गोरखपुर (ब्यूरो)।गोरखपुर सहित आसपास के एरिया के लोगों के लिए एक राहत भरी खबर है। अब आरएमआरसी लैब के अलावा दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर यूनिवर्सिटी में भी आरटीपीसीआर टेस्ट के साथ ही जीनोम सीक्वेंसिंग होगी। इसके लिए यूनिवर्सिटी में एक सेंट्रल इंस्ट्रूमेंटेशन सेंटर बनाए जाने की कवायद शुरू हो चुकी है। इसमें जांच से जुड़े सभी इक्विपमेंट्स अवेलेबल होंगे, जिसकी मदद से सेल्फ फाइनेंस और साइंस के सभी स्टूडेंट्स रिसर्च कर सकेंगे। इसकी लागत 4 करोड़ रुपए होगी।
सेल्फ फाइनेंस के बजट से बनेगा सेंटर
साइंस इक्विपमेंट्स के लिए बनने वाला यह सेंटर सेल्फ फाइनेंस कोर्सेज के बजट से बनेगा। इसका ओवरऑल बजट 4 करोड़ रुपए है, जो फाइनेंस कमेटी में पास हो गया है। इस सेंटर की मदद से साइंस फैकल्टी के सभी स्टूडेंट्स अपनी रिसर्च कर सकेंगे।
रिसर्च को मिलेगा बढ़ावा
इंस्ट्रूमेंटेशन सेंटर के बनने से यूनिवर्सिटी के स्टूडेंट्स को रिसर्च करने में आसानी होगी। इसमें साइंस से जुड़े सभी लेटेस्ट टेक्नोलॉजी के इक्विपमेंट्स अवेलेबल रहेंगे। जिनकी मदद से वह अपनी स्टडी आसानी से पूरी कर सकेंगे। जीनोम सीक्वेंसिंग जैसी टेस्टिंग गोरखपुर में अभी तक केवल आरएमआरसी लैब में ही मौजूद थी। मगर इस सेंटर के बनने के बाद डीडीयूजीयू के स्टूडेंट्स भी इसे आसानी से कर सकेंगे।
होंगे ये टेस्ट
इंस्ट्रूमेंटेशन सेंटर में साइंस से जुड़े कई टेस्ट करने की सुविधा रहेगी। इसमें स्टूडेंट्स आरटीपीसीआर, जीनोम सीक्वेंसिंग, क्रोमैटोग्राफी, मेटल ट्रेसिंग, सॉयल टेस्टिंग, जीआईसी, पीआईसी, इलेक्ट्रोफोरेसिस, पीसीआर, डीएनए आईसोलेशन, आरएनए आईसोलेशन जैसे टेस्ट आसानी से कर पाएंगे।
एग्रीकल्चर में बढ़ेगी रिसर्च
इंस्टीट्यूट ऑफ एग्रीकल्चर एंड नेचुरल साइंसेज काफी कम समय में एक टॉप क्लास इंस्टीट्यूट के रूप में उभरा है। इंस्ट्रूमेंटेशन सेंटर में सेंटर ऑफ जीनॉमिक्स एंड बायोइंफॉर्मेटिक्स के लिए काफी सुविधाएं रहेंगी। इसके साथ ही एक्वाकल्चर और फिशरीज को भी इससे बढ़ावा मिलेगा जिससे एग्रीकल्चर की फील्ड में रिसर्च बढ़ेगी। एग्रीकल्चर के अलावा बायोटेक्नोलॉजी के स्टूडेंट्स को भी इससे काफी लाभ मिलेगा।
यूनिवर्सिटी में रिसर्च को बढ़ावा देने के लिए सेंट्रल इंस्ट्रूमेंटेशन सेंटर बनाया जा रहा है। इसके लिए 4 करोड़ रुपए का बजट भी पास हो गया है। इसमें साइंस के स्टूडेंट्स के लिए रिसर्च से जुड़े सभी लेटेस्ट टेक्नोलॉजी के इक्विपमेंट्स अवेलेबल होंगे।
- प्रो। राजेश सिंह, वीसी, डीडीयूजीयू