गोरखपुर (ब्यरो)।सख्या बढऩे के साथ अब इस ओर विशेष ध्यान दिया जा रहा है, ताकि बच्चों को बेहतर इलाज किया जा सके। पीजीआई में पीडियाट्रिक इंडोक्राइन डिपार्टमेंट खोलने के लिए शासन स्तर से मंजूरी मिल गई है। गोरखपुर मेडिकल कॉलेज में मंजूरी मिलनी बाकी है। उम्मीद है कि जल्द ही मंजूरी मिल जाएगी।
हर 100 में पांच बच्चे शिकार
गोरखपुर बीआरडी मेडिकल कॉलेज में नेपाल, बिहार और आसपास जिले के मरीज इलाज कराने के लिए आते हैं। जहां पहले सिर्फ बड़ों में ही डायबिटीज देखी जाती थी, वहीं अब बच्चे भी डायबिटीज का शिकार हो रहे हैं। धीरे-धीरे इनकी भी संख्या बढ़ रही है। प्रोफेसर डॉ। राजकिशोर सिंह की मानें तो इधर महीने में हर 100 में से चार से पांच बच्चे भी ऐसे पहुंच रहे हैं, जिन्हें शूगर के साथ ही ओबेसिटी, थायराइड आदि ने गिरफ्त में ले रखा है। बच्चों के बेहतर उपचार के लिए बीआरडी मेडिकल कॉलेज में अलग से पीडियाट्रिक इंडोक्राइन डिपार्टमेंट के लिए शासन से पहल की है। बच्चों के लिए अलग से विभाग बनेगा, तो मैनपावर की जरूरत पड़ेगी। इसमें डायबिटीज एक्सपर्ट की जरूरत होगी।
पहले चलती थी बच्चों की ओपीडी
मिली जानकारी के अनुसार पहले बच्चों के लिए डायबिटीज ओपीडी चलती थी, लेकिन इसी साल बारिश के समय ओपीडी में पानी भर जाने की वजह से उसे बंद कर दिया गया। इसके बाद से ही बंद चल रही थी। बढ़ते केस को देखते हुए अब डिपार्टमेंट खोलने की पहल की जा रही है। उम्मीद है कि जल्द ही विभाग खोल दिए जाएंगे।
ऐसे करें बचाव
-बच्चों को फिजिकल गेम्स खेलना चाहिए
-स्कूल में गेम्स पीरियड रोज हो।
-बच्चों को बाहर खेलने को भेजे।
-ज्यादा देर तक एक जगह न बैठ.े
-मोबाइल व टीवी पर ज्यादा समय व्यतीत न करें।
बच्चों में क्यों बढ़ रही है डायबिटीज?
-खानपान पर बच्चों का कंट्रोल नहीं है
-बच्चे पैक्ड फूड अधिक पसंद कर रहे है
-बच्चों को भूख बर्दास्त नहीं होती है
-पेरेंट्स डायबिटीज के शुरूआती लक्षणों पर ध्यान नहीं दे रहे हैं
बाल रोग विभाग में डायबिटीज से ग्रसित बच्चे आ रहे हैं। जिनका इलाज किया जाता है। अभी यहां पर पीडियाट्रिक इंडोक्राइन डिपार्टमेंट नहीं हैं। इसके लिए पहल की जा रही है। विभाग खुलने से बच्चों का बेहतर इलाज किया जाएगा।
- डॉ। भूपेंद्र शर्मा, प्रोफेसर, बाल रोग विभाग