- आरटीओ का डंडा चलने पर सहमे ऑटो ड्राइवर्स
- कार्रवाई के डर से स्कूली ऑटो रिक्शा वाले आंशिक हड़ताल पर
- पेरेंट्स ने उनकी मांगो का ठहराया नाजायज, निर्धारित मानक पर बच्चों को ले जाने की अपील
GORAKHPUR: 'चोरी और ऊपर से सीनाजोरी' यह मिसरा इन दिनों ऑटो ड्राइवर्स पर बिल्कुल सटीक बैठता है। पैस कमाने की हवस में बच्चों की जान को जोखिम में डालने वाले ड्राइवर्स पर जब आरटीओ का डंडा चला, तो वह बजाए अपनी गलती को सुधारने के आरटीओ के विरोध में झंडा बुलंद कर खड़े हो गए। बातचीत हुई, आरटीओ ने बीच का रास्ता भी निकाला लिया। उन्होंने यह भी तय कर दिया कि अगर निर्धारित मानक पर वह अपनी गाडि़यों पर बच्चों को या फिर सवारी को बैठाते हैं, तो उनका चालान नहीं होगा। इसके बाद भी ऑटो ड्राइवर्स मनमानी पर अड़े हुए हैं, जिससे न सिर्फ स्टूडेंट्स को बल्कि पेरेंट्स को भी पेरशानी का सामना करना पड़ रहा है।
ड्राइवर्स ने जारी रखा है विरोध
आरटीओ डिपार्टमेंट की तरफ से चलाए गए स्कूली आटो वालों के खिलाफ अभियान का ऑटो ड्राइवर्स ने पिछले दिनों विरोध शुरू कर दिया है। पैरेंट्स ने आरटीओ के इस अभियान को सही मानते हुए ऑटो ड्राइवर्स से मानक के मुताबिक सवारियां बैठाकर ही चलाने का सजेशन दिया है। इसको लेकर फ्राइडे को ऑटो ड्राइवर्स और आरटीओ के बीच मीटिंग भी ऑर्गेनाइज हुई, जो बेमायने निकली। स्ट्राइक पर चल रहे ऑटो रिक्शा ड्राइवर्स ने आगे भी स्ट्राइक आंशिक रुप से जारी रखने की बात कही है।
खबर के बाद चला था आरटीओ का डंडा
9 जुलाई को सिविल लाइंस एरिया में ऑटो रिक्शा पलट गया। इसमें स्कूल बच्चे सवार थे। आई नेक्स्ट ने जब मामले की पड़ताल की तो यह बात सामने आई कि सभी स्कूली ऑटो रिक्शा ड्राइवर्स, ऑटो को निर्धारित मानक से ज्यादा सवारियां और बच्चे भरकर भर्राटा भर रहे हैं। इसको लेकर आई नेक्स्ट ने 'रिस्की रिक्शा' कैंपेन स्टार्ट किया। जिसके बाद आरटीओ एडमिनिस्ट्रेशन एक्टिव हुआ और बच्चों की जान को जोखिम में डालने वाले इन ड्राइवर्स पर कार्रवाई करनी शुरू कर दी। अपनी मनमानी पर लगाम लगता देख, ऑटो ड्राइवर्स को कुछ समझ में नहीं आया और उन्होंने रूल्स फॉलो करने के बजाए उल्टे आरटीओ डिपार्टमेंट के खिलाफ ही मोर्चा खोल दिया।
बच्चे भी दे रहे हैं ना समझों को नसीहत
एक तरफ जहां आरटीओ की तरफ से स्कूली आटो वालों के खिलाफ अभियान चलाया जा रहा है। वहीं स्कूली बच्चे भी अपने रिक्शा ड्राइवर्स को समझाने में लगे हुए हैं। पेरेंट्स के साथ बच्चे भी उन्हें रूल्स के अकॉर्डिग गाडि़यां चलाने के लिए मोटीवेट कर रहे हैं। इससे बच्चों का भी नुकसान नहीं होगा और ऑटो रिक्शा ड्राइवर्स भी अपनी रोजी का इंतजाम कर सकेंगे। वहीं पैरेंट्स भी अपने बच्चों की सेफ्टी के सामने किसी तरह के समझौते के लिए तैयार नहीं हैं।
मेरा बेटा ऑटो से आता जाता है। ड्राइवर्स के स्ट्राइक पर चले जाने के चलते उन्हें काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। आरटीओ ने तो कोई गलत कदम नहीं उठाया है। ऑटो ड्राइवर्स को खुद सोचना चाहिए कि वह सिर्फ बच्चों को नहीं ले जा रहे हैं, बल्कि इसके साथ वह एक बड़ी जिम्मेदारी भी उठा रहे हैं। सेफ्टी से बढ़कर कुछ भी नहीं है।
महेंद्र कुमार गुप्ता, पैरेंट्स
आरटीओ डिपार्टमेंट की तरफ से ओवरलोडेड ऑटो ड्राइवर्स के खिलाफ चलाया गया अभियान बेहद सराहनीय है। ऑटो वालों को इसमें सहयोग करना चाहिए न कि विरोध। इससे वह अपने साथ बच्चों को भी सेफ रख सकेंगे। उन्हें निर्धारित सवारियों पर बच्चों को ले जाने और ले आने का काम शुरू कर देना चाहिए।
अमरेंद्र, पैरेंट्स
मैं ऑटो से आता हूं, लेकिन आजकल उनके स्ट्राइक पर चले जाने की वजह से मैं अपने पेरेंट्स के साथ आता-जाता हूं। मैं तो चाहता हूं कि पेरेंट्स ही मुझे स्कूल लेकर आएं। मुझे टेंशन नहीं होगी और जगह-जगह रुकना भी नहीं पड़ेगा।
वैभव, स्टूडेंट
जब से ऑटो अंकल स्ट्राइक पर चले गए हैं। तब से पापा मुझे स्कूल छोड़ने आते हैं और मम्मी लेने आती है। ऑटो में ठीक से बैठने की जगह नहीं मिलती, जबकि मम्मी-पापा के साथ आराम से घर जाता हूं।
निलेश पारिश, स्टूडेंट
बच्चों की सेफ्टी के लिए यह अभियान चलाया गया है। ऑटो ड्राइवर्स मिलने आए थे। उन्हें जवाब दे दिया गया है कि वह निर्धारित सवारियां लेकर ही चलें, नहीं तो उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
- एम। अंसारी, आरटीओ, गोरखपुर