी पर हर मंथ 2.31 लाख रुपए, 48 हजार रुपए और आउटसोर्सिग पर 51012 रुपए

रायगंज शहर के सबसे घनी आबादी वाला एरिया है। इस वार्ड के बीच से सिटी का सबसे बड़ा नाला भी गुजरता है। उसके बाद भी वार्ड के मोहल्लों की गलियों में जल-जमाव की हालत बनी रहती है। यह जल-जमाव केवल बारिश के मौसम में ही नहीं, बल्कि पूरे साल बना रहता है। सफाईकर्मियों की हालत यह है कि रोड की सफाई तो कर देते हैं, लेकिन नालियों की सफाई न होने के कारण सुबह और शाम पानी सड़कों पर बहने लगता है। पिछले साल बरसात के मौसम में इस एरिया से लगभग 35 से अधिक डायरिया के मरीज अस्पताल में भर्ती हुए थे। तीन-तीन पार्षद होने के बावजूद गंदगी से भरी नालियों को लेकर पब्लिक परेशान है कि आखिर यह पार्षद किस काम के हैं।

नाले और नालियों की सफाई न होने के कारण सुबह सड़कों पर गंदा पानी फैल जाता है, जिसके कारण आने-जाने में काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है। सफाईकर्मियों से कहने पर वह कहते हैं कि हमारा काम नाली साफ करना नहीं है।

संजय कुमार, रेजीडेंट

कई बार तो सफाईकर्मियों और मोहल्लेवासियों से इस बात को लेकर बवाल भी हो जाता है। जब हंगामा होता है तब वह नालियों की सफाई कर देते हैं, लेकिन उसके बाद हालत यह होती है कि सड़कों की सफाई करने वाले भी गायब हो जाते हैं।

प्रभु दयाल, रेजीडेंट

हमारे वार्ड में सब कुछ भगवान भरोसे चल रहा है। पिछले एक साल से मैं अपने वार्ड में एक नाला बनाने की मांग कर रही हूं, लेकिन नाला नहीं बन रहा है। नाला न बनने के कारण मोहल्लों की गलियों का पानी भी निकलने में मुश्किल हो रही है।

नीलम यादव, पार्षद