- ऑल इंडिया टिकट चेकिंग स्टाफ की कॉन्फ्रेंस हुई ऑर्गेनाइज
- रेलवे एडमिनिस्ट्रेशन को दिए 12 प्वाइंट्स के सजेशन
GORAKHPUR : 72 सीट का कोच, लेकिन उसमें 200 से ज्यादा मुसाफिर। गर्मियों में कुछ अहम ट्रेंस का हाल कुछ ऐसा ही हो जाता है। इसका जिम्मेदार खुद रेलवे है। ट्रेन में लिमिटेड सीट होने के बाद भी वह लंबी वेटिंग एलॉट कर देते हैं, जिसकी वजह से रिजर्वेशन कराने वाले पैसेंजर्स को काफी परेशानी झेलनी पड़ती है। रेलवे को इस संबंध में सोचने की जरूरत है। वह अंधाधुंध वेटिंग न जारी करें, जिससे टिकट चेकिंग करने वाले लोगों और पैसेंजर्स को परेशानी का सामना न करना पड़े। यह बातें और सजेशन नई दिल्ली में ऑर्गेनाइज ऑल इंडिया टिकट चेकिंग स्टाफ की कॉन्फ्रेंस में सामने आई। इसमें एसोसिएशन मेंबर्स ने रेलवे को कुछ अहम सुझाव दिए।
कोच लिमिट का एक परसेंट ही जारी करें वेटिंग
आईआरटीसीएसओ के राष्ट्रीय संयुक्त मंत्री टीएन पांडेय ने बताया कि कांफ्रेंस के दौरान कई अहम सुझाव सामने आए। इसमें कोच में होने वाली भारी भीड़ से बचने के लिए कोच लिमिट का एक परसेंट ही वेटिंग जारी करने की बात कही गई। वहीं जिन गाडि़यों में आम तौर पर आरएसी क्लीयर नहीं हो पाती, उन गाडि़यों से आरएसी की फैसिलिटी खत्म कर दी जाए। इतना ही नहीं जर्नी कम रिजर्वेशन टिकट पर भी पैसेंजर्स के नाम प्रिंट किए जाएं, जिससे टिकट चेकिंग की राह तो आसान हो ही, साथ ही इल्लीगल एजेंट्स पर भी लगाम लग सके।
रनिंग स्टाफ का दर्जा मिले
टीएन पांडेय ने बताया कि गाडि़यों पर चलने के बाद भी टिकट चेकिंग स्टाफ को रनिंग स्टाफ का दर्जा नहीं मिल सका है। इसे लेकर टिकट चेकिंग स्टाफ में काफी रोष है। इस दिशा में भी रेलवे जल्द ही कोई कदम उठाए। वहीं उन्होंने जन प्रतिनिधियों से भी अपील की है कि किसी भी स्टाफ की शिकायत करने से पहले वह तथ्यों को जरूर जांच लें। वह इसलिए कि जनप्रतिनिधियों की शिकायत को रेलवे एडमिनिस्ट्रेशन गंभीरता से लेता है और इसकी वजह से दोषी न होते हुए भी स्टाफ प्रताडि़त हो जाता है। इसके साथ ही कुल 12 प्वाइंट सजेशन पर रेल मंत्रालय को ध्यान दिलाया गया, जिससे टिकट चेकिंग स्टाफ प्रताडि़त न हो।