खुलेआम चल रहा खेल
हकीकत जानने जब आई नेक्स्ट रिपोर्टर पार्सल घर पहुंचा तो वहां उसे एक एजेंट ने घेर लिया। उसने अपना नाम पन्नेलाल बताया। पेश है रिपोर्टर और एजेंट की बातचीत के प्रमुख अंश
रिपोर्टर - भईया नई दिल्ली से गोरखपुर मेरा माल (स्वेटर) आ रहा है।
एजेंट - कौन सी गाड़ी से आएगा?
रिपोर्टर - 24 नवंबर को आने वाली (12553) वैशाली सुपर फास्ट एक्सप्रेस से।
एजेंट- अच्छा
रिपोर्टर- मेरा माल कैसे उतरेगा ?
एजेंट - परेशान क्यों होते हैं माल उतारने की जिम्मेदारी हमारी होगी।
रिपोर्टर - कितना रुपए पेमेंट करना होगा?
एजेंट - 250 रुपए नग।
रिपोर्टर - करीब 15-16 नग माल है। कुछ कम कर लीजिए।
एजेंट - देखिए कुछ पैसे कम कर देंगे, लेकिन यहां सभी को रुपए देने होते हैं।
रिपोर्टर - किस-किस को रुपए देने पड़ते हैं।
एजेंट - अब एक आदमी हो तब ना। पार्सल कर्मचारी से लगाए सभी को हिस्सा देना पड़ता है।
रिपोर्टर - क्यों रेलवे के हम्माल व्यापारी का माल नहीं उतराते हैं क्या?
एजेंट - जब रेलवे के पास हम्माल होंगे तब ना। बिना एजेंट के न तो किसी का माल ट्रेन में लोड हो सकता है और ना ही उतर सकता है।
रिपोर्टर - क्यों?
एजेंट - रेलवे के पास आदमी ही नहीं है तो माल कौन चढ़ाएगा और उतारेगा कौन?
रिपोर्टर -फिर भी कुछ रेट कम कीजिए।
एजेंट - देखिए रेट बढ़ गया है, क्योंकि जब से न्यू प्लेटफार्म बने हैं। तब से प्लेटफार्म नंबर 8-9 से आने वाले सामान को पार्सल घर तक लाने में काफी प्रॉब्लम होती है। इसलिए रेट बढ़ गए हैं।
रिपोर्टर - ठीक है कल मार्निंग में मिलते हैं।
150-200 अनअथाराइज्ड एजेंट्स हैं एक्टिव
वैसे तो पार्सल घर पर उतरने वाले माल को छुड़ाने और ट्रेन में लोड करने का काम बिना एजेंट के पॉसिबल नहीं है। अगर कोई यह सोचे की वह खुद ही अपना माल बुक कराकर ट्रेन में लोड करा ले तो शायद उसकी भूल होगी, क्योंकि पार्सल घर पहुंचते ही एजेंट्स पूरी तरह से आपको घेर लेंगे और आपको उन्हीं की शरण में जाना होगा। यह खेल पिछले कई महीनों से चल रहा है। अगर बात करें विश्व के सबसे लंबे प्लेटफार्म पर स्थित पार्सल घर की तो यहां करीब 150-200 अनअथाराइज्ड एजेंट्स पूरी तरह से वसूली में लगे हुए हैं।
सेल्स टैक्स में जमकर होती है धांधली
पार्सल घर पर तैनात एजेंट्स ने बताया कि पार्सल घर में होने वाले खेल के पीछे रेलवे कर्मचारी और सेल्स टैक्स डिपार्टमेंट के अधिकारी हैं। सेल्स डिपार्टमेंट को मैनेज करने की जिम्मेदारी पार्सल घर के अधिकारियों के पास है। सेल्स डिपार्टमेंट की तरफ से तभी छापेमारी की जाती है, जब उनके पास उनके हिस्से का चढ़ावा नहीं पहुंचता है। हालांकि कुछ एजेंट्स ने यहां तक कहा कि सेल्स डिपार्टमेंट के अधिकारियों की मिलीभगत के बगैर सेल्स टैक्स चोरी हो ही नहीं हो सकती है।
क्या है नियम
पार्सल के एक सुप्रिटेंडेट ने बताया कि कोई भी व्यापारी अपने माल को बुक कराने के लिए फस्र्ट ऑफ आल तो फॉरवर्डिंग फॉर्म फिल्प करता है। जिसमें उसके माल का विवरण, नाम, पता, पाने वाले का नाम आदि डिटेल्स मेंशन होता है। उसके बाद उस माल का व्यापारी और रेलवे से एग्रीमेंट हो जाता है। एग्रीमेंट के बाद रेलवे की पूरी जिम्मेदारी हो जाती है उस माल को गंतव्य तक पहुंचाने की। लेकिन खेल यहीं से शुरू होता है। होता क्या है कि व्यापारी अपने माल की बुकिंग कराने खुद न आकर एजेंट्स के माध्यम से बुक कराता है। माल बुक कराने के बाद गंतव्य स्टेशन पर भी एजेंट ही माल उतारता है, लेकिन मेन ऑनर पिक्चर से गायब होता है। इस चक्कर में कई बार छापेमारी में मेन मालिक फ्रंट पर आता भी नहीं है और माल को सेल्स डिपार्टमेंट अपने कब्जे में लेकर चालान कर देता है।
माल छुड़ाने का नियम
रेलवे द्वारा दी गई रसीद (पीडब्ल्यू बिल) दिखाकर माल को छुड़ाया जाता है। नियमानुसार तो माल उसी को छुड़ाने का अधिकार है जिसके नाम से हो। या फिर माल के मालिक का खास आदमी हो। कोई तीसरा व्यक्ति यानी की एजेंट्स न हो। अगर किसी कारणवश ट्रेन से माल नहीं उतर पाता है तो वह ओवर कैरी हो जाता है, जिसका चार्ज नहीं लगता है, लेकिन अनअथाराइज्ड एजेंट्स धड़ल्ले से प्रत्येक नग का 250 से 300 रुपए वसूल रहे हैं।
माल बुक करने और ट्रेन से उतारने के बाद डिलीवरी की जिम्मेदारी रेलवे स्टाफ की होती है। लीज पर आने वाले सामान को उनके ऑनर के आदमियों द्वारा हैंडिल किया जाता है। जहां तक पार्सल घर पर एजेंट्स के कब्जे की बात है तो इसे चेक कराकर उचित कार्रवाई की जाएगी।
आलोक कुमार सिंह, सीपीआरओ, एनई रेलवे
Report by : amarendra.pandey@inext.co.in
Photo : Rajesh Rai