- घटिया काम करने वाले ठेकेदार पर कार्रवाई न करने पर चीफ इंजीनियर को पार्षद ने दिया धक्का

- मेयर ने की निंदा, फिर बेनतीजा समाप्त हुई बैठक

GORAKHPUR : नगर निगम बोर्ड की 13वीं बैठक पर ग्रहण लगा हुआ है। दो बार से बवाल के चलते कैंसिल हो रही मीटिंग मंगलवार को भी हंगामे की भेंट चढ़ गई। जैसे ही मीटिंग शुरू हुई, 30 मिनट बाद वार्ड नं 66 नेताजी सुभाष चंद्र बोस नगर कॉलोनी के पार्षद मोहन सिंह ने चीफ इंजीनियर एसके केसरी पर ठेकेदारों से मिलीभगत का आरोप लगाते धक्का दे दिया। इसके बाद अफसरों और कर्मचारियों ने बोर्ड मीटिंग का बहिष्कार कर दिया। अध्यक्षता कर रही मेयर डॉ। सत्या पांडेय ने इस घटना की निंदा करते हुए मीटिंग समाप्त करने की घोषणा कर दी। मीटिंग में उपस्थित प्रभारी नगर आयुक्त रबीस चंद ने भी बोर्ड मीटिंग का बहिष्कार कर दिया।

तीन दिन चले ढाई कदम

नगर निगम बोर्ड की 13वीं बैठक 18 सितंबर को ऑर्गनाइज हुई। पहले दिन कार्यवृत्ति पर चर्चा हुई गई और उसके बाद शोक सभा आयोजित करके स्थगित कर दी गई। इसके बाद फिर 21 सितंबर फिर मीटिंग आयोजित की गई। यह मीटिंग मेयर की अनुमति से पूर्व मनोनीत पार्षद के निधन पर शोक सभा में तब्दील हो गई। वहीं तीसरे दिन 22 सितंबर को हुई मीटिंग में अनुपालन आख्या पर आधी चर्चा ही हो पाई थी, बैठक में बवाल हो गया और बैठक रद्द कर दी गई। कुल मिलाकर तीन दिन में मात्र ढाई बिंदुओं पर ही चर्चा हो पाई है।

पहले भी हुए हंगामे

नगर निगम की बोर्ड मीटिंग में पार्षदों और अफसरों के बीच इस तरह की घटनाओं का पुराना इतिहास रहा है। अभी तक सिर्फ चार या पांच मीटिंग ऐसी हुई हैं, जिसमें शहर के मुद्दों पर चर्चा हुई। अन्य मीटिंग बवाल की भेंट चढ़ चुकी हैं। बोर्ड की चौथी मीटिंग में वार्ड नं 59 घोसीपुरवां के पार्षद मंतालाल यादव ने यादव ने तत्कालीन चीफ इंजीनियर जितेंद्र केन को चप्पल मारने की कोशिश की। इसके बाद पांचवीं मीटिंग शोक सभा में तब्दील हो गई। इसके बाद आठवीं और नौवीं मीटिंग में पार्षदों ने मुख्य नगर स्वास्थ्य अधिकारी के विरोध में सदन में हंगामा कर दिया। हालांकि 11वीं और 12वीं मीटिंग में कुछ चर्चा हुई और शहर के विकास कार्यो पर सदन में कुछ बहस हुई। लेकिन 13वीं मीटिंग में हंगामा हो रहा है।