- तरकुलहा मेले की निगहबानी करेगा प्रशासन

- डीएम, एसएसपी की मीटिंग में लिया गया फैसला

GORAKHPUR: चौरीचौरा में लगने वाले तरकुलहा मेला में अब मनमानी नहीं चलेगी। अवैध वसूली से लेकर बवाल तक अब प्रशासन की निगरानी में रखेगा। डीएम की अगुवाई में कमेटी मेले की समीक्षा करेगी। तरकुलहा मेले में होने वाले विवाद की बढ़ती शिकायतों पर यह पहल हुई है। अराजकता की शिकायतों पर जिला प्रशासन सख्त उठाने की तैयारी में लगा है। जल्द ही अफसरों की टीम इंस्पेक्शन करके डीएम को रिपोर्ट देगी।

छेड़छाड़, मारपीट, मर्डर से खराब हो रही छवि

तरकुलहा मेले आए दिन होने वाले बवाल से छवि खराब हो रही है। शराब पीकर पियक्कड़ उत्पात करते हैं। महिलाओं के साथ छेड़छाड़, दुकानदारों से बैठकी वसूलने को लेकर मारपीट की घटनाएं बढ़ती जा रही है। इसकी लगातार शिकायतें पुलिस को मिल रही हैं। जुलाई मंथ में परिक्रमा करने पहुंची बिजनेसमैन की बेटी से छेड़छाड़ की घटना हुई। 23 जुलाई को बदमाशों ने एक अज्ञात महिला की गला रेतकर हत्या कर दी। इसके अलावा दुकानदारों से वसूली को लेकर अक्सर विवाद होते हैं। बैठकी अधिक होने से दुकानदार हर सामान बाजार से मंहगे दाम पर बेचते हैं। इस बात को लेकर भी अक्सर बवाल होता है।

प्रशासन रखेगा नजर, सीसीटीवी कैमरे से होगी निगहबानी

मेले में बवाल को देखते हुए प्रशासन ने सख्ती के साथ निगरानी का फैसला किया है। मेले की निगरानी के लिए कमेटी बनाने की भी तैयारी शुरू हो चुकी है। डीएम के आदेश पर टीम मेले का इंस्पेक्शन करके रिपोर्ट देगी। मेले में वारदातों को देखते हुए पुलिस भी सक्रियता बढ़ाएगी। पूरे मेले को सीसीटीवी सर्विलांस की निगरानी में रखने के लिए एसएसपी ने इसका मैप तैयार करने को कहा है। मेले में अलग से सुरक्षा कर्मियों की तैनाती भी की जा सकती है।

आस्था, बलिदान का अद्भुत संगम तरकुलहा मंदिर

सिटी से करीब 20 किलोमीटर दूर, देवरिया रोड पर तरकुलहा देवी मंदिर स्थापित है। 1857 के प्रथम स्वतन्त्रता संग्राम से पहले पूरा एरिया घना जंगल था। जंगल से होकर गोर्रा नदी गुजरती थी। इस जंगल में डुमरी रियासत के बाबू बंधु सिंह का निवास था। नदी तट पर तरकुल (ताड़) के नीचे पिंडियां बनाकर वह इष्ट देवी तरकुलहा की उपासना करते थे। आजादी की लड़ाई से जुड़ने पर बंधु सिंह ने अंग्रेजों के खिलाफ गुरिल्ला वार छेड़ दिया। जंगल के रास्ते गुजरने वाले अंग्रेजों को मारकर बंधु सिंह उनका सिर देवी मां के चरणों में चढ़ा देते थे। शुरू में अंग्रेजों को लगा कि उनके सिपाही जंगल में खो जा रहे हैं। कुछ दिनों के बाद में अंग्रेजों ने बंधु सिंह को पकड़ लिया। अदालत ने बंधु सिंह को फांसी की सजा सुनाई।

मां के आशीर्वाद पर फांसी चढ़ाने में हुए कामयाब

12 अगस्त 1857 को सिटी के अली नगर चौराहा पर बंधु सिंह को फंदे से लटकाया गया। अंग्रेजों ने उनको छह बार फांसी चढ़ाने की कोशिश की लेकिन नाकाम रहे। बंधु सिंह ने देवी मां का ध्यान करके मन्नत मांगी। देवी की आराधना के बाद सातवीं बार अंग्रेज उनको फांसी चढ़ाने में कामयाब हुए। तभी से तरकुलहा में बलि की परंपरा भी चली आ रही है। मंदिर में बकरे की बलि चढ़ाकर मीट को माटी के बर्तन में पकाने की मान्यता है। चैत्र रामनवमी में यहां एक माह मेला लगता है। मन्नत पूरी होने पर घंटी बांधने का रिवाज भी पीढ़ी दर पीढ़ी चला आ रहा है। मेले पूरे साल श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है। मंडे और फ्राइडे को मंदिर में लोगों की खूब भीड़ उमड़ती है।

मेले में होने वाले बवाल को देखते हुए सुरक्षा के उपाय बहुत जरूरी है। इसलिए मेले को सीसीटीवी सर्विलांस की निगरानी में रखा जाएगा। प्रशासनिक अफसर भी मेले की गतिविधियों पर नजर रखेंगे। इसको लेकर डीएम से हमारी बात हो चुकी है।

प्रदीप कुमार, एसएसपी