- त्योहार को हंसी-खुशी मनाने में सबको करना चाहिए सहयोग
- बातचीत से हल हो सकता है बड़ा से बड़ा विवाद
- विवाद करने वालों को समाज को करना चाहिए बहिष्कृत
- आई नेक्स्ट के ग्रुप डिस्कशन में अधिकारियों व प्रबुद्धजनों ने रखी अपनी राय
GORAKHPUR: दशहरा, दीपावली, होली हो या मोहर्रम, ईद, क्रिसमस, सभी धर्म के लोगों को अपने त्याहारों का सालभर इंतजार रहता है। एक धर्म का त्योहार यूं तो उस धर्म के लोगों के बेहद खास होता है लेकिन उसकी खुशियां सबमें बराबर बंटती है। इसलिए उसमें अन्य धर्म के लोगों का सहयोग भी उतना ही जरूरी होता है। संयोगवश दो साल से दशहरा और मोहर्रम एक साथ ही पड़ रहा है। यह अवसर है दो धर्म के त्योहारों को एक साथ मनाने में एक-दूसरे को सहयोग करने का, एक-दूसरे की परंपराओं का सम्मान करने का, और इस बात का ख्याल करने का कि कहीं आपकी कोई हरकत दूसरे के लिए परेशानी का सबब न बन जाए। चूंकि शहर हमारा है तो यहां यदि त्योहार हंसी-खुशी बीतते हैं तो वे खुशियां हमारे घर भी आती हैं लेकिन यदि प्रतिमा विसर्जन या मोहर्रम जुलूस में कोई खलल पड़ता है, तो हमारी भी शांति भंग होती है। किसी भी फसाद से परेशानी सभी को होती है इसलिए सभी को मिल-जुलकर यह कोशिश करनी चाहिए कि ऐसी स्थिति न आए। त्योहार पर शांति व्यवस्था बनाए रखने के लिए जरूरी उपायों पर विचार करने के लिए आई नेक्स्ट द्वारा ऑर्गनाइज ग्रुप डिस्कशन में अधिकारियों और प्रबुद्धजनों का विचार रहा कि त्योहार व मेले के माहौल को सभी इंज्वाय करना चाहते हैं। ऐसे में अमन-सुकून छीनने वाले चंद लोगों को समाज द्वारा बहिष्कृत करने की जरूरत है। शहर का माहौल खराब होने पर शहर की छवि खराब होती है इसलिए हर शहरी की जिम्मेदारी है कि वह अपने शहर का नाम खराब न होने दे। कानून व्यवस्था बनाए रखने में प्रशासन का सहयोग करें।
यह रही सबकी राय-
- सभी धर्म और समुदाय के लिए एक दूसरे के साथ मिलजुलकर त्योहार मनाएं।
- कोई प्रॉब्लम सामने आने पर बड़े बुजुर्गो के साथ मिल-बैठकर मसले का हल निकालें।
- अपने अपने समुदाय के जुलूसों के लिए रूट निर्धारित करें। उसका समय तय करें।
- जुलूस में शामिल होकर उल्टी सीधी हरकतें, फसाद करने वाले लोगों पर कमेटियां निगरानी रखें।
- बरेठी, आतिशबाजी, झंडे से होने वाले विवादों को खत्म करने के लिए इनका समय और जगह निर्धारित किए जाएं।
- शहर में सामान्य आवागमन बाधित न हो, इसके लिए हर समुदाय-धर्म के लोगों को पहल करनी चाहिए।
- त्योहारों में सबकी सहमति से ऐसा इंतजाम किया जाए कि पुलिस की जरूरत ही न पड़े।
कोट्स
यह शहर हमारा है। यहां होने वाले किसी फसाद से हम सबको परेशानी होती है। इसलिए हर मसले पर हम सभी मिल बैठकर सोचना चाहिए। विवाद कोई भी उससे शहर का नाम खराब होता है। इसलिए त्योहार को त्योहार के रूप मनाते हुए घर-परिवार और नात-रिश्तेदारों, दोस्तों के साथ इसका आनंद उठाएं।
- रणंजय सिंह जुगनू, पार्षद
हिंदू हो या मुसलमान, सबके त्योहार साल भर में एक बार आते हैं। दोनों को इसका इंतजार रहता है। एक-दो दिनों की बात होती है। फिर साल भर सबको एक साथ एक ही शहर में रहना होता है। ऐसे में इंसानियत के नाता ही सबसे ऊपर है। सबको आपस में सौहार्द रखना चाहिए।
- मौलाना अजहर शम्सी
त्योहार में डीजे पर पाबंदी बिल्कुल जायज है। कोई भी इसका उपयोग न करे। कानून व्यवस्था में सहयोग हम सभी नागरिकों की जिम्मेदारी होती है। इसका निर्वहन करना चाहिए। यदि कानून का सम्मान नहीं करेंगे तो इसके अनुपालन में प्रशासन को सख्ती बरतने की मजबूरी होगी जिससे सबको परेशानी होती है।
- इंजीनियर सेराज अहमद
पुलिस का काम शांति व्यवस्था कायम करना है। पिछले साल शहर के लोगों ने पूरा सहयोग दिया। हर मामले में आपस में बैठकर लोगों ने बातचीत की। हमारा मकसद है कि त्योहारों को लोग हंसी-खुशी से मनाएं। पुलिस के लोग त्योहार मनाने घर नहीं जा पाते हैं। ऐसा माहौल बनाएं कि वे भी पब्लिक के साथ ही अपना त्योहार सेलीब्रेट कर सकें।
- अभय कुमार मिश्र, सीओ
त्योहार हमारे हैं। हम सभी इससे भावनात्मक रूप से जुड़े हैं। पुलिस के लिए कोई हिंदू या मुसलमान नहीं होता है। अमन और चैन बरकरार रखना ही सबका मकसद होता है।
- इरफान नासिर खान, सीओ