हवा में चल रहा कंट्रोल रूम

GORAKHPUR:

बाढ़ आई तो डूब जाना, मगर कंट्रोल रूम फोन नहीं करना। क्योंकि बाढ़ से बचाव के लिए बना कंट्रोल रूम हवा में चल रहा है। ये हम नहीं बल्कि वहां की हकीकत बयां कर रही हैं। कंट्रोल रूम में लगे लैंडलाइन फोन की आउटगोइंग बंद है तो वायरलेस का पता नहीं है। 8-8 घंटे की ड्यूटी लगने के बावजूद कंट्रोल रूम में एक भी कर्मचारी का पता नहीं रहता। कंट्रोल रूम का नंबर भी अगर कनेक्ट हो जाए, तो किस्मत है। जबकि मुख्य सचिव को भेजी गई जानकारी में कंट्रोल रूम सुव्यवस्थित रूप से रन कर रहा है।

कंट्रोल रूम में नहीं नजर आते कर्मचारी

बाढ़ से बचाव के लिए मानसून की दस्तक के साथ ही प्रदेश सरकार ने अलर्ट जारी कर दिया। मुख्य सचिव ने बाढ़ प्रभावित जिलों में कंट्रोल रूम बनाने का आदेश देने के साथ अन्य सभी जरूरतें पूरा करने का निर्देश दिया। निर्देश आते ही जिलाधिकारी ने 15 जून को कंट्रोल रूम बनाने का आदेश दे दिया। आपदा विभाग में कंट्रोल रूम बनाने के साथ तीन शिफ्ट में ड्यूटी लगाई गई। जिससे तटीय इलाकों से आने वाली सभी रिपोर्ट पर एक्शन लेने के साथ शासन को भेजी जा सके। साथ ही 24 घंटे कंट्रोल रूम में जानकारी का आदान-प्रदान हो सके। एक शिफ्ट में एक अधिकारी, एक बाबू और एक फोर्थ क्लास इंप्लाई की ड्यूटी लगाई गई। मगर दिन हो या रात, कंट्रोल रूम अक्सर खाली पड़ा रहता है।

न वायरलेस और न आउटगोइंग

जिस तरह हथियार के बिना बॉर्डर पर सेना का जवान बेकार होता है, उसी तरह कंट्रोल रूम वायरलेस के बिना बेकार है। क्योंकि कंट्रोल रूम में फोन से मिलने वाली सूचना को जल्द से जल्द बचाव के लिए संबंधित विभाग या अधिकारी तक पहुंचाने में वायरलेस की जरूरत पड़ती है। साथ ही कंट्रोल रूम में लगे फोन की बिजली का बिल जमा न होने से आउटगोइंग भी बंद है। मतलब कंट्रोल रूम में आने वाली जानकारी को कैसे अधिकारियों तक पहुंचाया जाए, यह सबसे बड़ा सवाल है?

रीचेक कर चुके हैं डीएम

मुख्य सचिव को कंट्रोल रूम सुचारू रूप से चलने के बाद जिलाधिकारी भी इसकी रीचेकिंग कर चुके हैं। हालांकि उस रीचेक में कंट्रोल रूम पास हो गया था। डीएम के फोन पर कंट्रोल रूम का फोन पिक भी हुआ था। मगर पिछले चार दिन से कंट्रोल रूम पूरी तरह ठप पड़ा है। हालांकि अभी बाढ़ की स्थिति नहीं है। मगर ऐसे ही रहा तो तटीय इलाकों में रहने वाले हजारों लोगों की जान भगवान भरोसे ही है। क्योंकि मदद के समय कंट्रोल रूम तक मैसेज पहुंचाना और वहां से बचाव की उम्मीद करना मुश्किल ही होगा।