गोरखपुर (ब्यूरो)।इसकी वजह फिजिकल की तुलना में डिजिटल गोल्ड पर मिल रहा अच्छा रिटर्न और अधिक सेफ इंवेस्टमेंट है। आए दिन मार्केट में मिलावटी सोने से कस्टमर्स का डर और बढ़ गया है जिसके चलते डिजिटल सोना सस्ता और सिक्योर भी होने के चलते लोगों का पसंद बनता जा रहा है।
असल सोने से अलग डिजिटल गोल्ड
एआर वेल्थ एडवाइजरी सर्विस के आशीष अग्रवाल ने बताया, डिजिटल गोल्ड में इंवेस्टमेंट के लिए सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड व गोल्ड ईटीएफ जैसे विकल्प हैं। आरबीआई ने 2015 में सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड लॉन्च किया। डिजिटल गोल्ड खरीदार को गोल्ड की जगह सर्टिफिकेट मिलता है। इसमें गोल्ड रेट का उल्लेख रहता है। न्यूनतम 1 ग्राम से लेकर 4 किलोग्राम तक के बॉन्ड खरीदे जा सकते हैं।
8 साल तक के लिए निवेश
मायाबाजार के एसबीआई मैनेजर व्योमेश उपाध्याय ने बताया, सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड खरीदने के लिए नकद, डिमांड ड्राफ्ट या नेट बैंकिंग से भुगतान करना होता है। नकद भुगतान की अधिकतम सीमा 20 हजार है। गोल्ड बॉन्ड का मैच्मैयोरिटी पीरियड आठ साल होता है। इसमें शुरुआत के 5 साल लॉक इन पीरियड है। इसके प्रति रुझान बढऩे से इस पर आसानी से मिलने वाला लोन का विकल्प भी है। सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड पर 20 हजार से लेकर 25 लाख तक का लोन आसानी से मिल जाता है। पूरे साल में 2.5 परसेंट का ब्याज भी मिलता है। जो अब तीसरे माह में डिवाइड होकर आता है।
सुरक्षित है निवेश
मुथूट फाइनेंस के बेतियाहाता ब्रांच मैनेजर आनंद कुमार मिश्रा ने बताया, सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड अब निवेश का अच्छा विकल्प साबित हो रहा है। सुरक्षित निवेश होने के कारण हर बार अधिक निवेशक इसकी ओर आकर्षित हो रहे हैं। सोने की तुलना में इस पर मेकिंग चार्ज, जीएसटी या बेचने पर किसी तरह की कटौती भी नहीं होती। सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड खरीदने वालों को लोन भी आसानी से मिल जाता है।
क्या है डिजिटल गोल्ड
डिजिटल गोल्ड ऑनलाइन सोना खरीदने का एक तरीका है। इसमें गोल्ड फिजिकली ना होकर आपके डिजिटल वॉलेट में रखा होगा। आप इसकी खरीदी-बिक्री भी कर सकते हैं। इसके अलावा जरूरत पडऩे पर कुछ एक्स्ट्रा चार्ज देकर डिजिटल गोल्ड को फिजिकल गोल्ड में बदल सकते हैं। गोल्ड ईटीएफ को शेयर की तरह खरीदकर डीमैट अकाउंट में रखा जा सकता है। जब आप गोल्ड ईटीएफ में निवेश करते हैं, तो आपके पास वास्तव में फिजिकल सोना नहीं होता है, बल्कि आप सोने की कीमत के बराबर नकद रखते हैं।