गोरखपुर (ब्यूरो)।6वें वल्र्ड डेफ टीम बैडमिंटनशिप के फाइनल मैच में टीम इंडिया की तरफ से खेलते हुए आदित्या यादव ने ब्राजील में देश का झंडा बुलंद किया। निर्णायक मिक्स डबल में गोरखपुर की आदित्या यादव ने जोड़ीदार अभिनव के साथ जापान के खिलाडिय़ों को हराकर इंडिया को गोल्ड मेडल दिलाने में अहम भूमिका निभाई।

सोमवार की रात मैच में आदित्या ने लहराया परचम

6वीं वल्र्ड डेफ टीम बैडमिंटनशिप 12 जुलाई से ब्राजील में ऑर्गनाइज की गई। जूनियर चैंपियनशिप के बाद 14 जुलाई को सीनियर टीम चैंपियनशिप में इंडिया की शुरुआती जीत के बाद पहला प्री-क्वार्टर मैच कजाकिस्तान के साथ था, जिसमें जीत हासिल करने के बाद क्वार्टर में मलेशिया, सेमीफाइनल में चाइना को शिकस्त देकर टीम इंडिया ने फाइनल में एंट्री की।

निर्णायक रहा मिक्स डबल

फाइनल सोमवार देर रात 3 बजे इंडिया और जापान के बीच खेला गया। इस दौरान 5 मैच खेले गए, जिसमें पहला मिक्स डबल मैच में 21-19 13-21 26-24 से जापान को हराकर टीम इंडिया ने जीत दर्ज की। इसके बाद वुमंस डबल में आदित्या ने अपनी जोड़ीदार जरलीलन के साथ मिलकर जापान की यामे और मई को 21-9 21-18 से हराया। इसके बाद हुए मेंस सिंगल में जापान से इंडिया को हार का सामना करना पड़ा। आखिर में निर्णायक मिक्स डबल मैच में आदित्या यादव और अभिनव शर्मा की जोड़ी जापान के मसाकी और यामे के सामने उतरी जिसमें टीम इंडिया को 3-1 से जीत मिली।

ओलंपिक में दिलाया गोल्ड

गोरखपुर के कौवाबाग एरिया निवासी आदित्या यादव जन्म से ही सुन व बोल नहीं सकती हैं, लेकिन उसने इतनी कम उम्र में देश को गोल्ड मेडल दिलाकर इतिहास रच दिया। ब्राजील में हुए डेफ ओलंपिक में बैडमिंटन खिलाड़ी आदित्या यादव ने देश को गोल्ड दिलाया। डेफ ओलंपिक में इंडिया ने पहली बार बैडमिंटन चैंपियनशिप में गोल्ड मेडल जीता है। आदित्या को आगे बढ़ाने में उनके पिता बैडमिंटन कोच दिग्विजय यादव का बहुत बड़ा हाथ है। आदित्या ने कभी अपनी दिव्यांगता को कमजोरी नहीं समझी। परिवार ने भी उनका साथ दिया और आज पूरे देश को आदित्या पर गर्व है।

तीन साल बाद हुई जानकारी

आदित्या यादव बैडमिंटन को लेकर जुनूनी हैं। इसे ऐसे समझा जा सकता है कि आदित्या के लिए कोई भी संडे यानि छुट्टी का नहीं है। कोरोना काल में भी घर में दीवार पर प्रैक्टिस करती थीं। उस दौरान फिटनेस पर पूरा ध्यान दिया। जब आदित्या का जन्म हुआ, उसके तीन साल बाद घर वालों को यह पता चला कि उनकी बेटी सुन-बोल नहीं सकती है। इसके बाद एक पिता होने की वजह से दिग्विजय की मुसीबत कई गुना बढ़ गई थी। दिग्विजय यही सोचते थे कि अब अपनी इस बेटी के लिए क्या करें। दिग्विजय बताते हैं कि एक दिन जब आदित्या ने रैकेट पकड़ा। उसके पकडऩे के ढंग से ये लगा कि वो खेल सकती है। पांच साल की उम्र में आदित्या खेलने के लिए जाने लगी। फिर क्या एक साल बाद ही आदित्या अपने से अधिक एज के खिलाडिय़ों को मात देने लगी, इसलिए छोटी सी उम्र में आदित्या का नाम गोल्डन गर्ल पड़ गया था।

यहां मिले इंटरनेशनल मेडल

- ब्राजील डेफ ओलंपिक के टीम इवेंट में गोल्ड मेडल

- ब्राजील में ऑर्गनाइज जूनियर वल्र्ड डेफ चैंपियनशिप में सिंगल और डबल्स में सिल्वर मेडल

- एशिया पैसेफिक डेफ यूथ बैडमिंटन चैंपियनशिप के अंडर 21 गल्र्स डबल्स में गोल्ड, सिंगल में सिल्वर और मिक्स डबल में ब्रॉन्ज मेडल

- एशिया पैसेफिक डेफ यूथ बैडमिंटन चैंपियनशिप वुमेंस डबल में गोल्ड और वुमेन सिंगल में ब्रॉन्ज मेडल

- सेकेंड वल्र्ड डेफ बूथ बैडमिंटन चैंपियनशिप

- सिक्स नेशनल डेफ जूनियर सब जूनियर स्पोट्र्स चैंपियनशिप

- योनेक्स सनराइज हैमिश इंफ्र ास्ट्रक्चर यूपी स्टेट

- रानी लक्ष्मी बाई अवार्ड के लिए नामित

पीएम कर चुके हैं सम्मानित

बैडमिंटन की फील्ड में अपनी अलग जगह बना चुकीं आदित्या की चमक देशभर में फैल चुकी है। आदित्या को पीएम नरेंद्र मोदी भी सम्मानित कर चुके हैं। इसके साथ ही सीएम योगी आदित्यनाथ भी सम्मानित कर चुके हैं। पूर्व सीएम अखिलेश यादव ने आदित्या को पांच लाख रुपए देकर पुरस्कृत किया था।