गोरखपुर (ब्यूरो)। बीआरडी मेडिकल कॉलेज के आर्थोपेडिक विभाग की ओपीडी में डेली 100 में से 30 परसेंट महिलाएं इस बीमारी की चपेट की चपेट वाली पहुंच रही हैं, जिनका इलाज भी चल रहा है।
30-40 की उम्र में होती दिक्कत
एक्सपट्र्स के अनुसार महिलाओं में एक खास हार्मोन पानी की मुद्दा में एस्ट्रोजन होता है। यह हार्मोन कैल्शियम के अवशोषण में बड़ी भूमिका निभाता है। जब महिलाएं 20-30 की उम्र में होती हैं, तो ज्यादा मात्रा में बनता है लेकिन 30-40 की उम्र में आते-आते एस्ट्रोजन हार्मोन शरीर में कम बनने लगता है। डाइट में लिए गए कैल्शियम का शरीर ठीक से इस्तेमाल नहीं कर पाता है, जिससे प्रॉब्लम होने लगती है।
इस वजह से होती प्रॉब्लम
- ज्यादा प्रोटीन खाने से एसिडिटी होती है। इससे भी कैल्शियम यूरिन के जरिए ज्यादा निकलता है।
- ज्यादा कैफीन वाली चीजें लेने से भी हड्डियां अंदर से कमजोर होती हैं।
- ज्यादा तनाव से कोर्टिलॉस हार्मोन बढ़ता है। इससे ब्लड शुगर बढ़ता और टॉयलेट के रास्ते कैल्शियम भी शरीर से बाहर निकलता है।
- ज्यादातर महिलाओं में विटामिन डी-3 की कमी होती है, क्योंकि वे धूप में कम जाती हैं।
ऐसे करें बचाव
शरीर को रोज 700-1000 मिलीग्राम कैल्शियम की जरूरत होती है। डाइट में कैल्शियम से भरपूर फूड जैसे दूध, दही, पनीर, हरी सब्जियां, राजमा, छोले, बादाम, आदि को जरूर शामिल करें।
सुबह करीब 9-10 बजे हर दिन थोड़ी देर धूप में बैठें ताकि शरीर को पर्याप्त मात्रा में विटामिन डी मिल सके।
महिलाओं को रोज कम से कम 5000 कदम जरूर चलना चाहिए और व्यायाम करना चाहिए।
महिलाओं में कम उम्र यानि 30-40 साल में ही हड्डियां कमजोर होने के मामले देखे जा रहे हैं। 45 की उम्र के बाद मेनोपॉज शुरू होने से भी ऑस्टियोपोरोसिस की प्रॉब्लम होने लगती है। इससे कमर-जोड़ों, पीठ या फिर थोड़ी देर बैठने के बाद घुटनों में दर्द की प्रॉब्लम आम है। इस तरह की प्रॉब्लम हो तो मरीज डॉक्टर्स से परामर्श लेकर अपना इलाज कराएं, ताकि वह स्वस्थ हो सकें।
डॉ। अमित मिश्रा, आर्थोपेडिक बीआरडी मेडिकल कॉलेज