- बीआरडी मेडिकल कॉलेज का हाल
-पट्टी के सहारे ओवर हेड लाइट, टेबल की भी हालत खराब
GORAKHPUR: बीआरडी मेडिकल कॉलेज स्थित ट्रॉमा सेंटर में मरीजों का इलाज भगवान भरोसे चल रहा है। अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस ट्रॉमा सेंटर का ऑपरेशन थियरेटर खुद ऑपरेशन कराए बैठा है। जगह-जगह पट्टियां लगाकर ओवर हेड लाइट्स का जुगाड़ किया गया है, तो वहीं टूटी हुई ओटी टेबल पर मरीज जिंदगी और मौत के बीच जंग लड़ने को मजबूर हैं। पट्टी के सहारे जुगाड़ से बांधकर पेशेंट्स का ऑपरेशन किया जा रहा है। मगर जिम्मेदारों ने इसे सुधारने के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाया है।
पुराने उपकरणों से कैसे लड़े जंग
पूर्वाचल में मरीजों के लिए एक मात्र ऑप्शन के तौर पर मौजूद मेडिकल कॉलेज इन दिनों खुद बीमार हो गया है। ट्रॉमा सेंटर में चोट, हड्डी, सर्जरी से संबंधित अति गंभीर पेशेंट्स का इलाज होता है। 20 बेड वाले ट्रामा सेंटर में मरीजों को एडमिट किए जाते हैं। मरीजों को बेहतर सुविधा मुहैया कराने के इरादे से शासन ने आठ साल पहले करोड़ों की लागत से ट्रॉमा सेंटर की स्थापना की गई, मगर संसाधनों के अभाव में इसका काम नहीं शुरू हो सका। चार साल पहले काफी जोड़-तोड़ और जुगाड़ के बाद इसे चालू कराया गया। मगर अब इसकी हालत बद से बदतर हो चुकी है। मरीजों ने इस संबंध में कई बार जिम्मेदारों को अवगत कराया गया, लेकिन ट्रॉमा सेंटर में लगे पुराने उपकरण को बदलने की जहमत नहीं उठाई। इसी का नजीता है कि मेडिकल कॉलेज की व्यवस्था धीरे-धीरे पटरी से उतर नजर आ रही है।
हो सकता है हादसा
मेडिकल कॉलेज के ट्रॉमा सेंटर में मरीजों की जान खतरे में है। हादसे से बचने के लिए ओटी तक पहुंचने वाले मरीज जिंदगी की जंग जीत सकेंगे यहा नहीं, इसके बारे में कुछ कहा नहीं जा सकता। ऑपरेशन थियेटर की लाइटिंग व्यवस्था और टूटे जर्जर टेबल किसी बड़े हादसे को दावत दे रहे हैं। वहीं दूसरी तरफ प्रॉपर लाइटिंग न होने से ऑपरेशन में भी काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। विशेषज्ञों की मानें तो ओटी में सूरज की रोशनी जैसी लाइटिंग की व्यवस्था होनी चाहिए, लाइट की व्यवस्था करने के चक्कर में जिम्मेदारों ने रिपेयरिंग और उसकी मरहम पट्टी कर कोरम पूरा कर दिया है।
पुराने उपकरणों को बदले जाने के लिए शासन स्तर पर बात चल रही है। इसके लिए प्रस्ताव बनाए गए है। जल्द ही पुराने उपकरणों को हटाकर नये उपकरण लगाए जाएंगे।
डॉ। राजीव मिश्रा, प्राचार्य