- पुराने बच्चे से पता कर स्कूल का करें सेलेक्शन
- बच्चे का एडमिशन कराने से पहले स्कूल का रियल्टी चेक जरूरी
GORAKHPUR: एडमिशन का दौर शुरू होने को है। ज्यादातर स्कूल खुद को बेहतर बताने के साथ ही पेरेंट्स और गार्जियन को अट्रैक्ट करने की जुगत में लग गए हैं। ऐसे में उन्होंने न सिर्फ पेरेंट्स और स्टूडेंट्स के सामने वादो का पुलिंदा रखा हुआ है, बल्कि उनका एडमिशन कराने के लिए हर कोशिश में लगे हुए हैं। जब इस मामले में आई नेक्स्ट ने एक्सपर्ट्स से बात की, तो उन्होंने बताया कि इस पंप एंड शो से बचकर अपने लाडले को बेहतर एजुकेशन प्रोवाइड की जा सकती है। इसके लिए ज्यादा मेहनत भी करने की जरूरत नहीं है। बस आस-पास के बच्चे जो उस स्कूल में एजुकेशन हासिल कर रहे हैं, उनसे और उनके पेरेंट्स से स्कूल के बारे में जानकारी लें, तो इससे काफी फायदा मिल सकता है। साथ ही साथ स्कूल एडमिनिस्ट्रेशन के थ्रू स्कूल को ग्राउंड लेवल पर पूरी तरह से रियल्टी चेक किए जाए।
स्कूल सेलेक्शन सबसे अहम
आई नेक्स्ट कैंपेन मिशन एडमिशन की जहां चहुंओर प्रशंसा हो रही है। आई नेक्स्ट एक्सपर्ट्स की माने तो बच्चों के एडमिशन में स्कूल सेलेक्शन का अहम रोल होता है। अगर स्कूल का सेलेक्शन सही ढंग से नहीं किया गया तो पेरेंट्स को फ्यूचर में मुसीबत नहीं झेलनी पड़ती हैं। साइकोलॉजिस्ट डॉ। धनंजय कुमार बताते हैं कि स्कूल सेलेक्शन से पहले पेरेंट्स को सबसे पहले तो स्कूल में जाकर जायजा लेना चाहिए, साथ ही स्कूल एडमिनिस्ट्रेशन के जिम्मेदारों से मुलाकात करनी चाहिए। उसके बाद टीचर्स से मिलकर वहां की हकीकत जाननी चाहिए। वहीं पुराने स्टूडेंट्स का पढ़ाई को लेकर फीडबैक लिया जाए, तो काफी बेहतर होगा। साथ ही स्कूल मैनेजमेंट के बराबर टच में भी रहना चाहिए।
बच्चों से होता है स्कूल का नाम
सोश्योलॉजिस्ट प्रो। कीर्ति पांडेय बताती हैं कि कोई भी इंस्टीट्यूट या स्कूल खराब नहीं होता है। बल्कि बच्चों से ही स्कूल का नाम होता है। वहां अच्छी पढ़ाई हो, लेकिन बच्चा बेहतर न निकले और वहां का रिजल्ट खराब हो जाए, तो स्कूल का नाम नहीं होगा। स्कूल का नाम भी तभी होगा जब रिजल्ट अच्छा होगा और ऐसा तभी होगा, जब वहां के टीचर्स अच्छे होंगे। इसलिए स्कूल में दाखिला दिलाने से पहले स्कूल के टीचर्स, एडमिनिस्ट्रेशन, क्लासेज, सिक्योरिटी के अलावा तमाम सुविधाओं का रियल्टी चेक कर लेना चाहिए।
स्कूल में दाखिला दिलाने से पहले उसे ग्राउंड लेवल पर रियल्टी चेक करना बेहद जरूरी है। सबसे पहले तो एडमिनिस्ट्रेटिव पार्ट को चेक करना चाहिए। क्योंकि एडमिनिस्ट्रेशन स्ट्रांग होगा तो जाहिर सी बात है पढ़ाई भी अच्छी होगी। सभी टीचर्स और क्लास तो देख पाना संभव नहीं है, लेकिन सीसीटीवी कैमरे की मदद से सभी क्लास रूम में हो रही पढ़ाई को पेरेंट्स को दिखाया जा सकता है। पुराने बच्चे और उनके पेरेंट्स से भी फीड बैक लिया जा सकता है।
- सलिल श्रीवास्तव, एक्सपर्ट
किसी भी स्कूल में बच्चे का एडमिशन कराने से कई चीजें ध्यान में रखने की जरूरत है। स्कूल के एड पर जाने के बजाय वहां जाकर हकीकत परखी जाए, तो काफी बेहतर होगा। उसके बाद ही एडमिशन कराएं। कई बार भ्रामक प्रचार-प्रसार के चक्कर में पेरेंट्स गुमराह हो जाते हैं, इसलिए ग्राउंड लेवल पर चेक करने के बाद ही एडमिशन लें।
डॉ। राहुल राय, एक्सपर्ट
रियल्टी चेक करने के बाद ही कराए एडमिशन -
- एडमिशन कराने से पहले स्कूल के मैनेजमेंट और प्रिंसिपल से मुलाकात करें।
- स्कूल के टीचर्स और क्लास रूम का जायजा ले।
- पुराने स्टूडेंट्स व पेरेंट्स से स्कूल का फीड बैक लें।
- किसी प्रकार के संशय होने पर मैनेजमेंट या फिर प्रिंसिपल से क्लीयर करें।