गोरखपुर (ब्यूरो)। बेलगाम दलाल कभी एम्बुलेंस के जरिए तो कभी मेडिकल स्टोर के जरिए अस्पतालों में घुसते हैं और यहां से मरीज निजी अस्पतालों में ट्रांसफर करते हैं। मनाही करने पर मारपीट तक करने लगे हैं। इन पर पूरी तरह से अंकुश लगाने अफसरों के पास कोई प्लान नहीं है। पब्लिक इनकी कहां शिकायत करे? इसकी भी कोई सूचना अफसरों की ओर से नहीं सार्वजनिक की गई है।

पेशेंट की खरीद-फरोख्त में एम्बुलेंस सीज

21 अगस्त को बीआरडी मेडिकल कॉलेज से पेशेंट को चोरी-चुपके नर्सिंग होम में भेजने की कोशिश का मामला सामने आया था। स्टाफ ने एक अटेंडेंट को बरगलाकर पेशेंट को नर्सिंग होम में ले जाने के लिए तैयार कर लिया था, लेकिन इसकी भनक पुलिस को लग गई। इमरजेंसी के सामने प्राइवेट एम्बुलेंस को चालक सहित पकड़ लिया गया। बाद में एंबुलेंस को सीज कर दिया गया है।

डॉक्टर को ओटी में घुसकर धमकाया

जिला अस्पताल के आपरेशन थियेटर (ओटी) में डाक्टर की कुर्सी पर बैठने और धमकी देने वाले दलाल को प्रमोद ङ्क्षसह ने बीते दिनों अरेस्ट किया। इस मामले में कमिश्नर अनिल ढींगरा ने अस्पताल अधीक्षक से स्पष्टीकरण भी मांगा था।

खून की दलाली में स्टाफ शामिल

बीआरडी मेडिकल कॉलेज में खून की दलाली के मामले में पुलिस ने दो दलालों को गिरफ्तार किया था। इस गिरोह में बीआरडी मेडिकल कॉलेज के कर्मचारी भी शामिल थे। जो अलग-अलग वार्डों में तैनात थे। पकड़ा गया दलाल वसील खान तिवारीपुर के बिंद टोला और केशरदेव महराजगंज का रहने वाला है। दोनों के मोबाइल से बीआरडी के 5 वार्ड ब्यॉय के नंबर भी मिले हैं, जो उनके संपर्क में थे।

सिजेरियन के नाम पर वसूली

जिला महिला अस्पताल में एक मरीज के तीमारदार से डॉ। रीता गौतम द्वारा रिश्वत लेते हुए वीडियो वायरल हुआ था और इस मामले में डॉक्टर को सस्पेंड भी किया गया था। हालांकि अब उन्हें बहाल कर दिया गया है। लेकिन मानदेय पर तैनात डाक्टर्स आज भी मरीजों को बरगला कर उन्हें प्राइवेट हास्पिटल में इलाज के लिए बुलाते हैैं। बड़हलगंज निवासी शिवम तिवारी ने बताया कि उनकी भाभी का डिलीवरी सिजेरियन हुई, लेकिन उनसे पैसे की डिमांड की गई। उन्होंने चार हजार रुपए भी इसके लिए मेडिकल स्टाफ को दिया।

पुलिस को देखकर एम्बुलेंस चालक फरार

तीन सितंबर को बीआरडी मेडिकल कालेज चौकी इंचार्ज हमराहियों के साथ कैंपस में गश्त पर थे। इंसेफेलाइटिस वार्ड नंबर 100 के सामने मानसिक रोग वार्ड के पास पुलिस को एक निजी एंबुलेंस सिद्धार्थनगर जिले के क्रिटिकल केयर सेंटर के नाम से पंजीकृत मिला। अवैध रूप से मेडिकल कालेज से मरीज को निजी अस्पताल ले जाता है। लेकिन वह पुलिस को देखकर फरार हो गया।

ओपीडी के बाहर खड़े रहते हैैं दलाल

इसके अलावा दलाली का जो सबसे पुराना तरीका आज तक चलता चला आ रहा है, वह सरकारी अस्पतालों से निजी अस्पतालों में मरीजों के ले जाने का सिलसिला आज भी जारी है। बीआरडी मेडिकल कालेज से मरीजों को निजी अस्पताल तक ले जाने के लिए दलाल ओपीडी के बाहर ही सक्रिय रहते हैैं। लेकिन पुलिस के पकड़ से आज भी वह दूर हैैं। हालांकि पुलिस इन पर भी नजरें गड़ाई हुई हैैं।

सरकारी अस्पतालों में दलालों के सक्रियता को लेकर पुलिस की तरफ से कार्रवाई की जा रही है। तीमारदारों को भी जागरूक होना होगा। उनसे कोई भी डाक्टर या मेडिकल स्टाफ सुविधा शुल्क के नाम पर वसूली करता है तो वह इसकी शिकायत दर्ज कराएं। कार्रवाई की जाएगी। प्रशासनिक अधिकारियों को नोडल प्रभारी बनाया गया है।

कृष्णा करुणेश, डीएम गोरखपुर

यह मामला संज्ञान में है। दलालों से सक्रिय रहने डॉक्टर्स को निर्देशित किया है। अब कैंपस का इंस्पेक्शन होगा और जो भी नियम विरुद्ध गतिविधि करते पाया गया। उस पर कार्रवाई की जाएगी।

डॉ। राजेंद्र ठाकुर, एसआईसी जिला अस्पताल