- स्टेट ग‌र्ल्स बास्केटबॉल चैंपियनशिप में खेलने आई इलाहाबाद की टीम में शामिल हैं वैष्णवी

- इंडोनेशिया में यूथ इंडिया एशियन चैंपियनशिप खेल किया देश नाम रौशन

GORAKHPUR:

'छोटी उम्र में बड़ा कमाल.' मात्र 15 साल की उम्र में यूथ इंडिया एशियन चैंपियनशिप खेलकर इंडोनेशिया से लौटी बास्केटबॉल खिलाड़ी वैष्णवी यादव पर यह मुहावरा बिलकुल सटीक बैठता है। वैष्णवी स्टेट ग‌र्ल्स बास्केटबॉल और हैंडबॉल चैंपियनशिप में हिस्सा लेने के लिए इलाहाबाद टीम की तरफ से आई हुई हैं। आई नेक्स्ट के साथ खास बातचीत में वैष्णवी ने अपने सफर को बयां किया।

10 साल की उम्र से एक्टिव

वैष्णवी ने मात्र 10 साल के ही उम्र से बास्केटबॉल खेलना शुरू कर दिया। अपने जुनून और मेहनत के दमपर उन्होंने लगातार सफलता हासिल की। वैष्णवी दसवीं क्लास की स्टूडेंट हैं। उन्होंने बताया कि मैंने 2011 से खेलना शुरू किया। 2012 में आगरा में वुमेन स्टेट चैंपियनशिप खेला। फिर इसी साल स्कूली चैंपियनशिप से लेकर महाराष्ट्र के कोल्हापुर में नेशनल चैंपियनशिप में भी हिस्सा लिया। इस दौरान उन्होंने अपनी टीम के लिए खास योगदान दिया।

बनते गए रास्ते

2013 में कोलकाता में ऑर्गनाइज हुई यूथ अंडर-16 चैंपियनशिप में मेडल हासिल किया और इसी साल अपने कॅरियर का पहला सब-जूनियर खेला। वैष्णवी ने बताया कि इस दौरान खेले गए लगभग सभी मैचों में मिलती लगातार सफलता के बाद ही उसने तय कर लिया कि बास्केटबॉल को ही कॅरियर बनाना है। फिर 2013 में नेशनल चैंपियनशिप खेलने के साथ ही गुजरात के सब-जूनियर इंडिया कैंप में सलेक्शन हुआ। इस बीच कई स्कूल नेशनल और सब जूनियर नेशनल में थर्ड प्लेस लगी। इसके साथ ही 2014 में गुजरात के ही इंडिया कैंप में सेलेक्ट हुई। इस बीच कैंप में होने की वजह से कई चैंपियशिपों में वैष्णवी हिस्सा नहीं ले सकी। मगर उसकी मेहनत बेजा नहीं गई। 2015 में उसका सेलेक्शन यूथ इंडिया कैंप के लिए हुआ। पिछले महीने वैष्णवी ने इंडोनेशिया में हुई यूथ इंडिया एशियन अंडर-16 चैंपियनशिप में हिस्सा लिया। इस दौरान उनका प्रदर्शन सराहनीय रहा।

प्लेयर्स को दी सलाह

वैष्णवी ने कहा कि मैं अपने घर में दो भाइयों के बीच अकेली हूं। मेरे पिता सुजीत यादव बिजनेसमैन हैं। मेरी फैमली का कोई मेंबर कभी स्पो‌र्ट्स में नहीं रहा। ऐसे में जब मैं स्पो‌र्ट्स में एक बेहतर कॅरियर चुन सकती हूं तो देश की और ग‌र्ल्स प्लेयर क्यों नहीं। उसने कहा कि तमाम ऐसे प्लेयर्स हैं जो पैसों के अभाव में गेम्स में इंट्रेस्ट नहीं लेते। ऐसे प्लेयर्स को समझना बहुत जरुरी है कि कोई भी गेम गरीब या अमीर का नहीं होता। स्पो‌र्ट्स में कॅरियर के लिए पैसा नहीं बल्कि खिलाडि़यों की मेहनत और उनका आत्मविश्वास जरूरी है।