- 15 साल से सात सड़कें गड्ढे में तब्दील
- जानलेवा मार्ग पर व्यापारियों का चलना हुआ मुश्किल
GORAKHPUR: महेवा मंडी में इन दिनों व्यापारी काफी परेशान हैं। आसपास की सड़कों पर जगह-जगह गड्ढे हो गए, जो बड़े हादसे को दावत दे रहे हैं। लेकिन इसके बाद भी इनकी सुधि लेने वाला कोई नहीं है। मछली और गल्ला मंडी को छोड़ दिया जाए, तो फल-सब्जी और आलू मंडी में कुल सात सड़के हैं। 16 साल पहले करोड़ों रुपए खर्च कर सीसी रोड का निर्माण करवाया गया था, लेकिन निर्माण के महज एक साल बाद ही रोड टूटना शुरू हो गई। वर्तमान में इन सड़कों की दशा बेहद ही खराब है। आये दिन इन गड्ढों पर गिरकर व्यापारी और आम आदमी हादसे का शिकार हो रहे हैं।
एंट्री से दिक्कत शुरू
पूर्वाचल की सबसे बड़ी मंडी में सड़क का हाल जानने आई नेक्स्ट रिपोर्टर महेवा मंडी के एंट्री प्वाइंट मेन गेट पर पहुंचा। यहां से से ही मुश्किलें शुरू हो गई। सड़कों की बदहाल स्थिति के साथ ही कई समस्याएं नजर में सुई की तरह चुभ रही थीं। करोड़ों खर्च करने के बाद भी बेहतर सुविधाओं से महरूम ये व्यापारी मंडी की दुर्व्यवस्था को उजागर कर रहे थे। व्यापारियों का कहना है कि फल-सब्जी और आलू मंडी को मिलाकर बी, सी और डी क्लास की 148 दुकानें हैं। साथ ही 55 केला भट्ठी और तीन बड़े चबूतरे हैं। वहीं इस एरिया वाहनों के आने-आने के लिए कुल सात मार्ग है, जो पूरी तरह से टूट चुकी हैं।
टूटे डिवाइडर, खुले सीवर होल
सड़क तो सड़क डिवाइडर और खुले सीवर होल की हालत भी दयनीय है। मार्ग के बीचो-बीच बने डिवाइडर टूट चुके हैं। वहीं मंडी में कुल 101 सीवर होल है। जिसमें से कुछ ही होल में लोहे की जाली लगी है लेकिन आधे से अधिक की हालत ऐसी है कि इसमें गिरकर अधिकांश लोग जख्मी होकर अस्पताल पहुंच जाते हैं।
फल-सब्जी और आलू मंडी की सड़क कई जगह टूट गई है। साथ ही कई जगहों पर तो यह हालत है कि उधर से बड़े वाहन भी नहीं जाते हैं। यदि यहां से गुजर गए तो इसमें फंसकर काफी समय लग जाता है। माल को उतरवाने और लाने में काफी पैसा खर्च हो जाता है।
- अविनाश गुप्ता, नारियल करोबारी
मंडी प्रशासन की उदासीनता की वजह से यहां की सड़कों की हालत खराब है। सोलह साल पहले सीसी रोड बनाया गया था, लेकिन निर्माण के कुछ ही दिनों बाद से टूटने लगा। व्यापारियों को मिलने वाली सुविधाएं भी समय से नहीं मिल पाती है।
- प्रमोद गुप्ता, उप महामंत्री, पूर्वाचल फल-सब्जी विक्रेता संघ
मंडी की समस्याओं को दूर करने के लिए मुख्यालय लखनऊ में मीटिंग हुई थी। जिसमें मंडी की दुकानों की रिपेयरिंग और अन्य मरम्मत कार्य के लिए डायरेक्टर ने हामी भरी है। जल्द से जल्द मंडी का कायाकल्प किया जाएगा।
- इंदल प्रसाद, डीडीसी, मंडी परिषद
इसकी जानकारी कई बार निर्माण विभाग को दी गई है, लेकिन उन्होंने अब तक कोई कदम नहीं उठाया है।
सुभाष यादव, सचिव, मंडी समिति