आई इंपैक्ट
- आईनेक्स्ट की खबर पर के बाद जागा मेडिकल मचा हड़कंप
- अफसरों ने संज्ञान लेकर शुरू कराया महिला का प्राथमिक इलाज
GORAKHPUR: एचआईवी पीडि़ता को अब दवाइयों के लिए नहीं भटकना पड़ेगा। आई नेक्स्ट में पब्लिश न्यूज के बाद जिम्मेदारों के बीच हड़कंप मच गया। आनन-फानन में उन्होंने पीडि़ता को एडमिट कराकर प्राथमिक इलाज शुरू करा दिया है। वहीं आईडी प्रूफ का ऑप्शन तलाशते हुए उन्होंने प्रधान से लिखित पत्र लाने के बाद उन्हें जांच रिपोर्ट सौंपने का फैसला भी कर दिया है। जिम्मेदारों की मानें तो आईडी प्रूफ मिलने के बाद उसे बलरामपुर के एआरटी सेंटर पर इलाज के लिए भेजा जाएगा।
आई नेक्स्ट ने उठाया मुद्दा
बीआरडी मेडिकल कॉलेज के एआरटी सेंटर पर एक पीडि़ता आईडी प्रूफ न होने की वजह से दर-दर भटक रही थी। आईडी न होने से आईसीटीसी में उसकी रिपोर्ट फंस गई थी, वहीं इस रिपोर्ट की वजह से एआरटी सेंटर पर उसका रजिस्ट्रेशन भी नहीं हो पा रहा था। इससे कौन सी दवाएं चलाई जाए, इसको लेकर भी पेंच फंस गया था। आई नेक्स्ट ने इस न्यूज को 'अगर आईडी प्रूफ नहीं हो एचआईवी से मर जाइए' हेडिंग से न्यूज पब्लिश की। जिसमें पीडि़ता का हाल बयां किया गया।
मच गया हड़कंप
खबर छपते ही डिपार्टमेंट में हड़कंप मच गया। डिपार्टमेंट के प्रभारी ने एलटी व अन्य अफसरों को बुलाकर इस मामले में विस्तृत जानकारी ली। इस दौरान आईडी प्रूफ न होने से आईसीटीसी सेंटर पर जांच रिपोर्ट के फंसने की बात सामने आई। जिसका सॉल्युशन निकालते हुए उन्होंने महिला को तत्काल वार्ड में एडमिट कर प्राथमिक चिकित्सा शुरू करा दी। वहीं रिपोर्ट मंगवाने के लिए ऑप्शन के तौर पर प्रधान का लिखा लेटर मान्य करने की बात भी कहीं।
आईडी प्रूफ लेना मजबूरी
एआरटी सेंटर के प्रभारी ने बताया कि अमूमन इस तरह के मरीजों से आईडी प्रूफ लेना जरूरी होता है। ऐसा इसलिए किया जाता है कि मरीजों के अड्रैस की जानकारी रहे, जिससे समय-समय पर टीम जांच के लिए उनके घर पहुंच सके और देश में इस महामारी को फैलने से रोका जा सके। कई बार ऐसे मामले सामने आए हैं कि जांच रिपोर्ट पॉजिटिव आने के बाद लोकलाज के डर से लोग गायब हो जाते हैं। इससे बीमारी के फैलने का खतरा बढ़ जाता है। उन्होंने बताया कि आईडी प्रूफ के तौर पर आधार कार्ड, वोटर आईडी, फोटो और राशन कार्ड मान्य है।