- फायनेंस कंपनी में तीन साल से जमा करा रहे थे रुपए

- कोलकाता के प्रोपराइटर ने गोरखपुर में फैलाया जाल

GORAKHPUR: चिटफंड कंपनियों के संचालक गोरखपुर को हब बनाने में जुटे हैं। कस्टमर्स को बड़े सब्जबाग दिखाकर लाखों रुपए की वसूली हर माह की जा रही है। मुंहमांगे कमीशन के लालच में एजेंट्स भी इनके जाल को फैलाने में लगे हैं। मामूली विवाद के बाद एक चिट फंड कंपनी का गड़बड़झाला पुलिस के सामने आया। कोलकाता में बैठे कंपनी के लोग गोरखपुर और बस्ती मंडल में अपना आर्गनाइजेशन चला रहे हैं। चिट फंड कंपनी के खिलाफ शिकायत मिलने पर पुलिस जांच में जुट गई। एसपी सिटी ने कहा कि करीब क्भ् करोड़ रुपए का गोलमाल किया गया है। असली सूत्रधारों के पकड़े जाने पर इस गड़बड़झाले का खुलासा होगा।

तीन साल पहले खोला आफिस, एक करोड़ के पार टर्न ओवर

कैंट एरिया में बैंक रोड स्थित शंकर कांप्लेक्स में बर्डवान सन्मार्ग, फाइनेंस कंपनी का आफिस है। सैटर्डे दोपहर कुछ एजेंट्स ने भुगतान न होने की शिकायत की। कर्मचारियों ने मामला टालने की कोशिश की तो किसी ने पुलिस को सूचना दे दी। पुलिस पहुंची तो हंगामा शांत कराया। लोगों ने आरोप लगाया कि मेच्योरिटी के बाद भी भुगतान नहीं किया जा रहा है। करीब तीन माह पब्लिक को टालमटोल किया जा रहा है। एजेंट्स से पब्लिक मारपीट कर रही है। मामूली मामला समझकर पुलिस सभी को थाने ले गई। पुलिस ने बैंक से जुड़े चार कर्मचारियों को हिरासत में ले लिया। कर्मचारियों ने बताया कि सदानंद पांडेय इसका मुख्य कर्ताधर्ता है।

शिकायत करने वाले भी बने मुल्जिम, पुलिस कर रही तलाश

पुलिस की जांच में सामने आया कि चार साल से फायनेंस कंपनी चल रही है। कस्टमर्स से रुपए जमा कराकर लोन दिया जाता है। लेकिन लोन की रिकवरी न होने से पेमेंट नहीं हो पा रहा है। कुशीनगर जिले के हाटा, भिसवा निवासी भीखू उर्फ रामबली यादव, सिद्धार्थनगर जिले के उसका बाजार, रेहरा निवासी राजेंद्र गुप्ता, गोरखनाथ एरिया के दशहरीबाग निवासी अमीन, हुमायूपुर मोहल्ले के अली मोहम्मद ने अपनी शिकायत दर्ज कराई। बताया कि हर एजेंट दो लाख से अधिक की रकम जमा करा चुका है। लेकिन पुलिस की जांच में पता लगा कि एजेंट्स भी फर्जीवाड़े के दोषी हैं।

सात घंटे पढ़े दस्तावेज, फिर दर्ज किया मुकदमा

कंपनी का मामला सामने आने के बाद पुलिस घनचक्कर हो गई। एसपी सिटी सतेंद्र कुमार ने इस मामले की जांच की। करीब सात घंटे तक कंपनी से जुड़े हर दस्तावेज को पढ़ा। इस दौरान यह सामने आया कि एजेंट्स भी दोषी हैं। क्योंकि उन्होंने किसी के कहने पर पब्लिक के पैसे जमा कराए। कोलकाता में बैठे सरगना ने पांच लोगों को गोरखपुर और बस्ती मंडल की जिम्मेदारी सौंपी। पूरी पड़ताल के बाद एसपी सिटी ने मुकदमा दर्ज करने का निर्देश दिया। गोरखनाथ एरिया के हुमायूपुर मोहल्ले के अली मोहम्मद की तहरीर पर पुलिस ने कूट रचित दस्तावेज तैयार करने, फर्जी तरीके से कंपनी बनाकर धन हड़पने, साजिश रचने की धाराओं में केस दर्ज किया।

