- दुनिया की तीसरी सबसे खतरनाक बीमारी है सीओपीडी, स्मोकिंग है मेन रीजन
- हर साल 6.5 करोड़ लोगों की चली जाती है जान
GORAKHPUR : सीओपीडी (क्रॉनिक ऑब्स्ट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज) दुनिया में तीसरी ऐसी खतरनाक बीमारी है, जिससे लोगों की जान जा रही है। सिर्फ सीओपीडी की वजह से वर्ल्ड में हर साल करीब 30 लाख लोगों की जान जा रही है, जबकि सिर्फ इंडिया में पांच लाख लोग इस बीमारी का शिकार बनकर काल के गाल में समा रहे हैं। इसका मेन कारण स्मोकिंग का शौक है, जो जानलेवा साबित हो रहा है। इसकी सबसे अहम वजह अवेयरनेस की कमी है। जिस वजह से दुनिया के करीब 80 फीसदी लोग इसकी चपेट में हैं। सिगरेट, बीड़ी, हुक्का के साथ ही चूल्हे का धुआं भी इस बीमारी से जूझ रहे मरीजों के लिए काफी खतरनाक है। दुनिया भर में सीओपीडी से जुड़ी अवेयरनेस की कमी को देखते हुए 1998 में एक अभियान शुरु किया गया। इसमें वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन और एनएचएलबीआई के सहयोग से गोल्ड की स्थापना की गई, जो लगातार अवेयरनेस बढ़ाने और उपचार के लिए जरूरी दिशा-निर्देश बनाती है।
क्या है सीओपीडी?
सीओपीडी यानी क्रॉनिक ऑब्स्ट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज एक ऐसी बीमारी है, जिसके बढ़ने पर लोगों को सांस लेने में मुश्किल होने लगती है। इसमें सांस की नलियां सिकुड़ती चली जाती है और सूजन बढ़ती रहती है। समय के साथ बीमारी बढ़ती चली जाती है, जिससे लोग लगातार मौत के करीब पहुंच रहे हैं। एक रिसर्च के मुताबिक, रोजाना करीब 500 एमएल या इससे ज्यादा कोल्ड ड्रिंक्स का इस्तेमाल करने वालों में भी इसके बढ़ने की संभावना रहती है।
डराते हैं आंकड़े
- दुनिया भर में 6.5 करोड़ लोग गंभीर सीओपीडी से पीडि़त हैं।
- हर साल 30 लाख से ज्यादा लोगों की सीओपीडी से जाती है जान
- विकासशील देशों में 90 प्रतिशत होती हैं मौतें।
- 2030 तक सीओपीडी दुनिया में मौत देने वाली दूसरी सबसे बड़ी वजह होगी।
क्या हैं लक्षण?
- सांस फूलना
- बलगम के साथ खांसी
- गले में घरघराहट
- खून की कमी
- सांस लेने में तकलीफ जो काम करने के साथ और भी बढ़ती जाती है।
- छाती में जकड़न या खिंचाव महसूस होना
क्या है कारण?
- स्मोकिंग
- पैसिव स्मोकिंग
- पॉल्युटेड एटमॉस्फियर में काम करना
- जेनेटिक
ऐसे बचें
- स्मोकिंग छोड़ दें।
- फल, सब्जियों के साथ डाइट में ज्यादा से ज्यादा प्रोटीन का इस्तेमाल करें।
- लिक्विड डाइट का इस्तेमाल करें।
- डॉक्टर्स के अकॉर्डिग ही इनहेलर, स्टेरॉयड और एंटीबायोटिक्स का इस्तेमाल करें।
- डॉक्टर्स के कहने पर ऑक्सीजन थेरेपी जरूर लें।
- हर साल फ्लू और निमोनिया का टीका लगवाएं।
- वेदर चेंज के दौरान खास ध्यान दें और ठंड से बचें।
- फेफड़ों को नुकसान पहुंचाने वाली चीजों का इस्तेमाल बंद कर दें।
- अपने घर में वेंटिलेशन की प्रॉपर व्यवस्था करना।
- रेग्युलर एक्सरसाइज करें। एक अच्छी दौड़ फायदेमंद साबित होगी।
- डॉक्टर्स से कंसल्ट करते रहें।
वर्जन
सीओपीडी पूरी दुनिया के सामने बहुत गंभीर समस्या है। इसमें सांसों की नलियां सिकुड़ जाती हैं, जो निरंतर ही बढ़ती चली जाती है। लोगों को इसे लेकर अवेयर करने की जरूरत है। पेशेंट्स को भी सावधानी बरतनी चाहिए। अगर प्रॉब्लम हो, तो फौरन ही एक्सपर्ट से संपर्क करें।
डॉ। अश्वनी कुमार मिश्रा, एचओडी, चेस्ट डिपार्टमेंट, बीआरडी
स्मोकिंग फौरन बंद कर सीओपीडी के रिस्क फैक्टर से बचा जा सकता है। साथ ही पॉल्युशन से भी बचकर इस गंभीर बीमारी से बचा जा सकता है। चूल्हे पर खाना बनाने से भी यह बीमारी हो सकती है, इसलिए जहां तक पॉसिबल हो गैस चूल्हे का इस्तेमाल करें।
- डॉ। सूरज जायसवाल, एमडी, चेस्ट