- नई तकनीकी से दूर होगी प्रॉब्लम

- अनुसंधान व विकास केंद्र की उपज

GORAKHPUR: जिले में सूखे की मार झेल रहे किसानों को धान की फसल उपजाने में प्रॉब्लम नहीं होगी। गेहूं की तरह धान की बुआई करके किसान पानी की मार से उबर सकते हैं। मोहद्दीपुर स्थित अनुसंधान व विकास केंद्र ने धान उगाने की नई विधि ईजाद की है जिस एरोबिक प्रणाली का नाम दिया गया है। धान विशेषज्ञ, कृषि वैज्ञानिक बीएन सिंह ने यह जानकारी दी। बताया कि दो साल के परीक्षण के बाद इस विधि को प्रचारित किया जा रहा है।

बगैर लेवा लगाए करें बुआई

प्रोफेसर ने कहा कि पूर्वाचल में सूखे का संकट तेजी से बढ़ता जा रहा है। ऐसे में पानी की कमी धान की फसल की दुश्मन बन गई है। इसलिए बुवाई करके किसान उचित पैदावार सकते हैं। बगैर लेवा लगाए सीधी बुआई से प्रति एकड़ 20 कुंतल धान उपज सकता है। खेत की जुताई जून के तीसरे या चौथे सप्ताह में पहली बारिश के बाद कर सकते हैं। सीडड्रिल या छिटकवा विधि से खाद के साथ धान की बुआई फायदेमंद साबित हो रही है।

खरपतवार से बचाव, बढ़ाएगी पैदावार

बीएन सिंह ने कहा कि इस प्रणाली के तहत संकर पीएसी 837 प्रजाति का धान ज्यादा पैदावार देता है। सीधी बुआई में खरपतरवार का खतरा अधिक होता है। इससे निपटने के लिए घास मारने वाली दवा का प्रयोग खेत में करना पड़ेगा। सबसे बड़ा फायदा यह है कि धान की सीधी बुआई में किसानों को पानी के लिए परेशान नहीं होना पड़ेगा। इसमें 50 से 70 फीसदी तक पानी की बचत होती है।