- शहर में अधूरी बिजली लाइन बिछाकर 'गायब' हो गई एजेंसी

- किसी के घर के सामने पड़ा है पोल तो किसी गली में यूं ही लटक रहे तार

- पब्लिक के साथ बिजली विभाग के अधिकारी भी परेशान

GORAKHPUR:

शहरी बिजली व्यवस्था को दुरुस्त करने के लिए के लिए लगभग दो साल पहले शुरू हुई स्काडा योजना का काम करने वाली संस्था अचानक कहीं गायब हो गई है। न तो शहर में कार्यदायी एजेंसी का कोई अधिकारी नजर आ रहा है और न ही मौके पर कहीं काम हो रहा है। वहीं जहां-तहां अधूरा काम पड़े होने से पब्लिक की समस्या बढ़ गई है। किसी के घर के सामने पोल पड़ा है तो किसी गली में तार यूं ही लटक रही है। विभाग के अधिकारी भी इस बात से अनजान हैं कि कार्यदायी एजेंसी अचानक कहां और क्यों गायब हो गई?

55 प्रतिशत ही हुआ है कार्य

स्काडा योजना के तहत अभी तक 55 प्रतिशत ही काम हुआ है। महानगर विद्युत वितरण निगम के अधिकारियों का कहना है कि पब्लिक के साथ उन्हें भी प्रॉब्लम हो रही है। काम अधूरा होने पर डेली लोग कंप्लेन कर रहे हैं और सवाल पूछ रहे हैं। कई बार हंगामा की स्थिति बन जा रही है। छोटे-छोटे कार्य तो विभाग के स्तर से करा दिया जा रहा है लेकिन अधूरा सारा काम कराना संभव नहीं है।

अगस्त में ही पूरा हो जाना था काम

शहर में स्काडा योजना के तहत लाइन विस्तार, नए ट्रांसफॉर्मर लगाने, पुराने को बदलने, पोल लगाने, सब स्टेशन की क्षमता बढ़ाने, सब स्टेशन के पैनल बदलने और नए लाइन को बदलने का काम करना है। यह कार्य अगस्त 2016 में ही पूरा कर लिया जाना था लेकिन अभी तक काम अधूरा है। शुरुआत से ही घटिया काम को लेकर एजेंसी पर आरोप लगते रहे हैं। कार्य की गुणवत्ता की हालत यह थी कि 12 और 18 मई 2016 को आई आंधी में शहर में 90 से अधिक पोल गिर गए थे। इनमें इस योजना से लगे कई पोल भी शामिल थे। इस कारण राप्तीनगर एरिया को 18 घंटे तक बिना बिजली पानी के रहना पड़ा था।

इस्टीमेट के सामान का हो गया है भुगतान

महानगर विद्युत वितरण कार्यालय के रिकार्ड को देखें तो शहर में 88 करोड़ से स्काडा का काम होना था। जिसमें इस्टीमेट के सामान का भुगतान कार्यदायी संस्था को किया जा चुका है, केवल वर्क का भुगतान बाकी है। उसके बाद भी संस्था के लोग कार्य नहीं कर रहे हैं। एक एसडीओ ने बताया कि उनके एरिया में 50 से अधिक पोल बिना तार के खड़े हैं। वहीं किसी भी सब स्टेशन के पैनेल बॉक्स को अभी तक नहीं बदला गया है।

बॉक्स

तो इसलिए गायब हो गई एजेंसी?

बताते हैं कि स्काडा योजना का काम करा रही एजेंसी की कार्य गति काफी सुस्त थी। एजेंसी से जुडे़ ठेकेदार आधे-अधूरे व घटिया काम पर ही भुगतान करा लेना चाह रहे थे। कंप्लेन पर बिजली विभाग के अधिकारियों ने भुगतान की प्रक्रिया सख्त कर दी। एजेंसी के अधिकारियों से कहा गया कि वे जिस एरिया में काम करा रहे हैं, वहां के एसडीओ-जेई से भौतिक सत्यापन कराएं। साथ ही स्काडा योजना की मॉनिटरिंग जिसके जिम्मे है, उसकी रिपोर्ट भी फाइल में लगाएं। तभी भुगतान होगा। यह सब प्रक्रिया बिना सही तरीके से काम कराए पूरी नहीं हो सकी थी। सूत्र बताते हैं कि एजेंसी से जुड़े ठेकेदार आधे-अधूरे काम पर ही भुगतान चाहते थे। नियम सख्त होने पर उनमें खलबली मच गई। इसी बात को लेकर अक्टूबर में मोहद्दीपुर मोहल्ले में कार्य से जुड़े कुछ लोगों की मारपीट हुई। तभी से काम ठप है।

स्काडा एक नजर में

- 88 करोड़ की योजना है शहर में बिजली विस्तार की।

- 254 ट्रांसफॉर्मर लगाने हैं जिनमें 250 और 100 केवीए के ट्रांसफॉर्मर अधिक हैं।

- 116 ट्रांसफॉर्मर अब भी नहीं लगे हैं।

- 2500 किमी। एबीसी केबल बिछाया जाना है।

- 1000 मीटर केबल ही अभी तक बिछाया गया है।

- 18 सब स्टेशन के पैनेल बॉक्स बदलने हैं।

- 6 सब स्टेशन का ही पैनेल बॉक्स बदला गया है।

- 11 हजार की लाइन से सूरजकुंड और दुर्गाबाड़ी सब स्टेशन को जोड़ना है लेकिन अभी तक केवल तार ही बिछा है।

- 500 नए पोल लगाने हैं।

- 300 पोल ही अभी तक लगाए गए हैं।

वर्जन

स्काडा का काम अधूरा होने के कारण काफी दिक्कत हो रही है। पब्लिक को परेशानी हो रही है तो वह हमसे कंप्लेन कर रही है। जहां-तहां तार-पोल रखकर एजेंसी वाले काम अधूरा छोड़ दिए हैं।

- संजय यादव, एक्सईएन, तृतीय खंड, महानगर विद्युत वितरण निगम

सितंबर माह में स्काडा योजना के तहत पांच करोड़ रुपए भुगतान के लिए फाइल आई थी। एरिया में इस योजना के तहत घटिया काम कराए जाने की शिकायत मिल रही थी। इसको लेकर भुगतान रोक दिया गया है।

- एके सिंह, एसई, महानगर विद्युत वितरण निगम