- परमानेंट करने की मांग को लेकर धरना देने लखनऊ गए 70 प्रतिशत संविदा कंडक्टर्स

- कंडक्टर्स की कमी होने से डिपो पर ही खड़ी रही ज्यादातर अनुबंधित बसें

- गुरुवार को बसों के लिए कंडक्टर्स उपलब्ध कराने का निगम का दावा हुआ फेल

द्दह्रक्त्रन्य॥क्कक्त्र: परमनेंट करने की मांग को लेकर गुरुवार को संविदा कंडक्टर्स मुख्यालय पर धरना देने लखनऊ चले गए। इससे ज्यादातर अनुबंधित बसों का संचलन ठप हो गया। कंडक्टर्स न होने से जहां रोडवेज की अर्निग पर तो चपत लगी ही, साथ ही पैसेंजर्स को भारी मुश्किलों का समाना करना पड़ा। सुबह से ही रोडवेज पर सिर्फ निगम की ही बसों का संचालन होता रहा। बसें कम होने से सुबह के समय रोडवेज पर बसों में चढ़ने के लिए पैसेंजर्स के बीच मार होती रही। इसकी वजह से रोडवेज पर अफरा-तफरी मची रही। हालांकि दोपहर बाद स्थिति कुछ सामान्य हो गई। बावजूद इसके जो भी बसें यहां से गई वह पूरी तरह ठसा-ठस भरी रहीं। बसों में जगह पाने के लिए पैसेंजर्स को घंटों रोडवेज बस स्टेशन पर बैठकर दूसरी बस का इंतजार करना पड़ा।

कुशीनगर-देवरिया रूट पर ज्यादा दिक्कत

बसों का संचालन ठप होने से कुशीनगर व देवरिया रूट के पैसेंजर्स को भारी मुश्किलों का समाना करना पड़ा। जबकि लखनऊ, कानपुर व दिल्ली के लिए लगातार निगम की बसों का संचालन होता रहा। पैसेंजर्स के मुताबिक बसें न मिलने से उन्हें काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा। जो बसें चलती भी रही वह पूरी तरह फुल होने की वजह से सीट नहीं मिली। कुशीनगर और देवरिया की ओर जाने वाले पैसेंजर्स को या तो प्राइवेट साधन लेना पड़ा या फिर घंटो खड़े रहकर बस का इंतजार करना पड़ा।

निगम का दावा हुआ फेल

गौरतलब है कि अपनी मांगों को लेकर पूरे प्रदेश से संविदा कंडक्टर्स बुधवार की रात लखनऊ चले गए। भारी संख्या में कंडक्टर्स के जाने के बाद निगम प्रशासन ने यह दावा किया था कि वह बसें उपलब्ध कराएगा और पैसेंजर्स को किसी भी हाल में परेशानी का सामना नहीं करना पड़ेगा। साथ ही कंडक्टर्स के चले जाने के बाद बसों के संचालन पर भी कोई असर नहीं पड़ेगा। लेकिन गुरुवार की सुबह निगम का दावा पूरी तरह फेल साबित हुआ और पैसेंजर्स को भी भारी मुसीबतों का सामना करना पड़ा।

प्राइवेट टैक्सियों ने उठाया फायदा

डग्गामार बसों व टैक्सियों के खिलाफ अभियान चलाकर इसपर अंकुश लगाने का दावा करने वाला रोडवेज प्रशासन अपनी कमियों की वजह से प्राइवेट टैक्सियों व डग्गामार बसों के आगे विवश हो गया। रोडवेज की बसें समय पर नहीं मिलने की वजह से पैसेंजर्स को प्राइवेट बसों व टैक्सियों का सहारा लेना पड़ा। इस दौरान प्राइवेट बसों के हॉकर रोडवेज स्टेशन पर सवारियों को अपनी बसों में बैठाने के लिए बुलाते रहे और निगम मूकदर्शक बना बैठा रहा। वहीं प्राइवेट टैक्सी ऑपरेटर्स ने भी जमकर मौके का फायदा उठाया।