- पासपोर्ट वेरीफिकेशन के लिए मांगे रुपए
- गुलरिहा पुलिस की लापरवाही से भटक रहा राम नगीना
GORAKHPUR: पासपोर्ट वेरीफिकेशन पुलिस की कमाई का जरिया हो गया है। जांच के दौरान आवेदक ने मुंहमांगी रकम दे दी तो ठीक है। वरना कोई न कोई गलत तथ्य बताकर पुलिस फाइल लौटा देगी। गुलरिहा पुलिस ने पासपोर्ट रिन्यूवल के वेरीफिकेशन में एप्लीकेंट का एड्रेस गलत बता दिया। पासपोर्ट मुंशी की करतूत का खामियाजा भुगत रहा आवेदक न्याय के लिए भटक रहा है। उसने एसएसपी को नोटरी बयान हल्फी सहित प्रार्थना पत्र देकर कार्रवाई की मांग की है।
मसकट कमाने गया था नाहरपुर का राम नगीना
नाहरपुर निवासी राम नगीना विश्वकर्मा ने अपना पासपोर्ट बनवाया था। उसी पासपोर्ट के जरिए वह मसकट कमाने गया। पासपोर्ट की तिथि खत्म होने पर रामनगीना ने रिन्यूवल के लिए आवेदन किया। पुलिस के पास जांच के लिए फाइल पहुंची तो मामला बिगड़ गया। जनवरी मंथ में वेरीफिकेशन की सूचना देने कांस्टेबल अनिल सिंह उसके घर पहुंचे। आरोप है कि कांस्टेबल ने तीन हजार रुपए, आधार कार्ड की फोटोकापी, दो फोटो मांगा। सिपाही ने एक सादे पेपर पर हस्ताक्षर करा लिया। लेकिन रामनगीना ने तीन हजार देने से मना कर दिया।
सरेंडर करने की चिट्ठी आई, खिसक गई पैरों तले जमीन
सिपाही से मिलने के बाद राम नगीना अपने काम में बिजी हो गया। अचानक पासपोर्ट आफिस लखनऊ से एक चिट्ठी उसके पास पहुंची। पासपोर्ट आफिस से दी गई सूचना में उसको डॉक्यूमेंट्स जमा कराने को कहा गया। बताया गया कि 22 जनवरी को पासपोर्ट डिस्पैच किया गया था। जारी किए गए दस्तावेज को सरेंडर करने, एड्रेस प्रूफ का सर्टिफिकेट देने को कहा गया। चिट्ठी आने के बाद आवेदक ने जांच कराई तो पता लगा कि पुलिस रिपोर्ट लगाने में गड़बड़ी की गई। रामनगीना के पास आधार कार्ड, मतदाता कार्ड, ग्राम प्रधान का प्रमाण पत्र सहित सभी दस्तावेज मौजूद हैं। वह अपने घर पर रहकर प्राइवेट जॉब कर रहा है।
रुपए न देने पर बिगड़ जाती है बात
पासपोर्ट वेरीफिकेशन के नाम पर पुलिस जमकर वसूली करती है। मुंहमांगी रकम देने पर रिपोर्ट लग जाती है। रुपए देने में आनाकानी करने वाले झेलते हैं। सरहरी निवासी उदयसेन ने अपने पासपोर्ट का आवेदन किया था। वेरीफिकेशन के दौरान सिपाहियों ने 15 सौ रुपए लेकर थाने जाने की सलाह दी। उदयसेन ने तत्कालीन एसओ अजय कुमार ओझा से अपने परिचितों की बात कराई। परिचितों के बात करने पर उसने थाने में मुंशी को रुपए नहीं दिए। बाद में पता लगा कि उसके पासपोर्ट जांच में कई कॉलम अधूरे रह गए। वह दो महीने से लखनऊ से लेकर गोरखपुर तक चक्कर लगा रहा है।
काम करता प्रॉपर चैनल
पासपोर्ट आवेदन में कमाई का प्रॉपर चैनल बना हुआ है। थाने पर पासपोर्ट मुंशी के इशारे पर काम होता है। पासपोर्ट मुंशी की सूचना पर बीट कांस्टेबल आवेदक का वेरीफिकेशन करने पहुंचते हैं। वहां एप्लीकेंट से सौदा तय होता है। तीन हजार से लेकर 15 सौ रुपए तक में बात बन जाती है। किसी का दबाव आने पर रकम थोड़ी कम हो जाती है। थाने के पासपोर्ट मुंशी के पास सभी दस्तावेज जमा होते हैं। मुंशी अपने हिसाब से रिपोर्ट लगाकर थानेदार से हस्ताक्षर करा लेते हैं। रुपए की बात करने पर खुलेआम थानेदार का नाम लिया जाता है।
सिपाही नहीं लगाता रिपोर्ट
पासपोर्ट के मामले में जब सिपाही अनिल सिंह से बात की गई तो उन्होंने खुद को बेकसूर बताया। कहा कि सिपाही रिपोर्ट नहीं लिखता है। हम लोग कोई लिखापढ़ी नहीं करते हैं। थाने पर आने वाले वेरीफिकेशन की सूचना आवेदक को दे देते हैं। उनके संबंध में अपनी सूचना इसके आधार पर थाना दफ्तर में कार्रवाई होती है। हमारे ऊपर लगाए गए सभी आरोप गलत हैं।
सिपाही हमारे घर आए थे। उन्होंने हमसे तीन हजार रुपए मांगे। पहले हमारा पासपोर्ट बना था। इसलिए हमने रुपए देने से इंकार कर दिया। सभी प्रकार के दस्तावेज होने, गांव में हमारी मौजूदगी के बाद सही रिपोर्ट नहीं लगाई गई।
राम नगीना विश्वकर्मा, पीडि़त आवेदक
इस मामले की जांच कराई जाएगी। जो भी दोषी पाया जाएगा। उसके खिलाफ कार्रवाई होगी। आवेदक से रुपए मांगना गलत है।
प्रदीप कुमार, एसएसपी