- कार्बन फैक्ट्रियों से निकली राख लेकर फोरलेन पर खुलेआम दौड़ रहे डम्पर
- आंखों में पड़ने से स्वास्थ्य को नुकसान, वहीं हादसे की बनी रहती है आशंका
SAHJANWA: सहजनवां क्षेत्र में दर्जनों कार्बन फैक्ट्रियां हैं। इन फैक्ट्रियों से निकलने वाली राख से सांस की बीमारियां आदि खतरे तो हैं ही, आंख में पड़ने से इंफेक्शन भी हो सकता है। बावजूद, दर्जनों डम्पर से रोज यह राख फोरलेन के किनारे जहां-तहां फेंकी जा रही है। फोरलेन पर राख उड़ने के कारण हादसे की भी आशंका बनी रहती है। कभी भी किसी चालक की आंख में राख पड़ने से उसकी आंख बंद हो सकती है और तब हादसे को टालना मुश्किल होगा।
नियमों की उड़ा रहे धज्जियां
राख को लेकर चलने वाले डम्पर चालक इसे ढांक कर भी नहीं चलते। नियम है कि ऐसे मैटेरियल ट्रक, डम्पर आदि में भरकर मुख्य पथों पर चलते समय पॉलीथिन आदि से ढककर चलना है। चालक नियमों की खुलेआम धज्जियां उड़ा रहे हैं। इसी के साथ इनके द्वारा कहीं भी खाली जगह देखकर एनएच किनारे इसे गिरा दिया जाता है। हवा के साथ यह राख उड़कर राहगीरों, वाहन चालकों पर पड़ती है और हादसे की आशंका बनी रहती है।
कहां से आती है राख
गीडा क्षेत्र के स्थापित कार्बनिक फैक्ट्रियों को चलाने के लिए भूसी का उपयोग किया जाता है। इसे जलाने के बाद काफी मात्रा में राख निकलती है। इसे डम्पर पर लादकर फैक्ट्री प्रबंधन वहां से तो भेज देता है, लेकिन यह नहीं बताता कि इसका निस्तारण कहां करना है। लिहाजा, चालक जहां कहीं भी खाली जगह देखते हैं, वहीं इसे डम्प कर देते हैं। कुछ दिनों पहले ही गोरखपुर औद्योगिक विकास प्राधिकरण की बैठक में यह निर्णय लिया गया था कि गीडा में ही चिन्हित स्थान पर राख का निस्तारण किया जाएगा लेकिन इस नियम की अनदेखी की जा रही है।
फैक्ट्रियों को इस बारे में नोटिस जारी किया गया है। गीडा में चिन्हित स्थान की बजाय इधर-उधर राख फेंकने वालों पर कार्रवाई की जाएगी।
- डॉ। शुक्ला, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड