गोरखपुर (ब्यूरो)।इसके चलते पेशेंट परेशान हैं। हालांकि, इमरजेंसी और आर्थो फीमेल वार्ड में ठंड से बचने के लिए ब्लोअर लगाए गए हैं। साथ ही कंबल मुहैया कराए गए हैं। पर यह नाकाफी हैं और अटेंडेंट घर से कंबल लाने को मजबूर हैं। उनका कहना है कि सरकारी कंबल से ठंड नहीं जाती।

काम नहीं करते सरकारी कंबल

दैनिक जागरण आईनेक्स्ट टीम शुक्रवार दोपहर इमरजेंसी और आर्थो फीमेल वार्ड में पहुंची। यहां मरीजों के बेड के पास ब्लोअर लगे मिले। मरीजों को कंबल दिए गए थे, लेकिन काफी पतले होने के कारण अटेंडेंट घर से कंबल लाए थे। वहीं, आर्थो मेल वार्ड में कुछ मरीजों को नए तो कुछ को पुराने कंबल दिए गए थे। मेल वार्ड के गलियारे में ज्यादा संख्या में मरीज भर्ती हैं। उन्हें पुराने कंबल दिए गए हैं।

वार्ड में आती हवा

महावीर छपरा के नंद किशोर ने बताया, स्टाफ ने हमें पुराना कंबल दिया है, लेकिन इससे ठंड नहीं जाती। क्योंकि अक्सर दरवाजा खुला रहता है और ठंडी हवा अंदर प्रवेश करती है। एक कंबल से काम नहीं चलता। इसलिए घर से कंबल मंगवाना पड़ा है। न्यू बिल्डिंग के चिल्ड्रेन वार्ड के एक खिड़की का शीशा टूटा मिला। अटेंडेंट देवा नंद चौधरी ने बताया, अस्पताल प्रशासन की ओर से जो व्यवस्था मिल रही है। उसी से काम चलाना पड़ रहा है। स्टाफ से कहने पर कोई नहीं सुनता।

महिला अस्पताल में नहीं मिला कंबल

महिला अस्पताल के एमसीएच विंग की पांचवीं मंजिल पर सिजेरियन के बाद भर्ती एक भी प्रसूताओं को ठंड से बचाव करने को लेकर कंबल नहीं दिया गया। इतना ही नहीं प्राइवेट वार्ड के एक कमरे और सीढिय़ों के खिड़कियों का शीशा टूटा मिला। इस ओर कोई भी जिम्मेदार ध्यान नहीं दे रहा है। भर्ती मरीजों का कहना है कि इन वार्डो में सभी लोग अपने घरों से ही रजाई, कंबल आदि लाकर ठंड से बचाव कर रहे हैं। मांगने पर हेल्थ कर्मी कंबल की कमी बता रहे हैं।

फैक्ट एंड फीगर

350 बेड का है जिला अस्पताल

250 बेड का है जिला अस्पताल

इमरजेंसी, मेल और फीमेल आर्थो वार्ड में आ रहे सर्वाधिक मरीज

ठंड से बचाव के लिए अस्पताल की ओर से जो कंबल मिले हैं, वह किसी काम के नहीं हैं। इसलिए मजबूरी में घर से कंबल मंगवाना पड़ा है। गलियारे का दरवाजा अक्सर खुला रहने से हवा सीधे वार्ड में आती है।

संजय गुजराती, धर्मशाला

एक्सीडेंट में घायल हुआ हूं। परिजनों ने अस्पताल में भर्ती करवाया है। ठंड से बचाव के लिए स्टाप ने पुराने कंबल दिए। इस कंबल में कई छेद हैं। मजबूरी में काम चलाना पड़ रहा है।

नंद किशोर, महावीर छपरा

अस्पताल की इमरजेंसी और आर्थो फीमेल वार्ड मेंं ब्लोअर लगाए गए हैं। साथ ही भर्ती मरीजों को कंबल मुहैया करवाया जा रहा है। जहां तक खिड़कियों के शीशे टूट गए हैं। उसे दुरुस्त करवाया जाएगा।

डॉ। राजेंद्र ठाकुर, एसआईसी जिला अस्पताल