- मार्केट में सज रहे चाउमीन के ठेले, बांट रहे बीमारी
GORAKHPUR : सरकार को हमारी सेहत का बहुत ख्याल है। मैगी में मानक से अधिक लेड और एमएसजी की मात्रा मिली तो सरकार ने न सिर्फ उसे बैन कर दिया बल्कि मार्केट में फैला हुआ माल भी वापस करने का फरमान सुना दिया, मगर साहब मैगी से अधिक जानलेवा और खतरनाक तो ये चाउमीन है। जिसकी तरफ सरकार की नजर ही नहीं जा रही। मैगी में तो सिर्फ लेड और एमएसजी की मात्रा अधिक मिली थी, मगर इस चाउमीन में तो इसके अलावा और भी कई चीज हैं, जो खुलेआम बीमारियां बांट रही है। स्लो प्वॉइजन के रूप में बिक रही इस चाउमीन का बिजनेस विभाग के अधिकारियों की अनदेखी के कारण दिन दूना-रात चौगुना बढ़ रहा है।
स्लो प्वॉइजन है यह
शहर का बाम्बे चौपाटी मतलब इंदिरा बाल विहार हो या किसी भी चौराहे का नुक्कड़ या फिर किसी मोहल्ले की गली, सभी जगह चाउमीन के ठेले सजे नजर आ जाएंगे। इन ठेलों पर बच्चों से लेकर हर उम्र के लोगों की भीड़ भी दिखेगी, जो हाथ में प्लेट लेकर चाउमीन के स्वाद का लुत्फ उठाते नजर आ रही होगी। मगर इन्हें ये नहीं पता कि वे इस स्वाद के साथ न जाने कितनी गंभीर बीमारियों को भी दावत दे रहे हैं। चाउमीन को डॉक्टर कभी भी हाइजेनिक फूड नहीं कहते हैं। डॉ संदीप श्रीवास्तव के मुताबिक चाउमीन न सिर्फ अनहाइजेनिक है बल्कि बॉडी में स्लो प्वॉइजन का काम करता है। ये सिर्फ बच्चों को नहीं बल्कि हर एजग्रुप के लोगों को नुकसान पहुंचाता है। चाउमीन में यूज किए जाने वाले इंग्रेडिएंट्स ह्यूमन बॉडी को काफी नुकसान पहुंचाते हैं। चाउमीन में इस्तेमाल होने वाले इनग्रेडिएंट्स जैसे अजीनोमोटो हार्ड एंजाइम्स और कलर वाले सॉस पूरी तरह से हानिकारक हैं। इसमें एमएसजी (मोनोसोडियम ग्लूटामेट) होता है, जो ब्रेन में पाए जाने वाले अमाइनो एसिड को बढ़ा देता है। इससे ब्रेन से जुड़ी बीमारी होने की संभावना काफी बढ़ जाती है। मैगी में भी एमएसजी की मात्रा अधिक मिली थी।
ये तो और खतरनाक है
एक्सपर्ट की मानें तो मैगी पर बैन करना ठीक है, मगर चाउमीन के खिलाफ भी जांच कराना जरूरी है। क्योंकि चाउमीन की न तो मानक के अनुसार पैकिंग होती है और न ही इसे बनाने में यूज किए जाने वाले मसाले या अन्य इनग्रेडिएंट्स की जांच होती है। साथ ही चाउमीन बनाने का तरीका भी अनहाइजेनिक हैं अधिकांश ठेलों पर गंदी प्लेट और गंदे पानी का धड़ल्ले से यूज हो रहा है।
स्वाद के साथ मिल सकती हैं ये बीमारियां
- ब्रेन, किडनी और लीवर पर इफेक्ट डालता है।
- जो लोग एपिलेप्सी के पेशेंट होते है। उनके चाउमीन खाने के बाद एपिलेप्सी बढ़ जाती है।
- भूख न लगना।
- चिड़चिड़ापन बढ़ जाता है।
- पागलपन की बीमारी भी हो सकती है।
मार्केट में बिक रहे अनहाइजेनिक फूड के खिलाफ अक्सर अभियान चलाया जाता है। फिर भी अगर अनहाइजेनिक चाउमीन के ठेले लग रहे है तो उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
अनिल कुमार राय, मुख्य खाद्य सुरक्षा अधिकारी