- शहर के सभी चौराहों, तिराहों पर दिन भर लगा रहा जाम

- छुट्टी के कई घंटे बाद घर पहुंचे स्कूली बच्चे

GORAKHPUR: शहर में सोमवार को शहर फिर जाम हो गया। आम शहरियों से लेकर दूर देहात से आने वाले लोग जाम से पूरे दिन जूझते रहे। स्कूली बच्चों की तो दुर्गति ही हो गई। ट्रैफिक संचालन की बदइंतजामी के चलते बच्चे स्कूल की छुट्टी होने के तीन-चार घंटे बाद घर पहुंच पाए। शहर के चंपा देवी पार्क में आयोजित निषाद विकास संघ की जनसभा में जुटी भीड़ का अनुमान न लगा पाने के कारण पुलिस ट्रैफिक व्यवस्था बनाए रखने में नाकाम साबित हुई। सुबह से लेकर देर शाम तक लोग इसका खामियाजा भुगतते रहे।

चौराहे-तिराहे, गलियां सब जाम

शहर में जाम की समस्या का समाधान नहीं हो पा रहा है। सप्ताह के पहले दिन शहर में लगने वाले जाम को रोकने में ट्रैफिक पुलिस पूरी तरह से नाकाम रही। दिनभर शहर के चौराहे और तिराहे जाम की जद में रहे। चौराहों पर लगा जाम देखकर लोगों ने गलियों के रास्ते निकलने की कोशिश की लेकिन वहां भी फंसते चले गए। आलम यह रहा कि हर जगह जाम ही जाम लगा रहा।

प्लान का पलीता, नहीं सुधरे हालात

शहर को जाम से निजात दिलाने के लिए कई अभियान चलाए गए लेकिन उन सभी अभियानों की हकीकत सामने आ गई। शहर के लोगों को जाम से निजात दिलाने के लिए कोई कारगर उपाय न होने से यह रोजाना की समस्या बन गई है। सोमवार को घर से दफ्तर जाने में प्रॉब्लम हुई तो दफ्तर से घर लौटने में सांसें फूल गई। जाम में फंसे लोग कुव्यवस्था को कोसते रहे।

स्कूली बच्चे रहे परेशान

समय से स्कूल जाने वाले बच्चे जाम का शिकार बने तो छुट्टी होने के बाद घर पहुंचने में भी घंटों लग गए। स्कूली बच्चे चार-चार घंटे बाद अपने घर तक पहुंच सके। जाम में फंसकर स्कूली वाहन रेंगते रहे। वाहनों में बैठे बच्चे भूख और प्यास से परेशान हुए। स्कूली बसों के ड्राइवर्स ने बताया कि हर चौराहे से उनको घुमा दिया जा रहा था। वे जिधर गाड़ी लेकर जाते। उधर ही जाम में फंस जाते। इस वजह से बच्चों को घर पहुंचने में देरी हुई।

इस कारण लगा जाम

चंपा देवी पार्क में निषाद विकास संघ की जनसभा होने से चारों ओर वाहनों का रेला लगा रहा। सभा में शामिल होने के लिए लोग दूर दराज से आए। सभा में उमड़ने वाली भीड़ का पहले से अंदाजा न लगा पाने में नाकाम ट्रैफिक पुलिस की लापरवाही का खामियाजा पब्लिक ने भुगता। जनसभा खत्म होने के बाद अचानक भीड़ के बाहर निकलने पर जाम लग गया।

बच्चों की हालत हुई खराब

जाम से हर कोई हलकान रहा। लेकिन स्कूली बच्चों की खूब सांसत हुई। जाम के चक्कर में स्कूली बसें इस चौराहे से उस चौराहे तक दौड़ती रहीं। तीन से चार घंटे तक बस में बैठे छोटे बच्चों की हालत खराब हो गई। नर्सरी के बच्चे रोने-बिलखने लगे तो ड्राइवर और क्लीनर का भी कलेजा पसीज गया। बच्चे सवाल दागते रहे कि आखिर जाम के लिए जिम्मेदार कौन है।

इन सवालों का क्या जवाब?

- जनसभा की जानकारी के बावजूद रूट डायवर्जन क्यों नहीं किया गया।

- सोमवार को शहर में रोज की अपेक्षा ज्यादा भीड़ होती है। इसके बावजूद बीच शहर में सोमवार को जनसभा की इजाजत क्यों दी गई।

- जनसभा की अनुमति दी गई तो ट्रैफिक व्यवस्था के लिए क्या इंतजाम किए गए।

- जनसभा स्थल तक पहुंचने के लिए आप्शनल रूट होने के बावजूद मुख्य शहर के रास्तों से गाडि़यों को क्यों आने-जाने दिया गया।

- यदि सभा की अनुमति दी गई तो भीड़ को देखते हुए पुख्ता व्यवस्था क्यों नहीं की गई।

बच्चों की छुट्टी साढ़े 12 बजे हुई है। तारामंडल स्थित स्कूल से बस लेकर निकला था। हर चौराहे पर बस मोड़ दी गई। शास्त्री चौराहे तक पहुंचने में तीन घंटे लग गए।

- राम सिंगार, ड्राइवर