- कम किराए की वजह से ठसाठस भरी ऑटो में भी बच्चों को भेज देते हैं पेरेंट्स

- एक मंथ का 1200-1500 रुपए लेते हैं ऑटो ड्राइवर्स, 10 बच्चों से 12-15 हजार रुपए हो जाती है कमाई

GORAKHPUR : महंगाई के जमाने में पैसा बचाने की होड़ पैरेंट्स के अंदर इस कदर बढ़ गई है, कि वह हर तरह की कॉम्प्रोमाइज करने को तैयार हैं। इन दिनों यही कॉम्प्रोमाइज नौनिहालों के लिए जानलेवा हो चला है। थोड़ा पैसा बचाने की कोशिश में वह अपने बच्चों के लिए ऐसा कनवेंस चुन ले रहे हैं, जिसका सफर न सिर्फ खतरनाक है, बल्कि कभी भी जानलेवा साबित हो सकता है। सबकुछ जानते हुए भी वह बच्चों की जान जोखिम में डाले हुए हैं। ऐसा नहीं कि उनके पास इससे बचने का कोई ऑप्शन नहीं है, जरा सी मेहनत और समझदारी उनके बच्चों को न सिर्फ सेफ कर सकती है, बल्कि उनके पैसे की बचत भी कर सकती है।

भईया एडजस्ट कर लो

एक ही मोहल्ले और स्कूल में जाने वाले ऑटो में आसपास के रहने वाले लोग बच्चों को भेजना प्रिफर करते हैं। उनकी यह सोच होती है कि मोहल्ले के कई बच्चे जा रहे हैं, इसलिए उनका बच्चा भी सेफ है। इसके लिए वह ऑटो ड्राइवर्स के सामने न सिर्फ गिड़गिड़ाते हैं, बल्कि बरसों से जा रहे बच्चे के पेरेंट्स से सोर्स भी लगाते हैं। ऐसी हालत में वह इस बात पर बिल्कुल ध्यान नहीं देते कि उस ऑटो में पहले से कितने बच्चे हैं? उस ऑटो की कंडीशन क्या है? उनके बच्चे के बैठने के लिए उसमें प्रॉपर जगह है भी या नहीं? इन तमाम बातों को नजर अंदाज करते हुए वह बच्चे को लाने-ले जाने की जद्दोजहद से तो आजादी पा जाते हैं, लेकिन वह बच्चे की जान किस खतरे में डाल रहे हैं, इसका उन्हें शायद अहसास नहीं रहता।

थोड़ा कैल्कुलेशन दे सकता है राहत

ऑटो में होने वाली इस ओवरलोडिंग को अगर कोई रोक सकता है, तो वह हैं पेरेंट्स। ट्रांसपोर्ट से जुड़े एक्सप‌र्ट्स की मानें तो 5 से ज्यादा बच्चे हों, तो पेरेंट्स अपने बच्चों को उसमें भेजने से इनकार कर दें। ऐसा नहीं कि बच्चे कम होने से ऑटो ड्राइवर्स को कोई नुकसान होगा। वह इसलिए कि एक ऑटो ड्राइवर्स मैक्सिमम 10 किमी एरिया में स्टूडेंट्स को स्कूल पहुंचाने के लिए सेलेक्ट करते हैं। ऐसी कंडीशन में उन्हें आने-जाने में डेली 20 किमी का सफर तय करना पड़ता है। ऑटो रिक्शा ड्राइवर्स की मानें तो एक लीटर डीजल में 25 से 30 किमी का एवरेज मिलता है। इस तरह से मान लें तो डीजल पर मैक्सिमम खर्च 1 लीटर से भी कम होगा। डीजल के रेट्स 52 रुपए पर लीटर है, जिससे डेली महज 50 रुपए खर्च होते हैं। इस तरह 30 दिनों में 1500 रुपए खर्च होंगे।

बच्चों की तादाद कम करने पर भी होगी बचत

वहीं एक बच्चे से ड्राइवर 1200-1500 रुपए वसूल करते हैं। इस कंडीशन में उन्हें 10 बच्चों से 12 से 15 हजार रुपए कलेक्शन होगा। अगर पेरेंट्स 5 बच्चों को लेकर अड़े रहें, तो इस कंडीशन में भी उन्हें 6000 से 7500 तक मिलेंगे। 1500 रुपए तेल और 2000 रुपए एक्स्ट्रा खर्च निकालने के बाद उन्हें 3000 से ज्यादा की बचत होगी। वहीं ऑटो ड्राइवर्स कई ट्रिप में बच्चों को लाते-ले जाते हैं। तो ऐसी कंडीशन में उनकी कमाई और बचत ट्रिप के अकॉर्डिग बढ़ती रहेगी।