गोरखपुर (ब्यूरो)। स्टूडेंट्स और टीचर्स अब अब देश-विदेश के 8200 से अधिक एजुकेशनल इंस्टीट्यूट्स की लाइब्रेरी को एक्सेस कर सकेंगे। इसमें आईआईटी, आईआईएम, जेएनयू, दिल्ली यूनिवर्सिटी, एम्स आदि संस्थानों की लाइब्रेरी के रिसर्च और स्टडी मैटेरियल शामिल हैं। स्टूडेंट्स को इन्हें आसानी से एक्सेस करने का मौका मिल जाएगा। इसके लिए यूनिवर्सिटी की सेंट्रल लाइब्रेरी को डेलनेट की मेंबरशिप मिल गई है।

रिसर्च में मिलेगी हेल्प

डेलनेट यानि डेवलपिंग लाइब्रेरी नेटवर्क एक ग्लोबल लाइब्रेरी नेटवर्क है। देश-विदेश 8200 से भी ज्यादा एजुकेशनल इंस्टीट्यूट्स इसके मेंबर हैं। इसके तहत सभी स्टूडेंट्स और टीचर्स को इन इंस्टीट्यूट्स की लाइब्रेरी का एक्सेस मिलेगा। इसका एक बड़ा फायदा उन स्टूडेंट्स को मिलेगा जो रिसर्च कर रहे हैं या फिर किसी गंभीर विषय पर स्टडी के लिए उन्हें ढेरों बुक्स की खाक खंगालनी पड़ जाती है। ऐसे स्टूडेंट्स को आमतौर पर उन्हें पढऩे के लिए महंगी किताबें खरीदनी पड़ती हैं या फिर किसी वेबसाइट का सब्सक्रिप्शन लेना पड़ता है।

वीसी को दिया सर्टिफिकेट

एडी बिल्डिंग के कमेटी हॉल में आयोजित कार्यक्रम में वीसी प्रो। पूनम टंडन को डेलनेट की डायरेक्टर डॉ। संगीता कौल ने मेंबरशिप संबंधी सर्टिफिकेट दिया। लाइब्रेरियन डॉ। बिभाष कुमार मिश्रा ने कहा कि अब यूनिवर्सिटी के टीचर्स और स्टूडेंट्स अपनी रिसर्च से रिलेटेड स्टडी मटेरियल को 8000 से भी ज्यादा हायर एजुकेशन इंस्टीट्यूट्स से इंटर लाइब्रेरी लोन सेवा के तहत प्राप्त कर सकेंगे।

लाइब्रेरी के रिमोट एक्सेस की सुविधा

वीसी प्रो। पूनम टंडन ने कहा कि सभी स्टूडेंट्स को लाइब्रेरी के रिमोट एक्सेस की सुविधा जल्द ही दी जाएगी। जिससे वह कहीं से भी यूनिवर्सिटी की लाइब्रेरी में मौजूद स्टडी मैटेरियल को पढ़ सकेंगे। उन्होंने कहा कि लाइब्रेरी को स्टूडेंट्स के आकर्षण के केंद्र के रूप में विकसित किया जाएगा। कोशिश है ज्यादा से ज्यादा स्टूडेंट्स को लाइब्रेरी की ओर खींचकर उन्हें पढ़ाई और रिसर्च के लिए हाईक्वालिटी एटमॉस्फियर प्रोवाइड किया जाए। उन्होंने कहा कि सेंट्रल लाइब्रेरी को ऐसा बनाया जाएगा कि स्टूडेंट्स इसे 24&7 खोलने की मांग करें। इस दौरान लाइब्रेरियन डॉ। बिभाष कुमार मिश्र, रजिस्ट्रार प्रो। शांतनु रस्तोगी, सभी डीन और अधिकारी मौजूद रहे।