- प्रदेश के बजट में गोरखपुराइट्स की उम्मीदों को लगे पंख
- कुशीनगर में इंटरनेशल एयरपोर्ट के लिए मिले 5 करोड़
- वहीं स्पोर्ट्स कॉलेज हॉकी के लिए एस्ट्रोटर्फ और कुश्ती हॉल के लिए मिला बजट
- वाराणसी के बुनकर खुश, जबकि गोरखपुर के बुनकरों की उम्मीदों पर खरा नहीं उतरा बजट
GORAKHPUR : उत्तर प्रदेश के मुखिया अखिलेश यादव के आम बजट में हर खास-व-आम के लिए कुछ न कुछ मौजूद था। प्रदेश के इस बजट में गोरखपुराइट्स की उम्मीदों को फिर पंख लगे हैं और उन्हें सिटी का सुनहरा फ्यूचर नजर आने लगा है। सिटी के डेवलपमेंट के लिए इस बजट में काफी कुछ मौजूद दिखा। कुशीनगर के मोस्ट अवेटेड इंटरनेशनल एयरपोर्ट के लिए जहां फंड मिला है, वहीं स्पोर्ट्स को बढ़ावा देने के लिए भी पहल की गई है। इन सबके बीच जहां कुछ लोग खुश हैं, वहीं गोरखपुर के बुनकरों के साथ सौतेला सुलूक किए जाने को लेकर यहां पर काफी नाराजगी भी है।
मिलेगा टूरिज्म को बढ़ावा
कुशीनगर में इंटरनेशनल एयरपोर्ट बनाने के लिए प्रदेश सरकार ने गोरखपुर के डेवलपमेंट के रास्ते खोल दिए हैं। पांच करोड़ की लागत से एयरपोर्ट तो कुशीनगर में बनेगा, लेकिन टूरिस्ट के लिए गोरखपुर स्टॉपिंग डेस्टिनेशन बनेगा। वह इसलिए कि यहां से न सिर्फ नेपाल जाने का रास्ता होकर गुजरता है, बल्कि गीता प्रेस, मगहर में संत कबीर की निर्वाण स्थली भी है। इन सभी का सेंटर प्वाइंट होने की वजह से यहां पर टूरिस्ट की तादाद बढ़ेगी, जिससे रोजगार के चांसेज भी बढ़ेंगे।
फिर फलक पर पहुंचेगी हॉकी
हॉकी की नर्सरी कहे जाने वाले गोरखपुर शहर ने दो दर्जन से ज्यादा इंटरनेशनल प्लेयर्स दिए हैं। बढ़ते कॉम्प्टीशन और फैसिलिटी की कमी होने की वजह से टैलेंट होने के बाद भी यह गेम और इसके प्लेयर लगातार बैकफुट पर जा रहे थे। इंटरनेशनल हॉकी प्लेयर जिल्लुर्रहमान की मानें तो हॉकी के लिए एस्ट्रोटर्फ मिलने से न सिर्फ खिलाड़ी इस जमाने के साथ कदम मिला सकेंगे, बल्कि इससे इंडियन टीम को मजबूत और अप टू डेट प्लेयर्स भी मिलेंगे। वहीं इंडियन रेसलिंग टीम के कोच चंद्रविजय सिंह ने कुश्ती हॉल बनाने के फैसले का स्वागत किया है। उन्होंने कहा कि इससे पहलवानों में जोश बढ़ेगा और इंडियन रेसलिंग को सुशील और योगेश्वर जैसे और बेहतर रेसलर मिलेंगे।
गोरखपुर के बुनकरों में निराशा
एक तरफ जहां प्रदेश सरकार ने कई सौगातें दी हैं, वहीं इस बजट से वह गोरखपुर के बुनकरों को खुश करने में नाकाम साबित हुए हैं। बुनकर नेता कमरुज्जमा की मानें तो इस बजट में बुनकरों को बिल्कुल इग्नोर किया गया है। वाराणसी के बुनकरों पर सिर्फ इसलिए ध्यान दिया गया है, क्योंकि वह पीएम नरेंद्र मोदी का संसदीय क्षेत्र है। प्रदेश सरकार को उनसे कई बजट और फंड रिलीज कराने है, इसलिए वाराणसी की ओर ध्यान दिया गया है। वरना चौथी बार सत्ता में आई प्रदेश सरकार को सिर्फ इलेक्शन के वक्त ही बुनकरों की याद आती है।