गोरखपुर (ब्यूरो)।भारत की क्षेत्रीय भाषाओं को बढ़ावा देने के लिए यह पहल की गई है। स्कूल भी बोर्ड की इस पहल की सराहना कर रहे हैं। एनईपी 2020 को हर हाल में 2030 तक लागू करना है, यह भी उसी का एक पार्ट है।

एनसीईआरटी तैयार कर रहा किताबें

बोर्ड से निर्देश मिलने के बाद एनसीईआरटी ने भी तैयारी शुरू कर दी है। अगले सेशन में देशभर के सीबीएसई स्कूलों में रजिस्टर्ड 22 क्षेत्रीय भारतीय भाषाओं की किताबें अवेलबल हों। इस पर काम करना एनसीईआरटी ने शुरू कर दिया है। सीबीएसई स्कूलों में पढऩे वाले स्टूडेंट अपनी सुविधा के अनुसार भाषा का चयन कर सकते हैं।

प्राइमरी से इंटर तक के लिए ऑप्शन

बोर्ड के सर्कुलर के अनुसार प्राइमरी से लगाकर 12वीं तक भारतीय भाषाओं को ऑप्शनल माध्यम के रूप में उपयोग किया जा सकता है। जो अन्य अवेलबल ऑप्शन के साथ एक विकल्प हो सकता है। स्कूल अवेलबल संसाधनों का अध्ययन कर सकते हैं। अपने क्षेत्र के एक्सपर्ट से परामर्श कर सकते हैं।

राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत क्लास 5 से आठवीं तक एनसीईआरटी अगले सत्र से 22 क्षेत्रीय भाषाओं में पुस्तकें अवेलबल कराएगा, जिससे बच्चे अपनी क्षेत्रीय भाषाओं में शिक्षा ग्रहण कर सकेंगे और सिर्फ अंग्रेजी ही सीखने की बाध्यता हर बच्चे पर नहीं रहेगी।

सलिल के। श्रीवास्तव, जिला कोआडिनेटर ट्रेनिंग, सीबीएसई

सीबीएसई भारत की क्षेत्रीय भाषाओं को बढ़ाने के लिए यह पहल कर रहा है। अब अंग्रेजी की बाध्यता खत्म हो जाएगी, इसके अलावा बच्चे क्षेत्रीय भाषा का चयन कर पढ़ाई कर सकेंगे। एनसीआरटी क्षेत्रीय भाषा की किताबें तैयार कर रहा है, जो अगले सेशन तक अवेलबल होंगी।

अजय शाही, अध्यक्ष, गोरखपुर स्कूल एसोसिएशन