गोरखपुर (ब्यूरो)। शुक्रवार देर शाम जेलर अरुण कुमार ने बीआरडी मेडिकल कॉलेज पहुंचकर रिहाई की सारी फार्मेलिटी पूरी की, जिसके बाद बेटे पूर्व विधायक अमनमणि त्रिपाठी संग समर्थकों ने मेडिकल कॉलेज में ही खुशी का इजहार किया। बता दें, अमरमणि की जेल में अच्छे आचरण की वजह से समय से पहले रिहाई हुई है।

मेडिकल कॉलेज में ही रहेंगे पति-पत्नी

जेल से रिहाई भले ही हो गई है, लेकिन अभी भी अमरमणि और मधुमणि मेडिकल कॉलेज में ही भर्ती रहेंगे। रिहाई के बाद जेल से लगाए गए गार्ड हटा लिए गए। हालांकि, सुरक्षा के लिहाज से वहां पुलिस टीम तैनात रही। रिहाई की खबर वायरल होने के बाद मेडिकल कॉलेज में अचानक अमरमणि के समर्थकों की भीड़ पहुंचने लगी और एक दूसरे को गले लगाकर बधाई भी देते दिखे।

जेल में कम बीआरडी में कटा अधिक समय

हालांकि, सजा काटने के दौरान अमरमणि त्रिपाठी और मधुमणि गोरखपुर जेल में कम और बीआरडी मेडिकल कॉलेज में अधिक रहे। सजा होते ही उन्हें ऐसी बीमारी हो गई कि जिसका इलाज आज तक गोरखपुर के डॉक्टर नहीं कर सके।

10 फरवरी को रिहाई का आदेश हुआ जारी

सुप्रीम कोर्ट ने पिछले दिनों जेल में अच्छा आचरण करने वाले इस तरह के कैदियों की रिहाई पर विचार करने की सरकार को सलाह दी थी। इसके बाद अमरमणि ने भी अपनी रिहाई के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी। सुप्रीम कोर्ट ने उनकी याचिका पर सरकार को 10 फरवरी 2023 को रिहाई का आदेश दिया था। आदेश का पालन नहीं होने पर फिर अमरमणि की ओर से अवमानना याचिका दायर की गई।

दो जमानतदार की जमानत पर रिहाई

इसके बाद 18 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट ने रिहाई का आदेश पारित किया। इसमें लिखा है कि उनकी उम्र 66 वर्ष होने और करीब 19 साल तक जेल में रहने और अच्छे आचरण को देखते हुए किसी अन्य वाद में शामिल न हो तो रिहाई कर दी जाए। जिला मजिस्ट्रेट गोरखपुर के संतोषानुसार दो जमानतें और उतनी ही धनराशि का एक जाति मुचलका प्रस्तुत करने पर उन्हें जेल से रिहा कर दिया जाए। इसी आदेश के बाद अब शासन की ओर से 25-25 लाख के दो जमानतें और इतनी धनराशि के निजी मुचलका लेने के बाद रिहाई का आदेश जारी हुआ।

बीआरडी से कमरा नंबर 16 गायब

बीआरडी मेडिकल कॉलेज के प्राइवेट वार्ड दो मंजिल में 32 कमरे हैं, जिसमें ऊपरी हिस्से के 16 नंबर कमरे में अमरमणि त्रिपाठी और उनकी पत्नी मधुमणि त्रिपाठी रहती हैं। यहां दोनों लगभग 20 साल से रह रहे हैं। वार्ड के सभी कमरों के ऊपर नंबर लिखा हुआ है, लेकिन, कमरा नंबर 15 के बाद 17 नंबर का कमरा आ जाता है।

कवयित्री से प्यार में बर्बाद हुआ राजनीतिक सफर

अमरमणि त्रिपाठी का राजनीतिक और सामाजिक जीवन कवित्री मधुमिता शुक्ला के प्यार में बर्बाद हो गया। लखीमपुर की कवयित्री मधुमिता वीर रस की कविताएं पढ़ती थीं। अमरमणि के संपर्क में आए तो उनका नाम बड़ा हो गया। मंच से मिली शोहरत और सत्ता से नजदीकी ने उन्हें पावरफुल बना दिया। अमरमणि त्रिपाठी से उनका रिश्ता प्रेम में बदल गया। दोनों के बीच शारीरिक संबंध स्थापित हो गए। मधुमिता प्रेग्नेंट हो गई। उन पर गर्भपात करवाने का दबाव बढ़ा पर उन्होंने नहीं करवाया। इसी बीच 9 में 2003 को 7 महीने की गर्भवती मधुमिता शुक्ला की गोली मारकर हत्या कर दी गई, जिसकी जांच सीबीआई को मिली।

सजा दिलाने सुप्रीम कोर्ट पहुंची मधुमिता की बहन

अमरमणि को सजा दिलाने मधुमिता की बहन सुप्रीम कोर्ट पहुंच गई। उन्होंने याचिका दायर करते हुए केस को लखनऊ से दिल्ली या तमिलनाडु ट्रांसफर करने की अपील की। कोर्ट ने 2005 में कैसे उत्तराखंड ट्रांसफर कर दिया। 24 अक्टूबर 2007 को देहरादून सेशन कोर्ट ने पांचों लोगों को उम्र कैद की सजा सुनाई। अमरमणि त्रिपाठी नैनीताल हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट गए, लेकिन सजा बरकरार रही।

एक नजर में घटनाक्रम

.9 मई 2003 को मधुमिता शुक्ला की गोली मारकर हुई थी हत्या।

.24 अक्टूबर 2007 को देहरादून सेशन कोर्ट ने सुनाई थी उम्रकैद की सजा।

। सजा सुनाने के बाद पूर्व मंत्री अमरमणि त्रिपाठी और उनकी पत्नी मधुमणि हरिद्वार की जेल में हुए बंद।

। चार दिसंबर, 2008 को हरिद्वार की जेल से मधुमणि जबकि अमरमणि 13 मार्च, 2012 को जेल स्थानांतरित कर गोरखपुर कारागार पहुंचे।

। तबीयत बिगडऩे पर पहली बार 27 फरवरी, 2013 को अमरमणि को बीआरडी मेडिकल कालेज में भर्ती कराया गया।

। 13 मार्च, 2013 को मधुमणि की भी तबीयत खराब होने पर मेडिकल कालेज पहुंचीं।

। तब से पति-पत्नी मेडिकल कालेज के मानसिक रोग विभाग में उपचार करा रहे हैं।

हर सत्ता में दिखी हनक

अमरमणि त्रिपाठी के राजनीतिक करियर की शुरुआत विधायक हरीशंकर तिवारी के साथ हुई थी। साल 2001 में अमरमणि त्रिपाठी भाजपा सरकार में मंत्री थे। मुलायम सरकार में सपा के साथ रहे। इसके बाद बसपा के हो गए। अमरमणि त्रिपाठी महाराजगंज के लक्ष्मीपुर यानी अब जो नौतनवां विधानसभा है, वहां से 6 बार विधायक रहे।

बस्ती कोर्ट ने पूछा सवाल

बस्ती कोर्ट में 22 साल से एक मुकदमा अमरमणि का चल रहा है। मुकदमे की तारीख पर हाजिर ना होने पर कोर्ट ने सवाल किए हैं। बस्ती की एमपी एमएलए कोर्ट के न्यायधीश ने अमरमणि के स्वास्थ्य की रिपोर्ट के लिए सीएमओ गोरखपुर को मेडिकल बोर्ड गठित करने का आदेश दिया है।