- नगर निगम में एक महीने से चल रही ऑडिटिंग

- निर्माण विभाग ने 80 प्रतिशत और रेंट विभाग ने 50 प्रतिशत फाइलें दबाई

- नगर निगम के लेखा परीक्षक विभाग ने भी नहीं दिया रिकॉर्ड

GORAKHPUR: नगर निगम के निर्माण, रेंट और टैक्स विभाग में जमकर खेल हुआ है। शायद यही वजह है कि नगर निगम में एक माह से मौजूद ऑडिट टीम को विभिन्न विभागों ने 80 प्रतिशत से अधिक फाइलें दी ही नहींहैं। कई विभागों के फाइलें न देने से नगर निगम की पारदर्शिता पर उंगलियां उठने लगी हैं। वहींऑडिट टीम का कहना है कि उन्होंने कई बार लिखकर इसकी जानकारी लेखा परीक्षक को दी है, लेकिन वे भी फाइलें नहींदिला पा रहे हैं।

निर्माण विभाग ने नहीं दी 80 प्रतिशत फाइलें

नगर निगम के निर्माण विभाग ने ऑडिट टीम को मात्र ख्0 प्रतिशत फाइलें दी है। जो फाइलें मिली है उनमें भी ऑडिट टीम को जबर्दस्त घालमेल मिला है। ऑडिट विभाग की टीम की मानें तो जो फाइलें मिली हैं, उसमें कई ऐसे काम हैं जिन्हें टुकड़ों में बांट कर किया गया है। वहीं कई ऐसे काम हैं जिनको पूरे हुए कई साल हो गए हैं, लेकिन उनका भुगतान इस वित्तीय वर्ष (ख्0क्ब्-क्भ्) की बजट में किया गया है।

आई नेक्स्ट की आशंका सच हुई साबित

आई नेक्स्ट नगर निगम के निर्माण विभाग की कार्यशैली पर कई कार्र्यो पर सवाल उठाता रहा है। दिसंबर ख्0क्ब् में पब्लिश्ड खबर में आई नेक्स्ट ने बताया था कि किस तरह नगर निगम में टुकड़ों में बांट कर कोटेशन का खेल खेला जा रहा है। ऑडिट में भी इस खेल का खुलासा हुआ है। ऑडिट टीम का कहना है कि कई ऐसी फाइलें ऐसी है जिनको एक ही फाइल बनाया जा सकता था, लेकिन काम को दो टुकड़ों में किया गया है। यही वजह है दो फाइलें बनाई गई हैं।

रेंट और टैक्स विभाग ने नहींदी फाइलें

ऑडिट टीम का कहना है कि नगर निगम में जितना खेल निर्माण विभाग ने किया है, उससे कहीं अधिक खेल रेंट विभाग के विज्ञापन में हुआ है। पूरा शहर होर्रि्डग्स से पटा हुआ है, लेकिन फाइलों को देखकर यही लगता है कि सिटी में केवल भ्00 ही होर्रि्डग्स लगी हैं। इतनी होर्डिग को उतारने के लिए कार्रवाई की गई कि नहीं या इन होर्डिग्स का किराया कहां गया, इसका कोई रिकॉर्ड नहीं है। टीम का कहना है कि वे एक महीने से ऑडिट कर रहे हैं, लेकिन अभी तक रेंट और टैक्स विभाग की मात्र भ्0 प्रतिशत फाइलें ही उन्हें मिली हैं। नगर निगम के लेखा परीक्षक विभाग को कई बार लिखित और मौखिक रूप में फाइल की मांग की गई है, लेकिन फाइलें देने के नाम पर वे टालमटोल कर रहे हैं। यही नहीं नगर निगम के लेखा परीक्षक विभाग को हर माह की रिपोर्ट देनी चाहिए, लेकिन वह भी अपना काम इमानदारी से नहीं कर रहे हैं।