- मौसम के कहर पर माथा पीट रहे किसान
- हजारों एकड़ फसल पर आफत बने ओले
GORAKHPUR: जिले के किसानों पर मौसम ने कहर बरपाया। फ्राइडे इवनिंग आई आफत ने फसलों को चौपट कर दिया। हजारों एकड़ गेहूं की फसल जहां सो गई, वहीं आम और लीची पर मार पड़ी। अच्छी पैदावार की उम्मीद लगाए बैठे किसानों पर वज्रपात हो गया है। किसान अपनी खून पसीने की कमाई माटी मिलता देख तड़प उठे। जिले में ज्यादातर जगहों पर फसल पक कर तैयार हो चुकी थी। फसल गिरने से कटाई और मड़ाई्र नहीं हो सकेगी।
रामनवमी के बाद फसल काटने की थी तैयारी
जिले में गेहूं की पैदावार सबसे अधिक होती है। इस बार गेहूं की फसल ज्यादातर जगहों पर ठीक थी। पककर तैयार गेहूं को रामनवमी के बाद काटने की तैयारी चल रही थी। अगैती किसानों ने रामनवमी की पूजा के लिए कुछ फसल काट लिया था। लेकिन फ्राइडे को बदले मौसम ने किसानों के अरमानों पर पानी फेर दिया। आंधी-पानी के बीच पड़े ओलों से गेंहू की फसल गिर गई। आम और लीची पर इसका असर पड़ा। करीब 70 फीसदी बौर झड़ गए। इससे पेड़ अब सूने नजर आ रहे हैं। आने वाले दिनों में बारिश हुई तो बचीखुची फसल भी रद हो जाएगी।
गोरखपुर में करीब दो लाख हेक्टेयर में होती है खेती
जिले के पूरब, दक्षिण और पश्चिमी क्षेत्रों में गेंहू की जमकर खेती होती है। उत्तर तरफ केले के साथ- साथ गेहूं बोया जाता है। जिला कृषि विभाग के आंकड़ों के मुताबिक यहां करीब दो लाख हेक्टेयर भूमि पर गेहूं, 0.क्म् हेक्टेयर तिलहन और 0.क्8 हेक्टेयर पर दहलनी फसलों की खेती होती है। सरसों की ज्यादातर फसल किसान काट चुके हैं। खेतों में बची अरहर और चने पर ओले की मार पड़ी है। तेज हवा की वजह से गेंहू की फसल लोट गई है। गगहा एरिया में किसानों को ज्यादा नुकसान हुआ। पिपराइच, कैंपियरगंज, चौरीचौरा सहित अन्य जगहों पर आंधी कम होने से कुछ फसल बच गई।
काले पड़े जाएंगे दाने, कमजोर हो जाएगा तना
ओले और बारिश से गिरी फसलों के दाने खराब हो जाएंगे। बालियों के भीतर दानों में कालापन आ जाएगा। जहां पर फसल खड़ी बच गई है। वहां जड़ों के कमजोर होने से ढहने का खतरा बढ़ जाएगा। गेहूं की मड़ाई काम प्रभावित होगा। इसमें अब कम से कम एक हफ्ते का इंतजार करना पड़ेगा। बड़े किसान कंबाइन मशीनों से फसल काटते हैं। गिरे हुई फसलों का कंबाइन से काट पाना मुश्किल होगा। मजदूरों की किल्लत से समय लग जाएगा। यदि इस बीच बारिश हो गई तो फसल सड़ जाएगी। ओले से सरसों, अरहर और चने के दाने झड़ गए हैं।
आम के पेड़ लहलहा रहे थे। लेकिन आंधी पानी से सब चौपट हो गया। उम्मीद थी कि इस बार आम का उत्पादन अच्छा होगा। ओले पड़ने से सब बेकार हो गया।
महेंद्र साहनी, जंगल धूसड़
मई में नतिनी की शादी तय है। गेहूं बेचकर शादी की तैयारी में लगे थे। लेकिन मौसम ने पूरी फसल चौपट कर दी। इससे संकट खड़ा हो गया है।
किशुन यादव, घेवरपार
गेहूं की फसल पककर तैयार हो चुकी थी। ओले और बारिश से बालियों पर असर पड़ा है। इससे ज्यादातर फसल नष्ट जाएगी। पूरे जिले में इसका कितना असर हुआ है। इसकी जानकारी जुटाई जा रही है।
मृज्युंजय सिंह, जिला कृषि अधिकारी