- बीआरडी के कोरोना वार्ड में सीरियस मरीजों को किया जाता है एडमिट
- मरीज को एडमिट करने के बाद परिजन के पूछने पर नहीं दिया जाता जवाब
GORAKHPUR:m एक्सक्यूज मी मैम। मेरे पापा की तबीयत कैसी? इस तरह के सवाल बीआरडी मेडिकल कालेज के कोरोना वार्ड में बनाए गए हेल्प डेस्क पर तीमारदारों द्वारा पूछे जाते हैं। लेकिन हेल्प डेस्क की तरफ से जो जवाब आता है वह बेहद ही दिल दुखाने वाला होता है। दरअसल, बीआरडी मेडिकल कालेज के आईसोलेशन वार्ड में लेवल थ्री के मरीज एडमिट हैं। वह कहीं न कहीं गंभीर बीमारी से जूझ रहे हैं। ज्यादातर मरीजों जिनको सांस लेने को लेकर समस्या है वह वेंटिलेटर पर हैं। वहीं, जो सामान्य बेड पर मरीज हैं उन्हें सीनियर डॉक्टर्स की देखरेख में जूनियर रेजीडेंट डाक्टर, नर्स और मेडिकल स्टाफ ट्रीटमेंट कर रहे हैं। लेकिन किसी भी सीरियस मरीज का हाल चाल जानने के लिए अगर उनके कोरोना संक्रमण काल में खुद को संक्रमण के बीच कोविड हेल्प डेस्क पर पहुंचते हैं तो उन्हें मरीज के हालचाल बताने के बजाय उन्हें टालमटोल कर वापस कर दिया जाता है। या यूं कहे की मरीज की कंडीशन इतनी सीरियस होती है कि उसे सही सही बताया नहीं जाता है, क्योंकि मरीज के परिजन कहीं पैनिक क्रिएट न कर दें।
एक दर्जन से अधिक मरीज वेंटिलेटर पर
दरअसल, बीआरडी मेडिकल कालेज में वे मरीज एडमिट हैं। जो कोरोना जंग से लड़ रहे हैं। वह लेवल वन से टू और टू से जूझते हुए अब थ्री लेवल में पहुंच चुके हैं। ऐसे करीब एक दर्जन से अधिक मरीज बीआरडी के वेंटिलेटर पर हैं। जो जिंदगी और मौत से जूझ रहे हैं। वहीं डॉक्टर की टीम भी ऐसे सीरियस मरीजों को सीनियर डॉक्टर महिम मित्तल और डॉ। राजकिशोर सिंह के देखरेख में इलाज किए जा रहे हैं। यहीं नहीं एसजीपीजीआई तक के डॉक्टर सीरियस मरीजों के इलाज में अहम रोल अदा कर रहे हैं। मरीज के तीमादार प्रिंस बताते हैं कि उनके पापा पहले लेवल 1 का केस था, फिर लेवल 2 का केस हुआ तो टीबी अस्पताल में एडमिट कराया गया। हालात सीरियस हुई तो बीआरडी मेडिकल कालेज के लेवल 3 में रेफर कर दिया गया है। पिता की कंडीशन बेहद खराब है। उनके लंग्स में प्राब्लम है। वेंटिलेटर पर हैं। डॉक्टर ने दवाएं भी मंगाई थी। जो उपलब्ध करवा दी गई। लेकिन जब भी कोविड-हेल्प डेस्क पर जाओ तो वहां कोई रिस्पांस नहीं दिया जाता है। यह कोई एक मरीज के तीमारदार के साथ नहीं बल्कि दूसरे मरीजों के तीमारदार के साथ भी हो रहा है। वहीं पूजा बताती हैं कि कोविड हेल्प डेस्क पर जाने पर तैनात जो मेडिकल स्टाफ हैं। वे मरीज की कंडीशन के बारे में कुछ भी सही जानकारी नहीं देते हैं।
आए दिन होता है विवाद
वहीं बीआरडी मेडिकल कालेज में एडमिट होने वाले 200 बेड का अस्पताल पूरी तरह से फुल है। ऐसे में मरीजों के तीमारदार भी खूब आ रहे हैं। अपने मरीज के हालचाल पूछने के लिए मेडिकल कालेज की तरफ से दोपहर 12 से 3 बजे का वक्त निर्धारित किया गया है। इस बीच वह अपने मरीज का हाल जान सकते हैं। लेकिन मरीज के हाल बिगड़ने पर तीमारदारों के पूछे जाने पर कई बार विवाद की स्थिति भी उत्पन्न हो जा रही है। चूंकि जूनियर डॉक्टर, नर्स की तरफ से कई तीमारदारों ने इलाज में लापरवाही का भी आरोप लगा चुके हैं।
फैक्ट फीगर
- जिला अस्पताल में 23 बेड (चार बेड का वेंटिलेटर व 19 बेड का आइसोलेशन)
- बीआरडी मेडिकल कालेज में 200 बेड (40 बेड का वेंटिलेटर व 160 बेड का आइसोलेशन)
- रेलवे अस्पताल में 200 बेड को कोरोना वार्ड
- स्पोर्ट्स कालेज में 200 बेड का कोरोना वार्ड
वर्जन
लेवल-3 के मरीज सीरियस हैं, लेकिन उनके परिजनों के बार-बार मरीज का हाल पूछे जाने पर जो भी रिपोर्ट होता है। वह बताया जाता है। अब मरीज के तीमारदार दिन में कई बार एक ही सवाल करेंगे तो कहां तक बताया जाएगा।
डॉ। गणेश कुमार, प्रिंसिपल, बीआरडी मेडिकल कालेज