गोरखपुर (ब्यूरो).शिशु देखभाल कक्ष की हकीकत जानने के लिए दैनिक जागरण आई नेक्स्ट की टीम सोमवार की दोपहर गोरखपुर जंक्शन पहुंची। जहां कक्ष में माताओं के बैठने के लिए सोफा और कुर्सियां लगी नजर आई। साथ ही बच्चों के खेलने के लिए तरह-तरह के खिलौने भी दिखाई दिए। वहीं गोरखपुर रेलवे बस स्टेशन बेबी फिडिंग कक्ष भी खुला मिला, जहां माताएं अपने बच्चों को स्तपान करा रही थी। हैरानी तब हुई जब टीम राप्तीनगर कचहरी बस स्टेशन पहुंची। यहां जो देखा वह वह हैरान कर देने वाला था। कक्ष के बाहर ताला लटका हुआ था। शिशु स्तनपान के लिए चैंबर में डायपर बदले की लिए टेबिल, एलईडी लाइट और पंखे तक गायब मिले। इतना ही नहीं पैनिक बटन, अलार्म की सुविधा भी नहीं थी। जबकि यह सुविधाएं माताओं के लिए उपलब्ध कराई जानी थी। कक्ष के प्रवेश द्वारा एवं सभी दीवारों पर केवल मां और शिशु के प्रयोग के लिए संदेश और चित्र प्रदर्शित किए गए हैं।
डेली एक हजार माताएं करती हैं बस में सफर
राप्तीनगर कचहरी बस स्टेशन से डेली 100 से 150 बसों का संचालन किया जाता है। इसें से करीब एक हजार माताएं अपने लाल के साथ सफर करती है। सफर के दौरान स्टेशन परिसर में नवजात शिशु को स्तनपान के लिए माताओं को शिशु देखभाल कक्ष की सुविधा मुहैया कराई गई हैं, लेकिन यह काफी समय से बंद पड़ा है। उधर रोडवेज प्रशासन का कहना हैं कि कक्ष की जिम्मेदारी स्टेशन इंचार्ज की है, लेकिन हकीकत में कुछ और है।
बस स्टेशन पर नवजात शिशुओं की माताओं के लिए बना शिशु देखभाल कक्ष को खोलने की जिम्मेदारी इंचार्ज की है। यदि उसमें ताला लगा है तो गलत है। इसकी जांच कराई जाएगी।
- पीके तिवारी, आरएम