- नगर निगम की लापरवाही से गंदगी से पटे हैं नाले

- निगम पर भारी पड़ रहे ठेकेदार, छोड़ दिये अधूरे नाले

- जल जमाव के लिए पब्लिक भी दोषी, नाले पर बनाया घर

GORAKHPUR : बारिश का मौसम आते ही जल जमाव की समस्या आम हो जाती है। जरा सी बारिश में पूरा एरिया तालाब बन जाता है। वाटर लॉगिंग से निपटने को नगर निगम हर साल दावे और कोशिशें करता है, लेकिन लापरवाही सब पर भारी पड़ती है। कई एरियाज में तो महीनों पानी लगा रहता है। आई नेक्स्ट ने जब व्यवस्था की तह में जाने की कोशिश की तो पता चला कि लापरवाही और अधूरे पड़े नालों के चलते ही बारिश में शहर की दुर्गति होती है।

कच्चे नाले कर रहे जल जमाव

स्थिति- आज भी मौजूद हैं लगभग 50 किमी लंबे कच्चे नाले

मौजूदा हालात- नगर निगम गोरखपुर को स्थापित हुए 27 साल हो चुके हैं। इसके बावजूद सिटी में लगभग 50 किमी की लंबाई के कच्चे नाले हैं। यह कच्चे नाले सिटी मे विभिन्न एरिया में हैं। यह सामान्य मौसम में तो ठीक रहते हैं, लेकिन बरसात में उफान मारने लगते हैं। कई जगह तो बारिश के बाद यह अपना आकार ही बदल देते हैं। बारिश के पहले 3 फीट चौड़े नाले बारिश के बाद 5 से 6 फीट चौड़े हो जाते हैं।

बूढ़े नालों पर जिम्मेदारी

स्थिति- लगभग 50 किमी नाले उम्र पार करने के कारण टूट चुके हैं।

मौजूदा हालात- सिटी में लगभग 100 ऐसे नाले हैं जिनकी लंबाई 50 किमी के लगभग है, यह नाले अपनी उम्र पार कर चुके हैं। नगर निगम की लापरवाही के कारण इनमें से लगभग 50 नाले जर्जर हो चुके हैं। इन नालों के टूटने के कारण यह नाले सामान्य मौसम में तो पानी निकाल देते हैं, लेकिन जैसे ही बारिश का पानी इन नालों में आता है, जल जमाव की हालत हो जाती है।

सफाई के कागजी दावे

स्थिति- मेन नाले और नालियों की सफाई, मोहल्लों की नाले-नालियों की कागजी सफाई

मौजूदा हालात- नगर निगम अपने आधे काम कागजों में करता है और उसका खामियाजा जनता को भुगतना पड़ता है। नाला सफाई के लिए नगर निगम अप्रैल माह से ही तैयारी शुरू कर देता है और बारिश होने के बाद तक काम चलता रहता है। बड़ी मात्रा में नाला सफाई गैंग तैनात किए जाते हैं, फिर भी नाला जाम हो जाता है। नगर निगम के अफसरों को सिटी के मुख्य नाले तो दिखते है, लेकिन मोहल्लों के नाले-नालियां नहीं दिखते।

अधूरे काम, काम कर रहे तमाम

स्थिति- सिटी में 5 नाले अधूरे पड़े हैं।

मौजूदा हालत- सिटी में पिछले पांच साल में कई नालों का निर्माण शुरू हुआ। अधिकांश नाले तो बन गए, लेकिन 5 ऐसे नाले हैं जिनके पूरे होने का समय कोई नहीं बता पा रहा।

विशुनपुरवां नाला 2011 में शुरू हुआ अभी तक 200 मीटर ही बन पाया, तरंग क्रासिंग नाला का निर्माण 2012 में शुरू हुआ और पिछले दो साल से 50 मीटर नाला भी नहीं बन पा रहा है। महेवा फलमंडी, स्पोर्टस कॉलेज और सेमरा नं 2 का नाले की नींव दो से तीन साल पहले पड़ी थी, लेकिन काम पूरा नहीं हो पाया।

239 नालों पर 375 जगह है अतिक्रमण

स्थिति- नगर निगम के आंकड़ों में सिटी में 375 जगहों पर नालों पर अतिक्रमण है।

मौजूदा हालात- आंकड़ों की मानें तो जल जमाव से मुक्त कराने के लिए कुल 239 नाले बने हैं, जिन पर 375 जगहों पर अतिक्रमण कर लिया गया है। नालों पर अतिक्रमण होने के कारण सफाई में दिक्कत आती है। सिटी के सबसे लंबे नाले रेती चौक से रामगढ़ताल और धर्मशाला बाजार से इलाहीबाग पंपिंग स्टेशन के नालों का 2 किमी हिस्सा ऐसा है, जिसकी सफाई हुए सालों बीत गए।

नगर निगम की लापरवाही से मेडिकल कॉलेज रोड पर लगता है पानी

असुरन चौराहा से लेकर एचएन सिंह चौराहे तक का नाला 90 के दशक में बना है। नाला बनने के बाद नगर निगम ने अपनी पूरी जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ लिया। नाला बने 25 साल हो गए, लेकिन अभी तक इस नाले की मरम्मत पर नगर निगम की ओर से एक रुपया तक खर्च नहीं किया गया। नाला की स्थिति यह है कि जगह-जगह नाले की दीवार गायब हो गई। नाले के नीचे का हिस्सा भी गायब हो गया, जिसके कारण नाले की ठीक से सफाई भी नहीं हो पाती है। इस नाले की दयनीय स्थिति के कारण असुरन चौराहा, धर्मपुर, शाहपुर, एचएन सिंह चौराहा, शक्ति नगर कॉलोनी में बरसात के समय जल जमाव की स्थिति बनी रहती है।

सबसे अधिक प्रॉब्लम बारिश के समय होती है, कहीं नाला जाम हो जाता है तो कहीं नाले पर अतिक्रमण के कारण पानी लगने लगता है। नगर निगम अगर ठीक से काम करता है तो सिटी में इतना जल जमाव नहीं होता।

मनोहर लाल, तरंग क्रासिंग

नगर निगम के संज्ञान में जो भी मामले आते हैं, उनका निपटारा किया जाता है। जल जमाव से निपटने की लगातार तैयारी चल रही है। धीर-धीरे जल जमाव पर काबू पा लिया जाएगा।

राजेश कुमार त्यागी, नगर आयुक्त