इनके खिलाफ पुलिस ने दर्ज किया मुकदमा

खोराबार एरिया के कोनी निवासी सदानंद पांडेय, बुद्ध बिहार पार्ट सी निवासी आलोक रंजन, तिवारीपुर के वार्ड नंबर क्ब् निवासी संतोष, सिद्धार्थनगर जिले के रेहरा निवासी राजेंद्र, तिवारीपुर एरिया के जाफरा बाजार निवासी मैजुद्दीन सिद्दीकी, लखनऊ के अलीगंज, त्रिवेणी नगर निवासी उमेश कुमार, महराजगंज जिले के करजहा निवासी वीरेंद्र कुमार, गोरखनाथ एरिया के पचपेड़वा निवासी शिव मोहन, झंगहा एरिया के मोतीराम अड्डा निवासी दिलीप कुमार, पश्चिम बंगाल के दुर्गापुर निवासी मालिक सौम्यकब्ज कौशिक, डिवीजनल मैनेजर आदित्यपाल, खोराबार एरिया के मिर्जापुर निवासी संगम और अमीन के खिलाफ केस दर्ज किया। फायनेंस कंपनी का ऑनर सौम्य है।

कोलकाता में छिपकर बैठा ऑनर, गोरखपुर के गुर्गे भी गायब

पुलिस का कहना है कि फायनेंस कंपनी का ऑनर कोलकाता में छिपकर बैठा है। उसके साथ गोरखपुर और बस्ती मंडल में पांच लोग काम देख रहे हैं.लेकिन वे लोग भी सामने नहीं आ रहे। इसलिए फायनेंस कंपनी शक के दायरे में आ गई है। कंपनी ने एलआईसी के मायक्रोफायनेंस का लोगो बना रखा है। जांच में पता लगा कि गोरखपुर में ब्रांच शुरू करने के पहले कंपनी के अफसरों ने एलआईसी से शुभकामना संदेश लिखवाया। ब्रांच शुरू करते ही एलआईसी को बिजनेस देकर अपना भरोसा पब्लिक में जमाया। दिल्ली से रजिस्टर्ड बर्डवान सनमार्ग वेलफेयर आर्गनाइजेशन के नाम पर फायनेंस कंपनी खोली गई। कोलकाता के लिए ही परमिशन ली गई या फिर अन्य जगहों के लिए, इसकी भी जांच पुलिस कर रही है। पुलिस का कहना है कि गड़बड़झाला के ज्यादातर मामलों का जुड़ाव कोलकाता से होता है। कोलकाता में कारपोरेट आफिस बनाकर टैक्स बचाने का खेल खेला जाता है।

कई चिटफंड कंपनियां हो चुकी है फरार

दो दशक पूर्व सिटी में अचानक फायनेंस कंपनियों का बूम आया। सिटी में आई कुबेर, लीला लीजिंग, राप्ती हाउसिंग, यक्ष फायनेंस सहित कई कंपनियों ने पब्लिक को आकर्षित किया। जमा धन कम समय में दो गुना करने, घर और व्हीकल के लिए लोन देने सहित कई ऑफर्स लाए गए। एजेंट्स को ज्यादा लाभ के चक्कर में जोड़कर कंपनियों ने खूब धन बटोरा। कंपनियों के फेर में लोगों ने खूब रुपए जमा कराए। बाद में ये कंपनियां ग्राहकों के रुपए लेकर फरार हो गई। सिटी में इस तरह की करीब सौ ब्रांच खुली। बाद में आरबीआई के नियमों की सख्ती के बाद ऐसी कंपनियों पर लगाम कसा।

चिटफंड कंपनी में करीब क्भ् करोड़ रुपए का घोटाला किया गया है। कोलकाता में बैठा कंपनी का सरगना इसको संचालित कर रहा है। गोरखपुर और बस्ती मंडल भी इससे कुछ प्रमुख लोग जुड़े हैं। पुलिस ने सभी की तलाश शुरू कर दी है।

सतेंद्र कुमार, एसपी सिटी