- डीडीयूजीयू के जियोग्राफी डिपार्टमेंट की ओर से जैविक कृषि की संभावनाओं पर ऑर्गनाइज हुआ सेमिनार
GORAKHPUR: डीडीयूजीयू डिपार्टमेंट ऑफ जियोग्राफी में सोमवार को सेमिनार ऑर्गनाइज किया गया। पूर्वी उत्तर प्रदेश में जैविक कृषि की संभावनाओं पर ऑर्गनाइज इस सेमिनार में बतौर चीफ गेस्ट विधान परिषद सभापति गणेश शंकर पांडेय ने रहे। इस मौके पर उन्होंने जैविक कृषि पर समर्थन करते हुए कहा कि यह राष्ट्रीय हित के लिए बेहतर कदम है। सिक्किम का उदाहरण देते हुए उन्होंने स्पष्ट किया कि वहां जैविक उर्वरकों पर आधारित कृषि विकास के कारण उसे भारत का प्रथम जैविक राज्य घोषित किया गया है। कार्यक्रम की अध्यक्षता डीडीयूजीयू के कार्यवाहक वीसी प्रो। आरपी यादव ने कहा कि हरित क्रांति पर निर्भरता कम करते हुए जैविक कृषि के विकास से ही अच्छा विकास प्राप्त होगा। समारोह के अंतर्गत डॉ। अजय प्रताप निषाद द्वारा लिखित पुस्तक 'सिक्किम का जनसंख्या भूगोल' का विमोचन किया गया। इस सेमिनार में प्रो। पीआर चौहान की लिखी 'प्रयोगात्मक भूगोल' में किए गए रिसर्च वर्क पर भी डिस्कशन हुआ।
संभावनाओं को लेकर हुआ डिस्कशन
सेमिनार के दौरान जैविक कृषि की संभावनाओं को लेकर डिस्कशन किया गया। सिक्किम की जनसंख्या का क्षेत्रीय कालिक, सामाजिक तथा सांस्कृतिक प्रतिरूप का विश्लेषण किया गया। पूर्वी उत्तर प्रदेश में जैविक कृषि की संभावनाओं पर परिचर्चा करते हुए डिपार्टमेंट के पूर्व अध्यक्ष प्रो। जेएन पांडेय ने कहा कि जैविक कृषि की परंपरागत भारतीय कृषि का पुनरागमन जैविक कृषि है। इसी तथ्य का और विस्तार करके प्रो। आरवी पटेल ने स्पष्ट किया। जैविक कृषि के अंतर्गत रासायनिक उर्वरकों कीटनाशकों पर निर्भरता कम करते हुए परंपरागत जैविक अवशिष्टों उर्वरकों और आधुनिक जैवीय कीटनाशकों और उर्वरकों का प्रयोग भी बढ़ाया जाना चाहिए। गेस्ट का वेलकम एचओडी प्रो। नूतन त्यागी ने किया। कार्यक्रम का संचालन प्रो। पीआर चौहान ने, जबकि धन्यवाद ज्ञापन डॉ। शिवाकांत सिंह ने किया।